राजस्थान की वो राजनीतिक पार्टी, जिसने कहा हम बनेंगे किंगमेकर
नई दिल्ली- राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार अगले हफ्ते सदन में अपना शक्ति परीक्षण कर सकती है। इस दौरान दो विधायकों वाली गुजरात-मूल की पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दावा किया है कि सरकार जो भी रहेगी, किंगमेकर वही बनेगी। गौरतलब है कि इससे पहले पार्टी ने किसी भी दल या नेता को समर्थन नहीं देने का भी ऐलान किया था। यहां तक कि पार्टी के एक विधायक ने पुलिस पर उन्हें जबरन रोकने का भी आरोप लगाया था। लेकिन, अब पार्टी के अध्यक्ष महेशभाई सी वसावा ने कहा है कि उनके पास दो ही विधायक हुए तो क्या वही राजस्थान के किंगमेकर होंगे।
हमारी पार्टी किंगमेकर्स की भूमिका में- वसावा
भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दावा किया है कि भले ही राजस्थान विधानसभा में उसके दो ही विधायक हैं, लेकिन वही सरकार के लिए किंगमेकर बनने जा रही है। रविवार को पार्टी के अध्यक्ष महेशभाई सी वसावा ने कहा है कि '200 के सदन में हमारे पास दो एमएलए हैं, फिर भी हम किंगमेकर्स की भूमिका में हैं।' गौरतलब है कि पार्टी के दोनों विधायकों ने पिछले महीने हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया था। लेकिन, पिछले दिनों अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जब सत्ता को लेकर घमासान शुरू हुआ था और गहलोत ने पायलट को मंत्री पद से हटा दिया था और पार्टी ने उनसे प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया, तब बीटीबी ने फैसला किया था कि वह किसी को समर्थन नहीं देगी और तटस्थ रहेगी।
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बीटीपी ने पहले कही थी तटस्थ रहने की बात
दरअसल, पिछले हफ्ते जब राजस्थान में सियासी संकट शुरू हुआ था, तब भारतीय ट्राइबल पार्टी के अध्यक्ष महेशभाई सी वसावा ने व्हीप जारी कर अपनी पार्टी के दोनों विधायकों को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान किसी भी नेता या दल का समर्थन नहीं देने का निर्देश दिया था। हालांकि, तब सागवाड़ा के विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने जरूर व्हीप से उलट गहलोत सरकार को समर्थन देने की ही बात कही थी। इसके बाद पार्टी के नेता दोनों विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मिले और उनके सामने अपनी मांगें रखीं। चौरासी के विधायक राजकुमार रोत ने कहा था, 'हमारी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद पिछले महीने राज्यसभा चुनाव में हमने कांग्रेस सरकार का समर्थन किया था।.........लेकिन, मांग नहीं पूरी की गईं। उनमें से कुछ को तो सिर्फ एक दिन में ही पूरी की जा सकता थी।'
बीटीपी ने किया है गहलोत सरकार को समर्थन का ऐलान
लेकिन, अब भारतीय ट्राइबल पार्टी के अध्यक्ष वसावा ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी ने अब गहलोत सरकार को समर्थन देने का फैसला कर लिया है। इसके लिए उन्होंने दलील दी है कि यह फैसला आदिवासी इलाकों के विकास की मांग पूरा करने का भरोसा मिलने के बाद किया गया है। उन्होंने कहा, 'हमनें आदिवासियों के मसले पर कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, लेकिन यदि अब जब सरकार ने हमारी ओर से उठाए गए सभी मुद्दों का पूरा समर्थन करने का भरोसा दिया है तो हमें इसका समर्थन क्यों नहीं करना चाहिए ? आखिरकार इससे आदिवासियों के कल्याण और विकास का एजेंडा पूरा हो रहा है।' गौरतलब है कि शनिवार को ही कांग्रेस के साथ हुए एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस, में बीटीपी के विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने साफ कर दिया था कि वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं। इससे इस बात को लेकर अनिश्चितता खत्म हो गई थी कि ये पार्टी आखिर किसके साथ जाएगी
पहले बीटीपी विधायक ने दबाव डालने का आरोप लगाया था
गौरतलब है कि जब भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अशोक गहलोत सरकार को समर्थन देने से मना कर दिया था तब पिछले हफ्ते पार्टी के विधायक राजकुमार रोत के दो वीडियो क्लिप खूब वायरल हुए थे। उसमें उन्होंने राजस्थान पुलिस पर आरोप लगाए थे कि उन्हें डूंगरपुर जिले में उनके चुनाव क्षेत्र में जाने से उन्हें रोका जा रहा है। उन्होंने पुलिस वालों पर उनकी गाड़ी की चाबी निकाल लेने का आरोप भी लगाया था। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया था कि कुछ लोग उन्हें अपने पाले में करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। ये वीडियो सचिन पायलट और भाजपा कैंप ने खुब फैलाया था। लेकिन, बाद में रोत खूद गुलाटी मार गए और कहा कि असल में पुलिस के साथ कुछ 'गलतफहमी' हो गई थी।
सोमवार को हाई कोर्ट में अहम सुनवाई
राजस्थान में पिछले हफ्ते से जारी सियासी संकट पर अब सबकी निगाहें राजस्थान हाई कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है। यह याचिका पायलट की ओर डाली गई है जो उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस खिलाफ दायर किया है। इस समय कांग्रेस के निशाने पर पायलट समेत 19 बागी कांग्रेसी विधायक हैं। ऐसे में अगर विधानसभा अध्यक्ष को उन सभी बागियों को अयोग्य करार दे देने की छूट मिल जाती है तो 200 सदस्यों वाले राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 107 से घटकर 88 रह जाएगी। इसके साथ ही सदन में विधायकों का कुल आंकड़ा भी घटकर 181 बच जाएगा। ऐसे में बहुमत के लिए सिर्फ 91 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा, जो गहलोत के लिए बहुत आसान होगा। क्योंकि, सत्ताधारी पार्टी अब सभी 13 निर्दलीय और सीपीएम-बीटीपी के 2-2 और राष्ट्रीय लोकदल के 1 विधायक के समर्थन का दावा कर रही है। जबकि, भाजपा के पास 72 और 3 उसके समर्थक दल के विधायक हैं।