बाजवा केस में छलका पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का दर्द.....संविधान की बात की तो भारत का एजेंट बता दिया
नई दिल्ली- पाकिस्तान में इमरान खान के शासनकाल में वहां का सुप्रीम कोर्ट भी कुछ करने से मजबूरी जताने लगा है। दरअसल, पाकिस्तानी सेना चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को तीन साल बढ़ाने पर जब से उसने आपत्ति जताई है, शायद पाकिस्तानी सेना के इशारे पर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। यही वजह है कि अब वहां के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा का दर्द सार्वजनिक तौर पर छलक आया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा माहौल बना दिया गया है कि जजों को संविधान के मुताबिक आदेश देने में भी सोचना पड़ रहा है कि कहीं उन्हें भारत का या सीआईए का एजेंट न बता दिया जाय। दरअसल, इमरान बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ाना चाहते थे, लेकिन वहीं की अदालत ने उनकी बाजवा से इस मिलीभगत पर रोक लगा दी है।
इमरान सरकार के खिलाफ चीफ जस्टिस का दर्द
गैरकानूनी तरीके से जनरल बाजवा के कार्यकाल बढ़ाए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने पाकिस्तान की हालत पर गहरी चिंता और दुख जाहिर किया है। गुरुवार को उनकी अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में कानून के मुताबिक बारीकी से छानबीन का काम हुआ तो जजों के खिलाफ ही प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया गया है। जजों को भारत और सीआईए (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) का एजेंट बताया जा रहा है। जस्टिस खोसा के मुताबिक, 'कह दिया गया कि तीनों जस्टिस सीआईए के लिए काम करते हैं।....यहां तक कह दिया गया कि तीनों जज भारत के कहने पर काम कर रहे हैं।' जजों के खिलाफ उनकी शिकायत ये थी कि इन जजों को भारत के टीवी चैनल्स दिखा रहे हैं। पाकिस्तानी चीफ जस्टिस ने सीधे तौर पर इस मामले में इमरान सरकार या उसके किसी मंत्री का नाम तो नहीं लिया, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उनकी टिप्पणी के मतलब को समझा जा सकता है।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, इमरान खान ने अपने चहेते जनरल बाजवा का कार्यकाल सभी कानूनों को ताक पर रखकर तीन साल बढ़ा दिया था। लेकिन, जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो उसने इमरान सरकार की अधिसूचना की मियाद घटनाकर सिर्फ 6 महीने कर दी। माना जा रहा है कि यही बात पाकिस्तानी सेना और पीएम इमरान की सरकार को नागवार गुजर रही है। आर्मी चीफ जैसे पोस्ट पर बाजवा को बनाए रखने के लिए सेना,आईएसआई और इमरान ने जिस तरह से गोलबंदी की थी, उसपर वहां की मीडिया भी नाखुशी जता रहा है। इस केस में इमरान सरकार जिस तरह से अपने ही देश के सुप्रीम कोर्ट को नीचा दिखाने पर तुली है, उससे पाकिस्तानी जनता का भी सरकार से भरोसा उठ रहा है। गौरतलब है कि पिछले 19 अगस्त को सुरक्षा हालातों के नाम पर इमरान ने बाजवा का कार्यकाल एक बार में 3 साल के लिए बढ़ाने का ऐलान कर दिया था। लेकिन, अदालत ने कानूनों का हवाला देकर इसपर पिछले मंगलवार को रोक लगा दी थी। फिर सरकार को नई अधिसूचना जारी कर उसे 6 महीने करना पड़ा है और यही बात इमरान और बाजवा हजम नहीं कर पा रहे हैं।
इमरान के ट्वीट्स से खुल चुकी है पोल
गौरतलब है कि जब अदालत ने इमरान के फैसले को पलट दिया था तो वे होश खो बैठे थे। उन्होंने ट्विटर के जरिए बिना किसी देश का नाम लिए अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी। कई ट्वीट्स के जरिए उन्होंने जता दिया कि बाजवा मामले में अदालत ने दखल देकर उन्हें कितना निराश किया है। उन्होंने लिखा, 'आज उन लोगों को बहुत निराशा हो रही होगी, जिन्हें भरोसा था कि संस्थाओं के टकराव से पाकिस्तान अस्थिर हो जाएगा। इससे खासतौर पर पाकिस्तान के बाहरी दुश्मनों और भीतरी माफियाओं को मायूसी हुई होगी।' बता दें कि गुरुवार को दिए आदेश में अदालत ने बाजवा का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने बढ़ाने की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा है कि अगर इसे ज्यादा करना है तो सरकार संसद से कानून पारित करे। बता दें कि बाजवा का कार्यकाल पहले 29 नवंबर को ही समाप्त होने वाला था। लेकिन, अभी वह 6 महीने अपने पद पर बने रहेंगे।