रसोई में वर्षों से टंगी पेटिंग ने महिला की बदल दी किस्मत, रातों-रात बना दिया करोड़पति
नई दिल्ली, 15 सितंबर। कब राजा रंक बन जाएगा और रंक राजा ये सब किस्मत का खेल है। हम आपको ऐसी ही महिला से मिलवाने जा रहे हैं जिसने अपनी पूरी जिंदगी गरीबी में गुज़ार दी लेकिन अब 90 साल की उम्र में उसकी घर में रखी एक चीज ने उसकी किस्मत ही पलट दी, वो रातों-रात करोड़पति बन गई और उसकी जिंदगी ही बदल गई।
महिला के पास पेट भरने के लिए पैसे भी नहीं थे
ये महिला बहुत गरीब थी उसके पास दो समय पेट भरने के लिए खाना भी मुश्किल से पैसे जमा हो पाता था। उसे ये अंदाजा भी नहीं था कि उसके घर में ऐसा बेसकीमती खजाना है जो उसकी गरीबी दूर कर देगा। लेकिन उसे इस चीज का पता ही नहीं था। लेकिन जब पता चला तो उसकी पूरी जिंदगी और किस्मत बदल गई।
पेंटिंग किचन में सालों से टंगी हुई थी
दरअसल, ये वाकया फ्रांस के नार्थ एरिया के कॉम्पैनियन का है जहां इस बूढ़ी घर में ही करोड़ों की बेशकीमतीचीज पेंटिंग रखी हुई थी, लेकिन उसे इसकी भनक भी नहीं थी। बुजुर्ग महिला के घर में ये बेशकीमती पेंटिंग किचन में सालों से टंगी हुई थी। जिसे आते-जाते वो हर दिन देखते थे। ना ही उस महिला को और ना ही उसके घर वालों को ये अंदाजा था कि वो पेंटिंग उनकी किस्मत पलट कर रख देगी। दर्दनाक: मरीज को खाट पर लेकर 12 किमी चलकर अस्पताल पहुंचे घरवाले, देखें वीडियो
ये 13वीं शताब्दी का रेयर पेंटिंग थी
किचन में सालों साल से चूल्हे के ऊपर लगी ये बेसकीमती पेंटिंग धुएं से काली हो रही थी, घर वाले जिस आम पेंटिंग समझ कर ऐसी बेकदरी कर रहे थे वो 13वीं शताब्दी का रेयर पेंटिंग थी। इसे 13वीं शताब्दी में बनाया गया है जिसके आर्टिस्ट का नाम चिमाबुए है। आर्टिस्ट चिमाबुए लकड़ी के टुकड़ों पर पेंटिंग करते थे।
ऐसे खुला पेन्टिंग का राज़
रिपोर्ट में महिला की पहचान छिपाई गई है। बूढ़ी महिला अपने घर वालों से कई बार कह चुकी थी कि ये पेंटिंग ख़ास है. लेकिन कोई उसका यकीन नहीं करता था। इस साल महिला ने अपना पुराना घर बदला तब उसके फर्नीचर को खरीदने एक शख्स आया और उसकी नजर इस पेंटिंग पर पड़ी तो उसने बताया कि वो कोई आम पेटिंग नहीं है।
कितने करोड़ में बिकी पेन्टिंग
पेंटिंग देखने के बाद फर्नीचर खरीदने आए व्यक्ति ने उन्हें बताया कि यह कोई आम पेंटिंग नहीं है और इसे 13वीं शताब्दी में बनी है। जिसके बाद ये खबर फैलीी और पेरिस के एक्ट ऑन नीलामी सेंटर में सजाया गया इसके बाद कंफर्म हो गया कि यह तेरहवीं शताब्दी की ही पेंटिंग है। किचन में लगे होने के कारण ये काली पड़ गई थी लेकिन तब भी नीलामी में इसे 188 करोड़ रुपए में बेचा गया। ये पूरी धनराशि उस बूढ़ी महिला को दी गई।