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राष्ट्रगान से जुड़ी नौ अनोखी जानकारियां
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राष्ट्रगान को सिनेमाघरों में बजाने की अनिवार्य वाले फैसले में बदलाव किए जा सकते हैं.
मुख्य न्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने 30 नवंबर 2016 को दिए एक आदेश में हर सिनेमाघर में फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य कर दिया था. इस दौरान मौजूद दशर्कों को सम्मान में खड़ा होना होता है.
राष्ट्रगान के बारे में जानिए कुछ रोचक जानकारियां
- पहली बार जन गण मन गाया गया था 27 दिसंबर 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में. इसका पाठ किया गया था और तब तक इसे संगीतबद्ध नहीं किया गया था.
- 30, दिसंबर 1911 को ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम भारत आए और कोलकाता के कुछ अख़बारों में लिखा गया कि संभवत यह गीत उनके सम्मान में लिखा गया है. लेकिन 1939 में रविंद्रनाथ टैगोर ने इसका खंडन किया.
- पहली बार जन गण मन को परफॉर्म किया गया यानी इसकी संगीतबद्ध प्रस्तुति हुई जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में.
- 24 जनवरी 1950 को जन गण मन को राष्ट्रगान के तौर पर संविधान सभा ने मान्यता दे दी.
- इसके अंग्रेजी अनुवाद को संगीतबद्ध किया मशहूर कवि जेम्स कज़िन की पत्नी मारग्रेट ने जो बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य थीं.
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसका संस्कृतनिष्ठ बांग्ला से हिंदी में अनुवाद करवाया था. अनुवाद किया था कैप्टन आबिद अली ने और इसे संगीतबद्ध किया था कैप्टन राम सिंह ने.
- भारतीय राष्ट्रगान का शुरूआती दौर में नाम था 'सुबह सुख चैन'. इस गीत के लिए आधिकारिक रूप से ज़रूरी है कि इसे 52 सेकंड में पूरा किया जाए.
- राष्ट्रगान के मुद्दे पर संविधान सभा में कोई बहस नहीं हुई थी. हालांकि अनौपचारिक तौर पर मुस्लिम समुदाय को इस गीत पर कुछ आपत्ति थी. इसे राष्ट्गान बनाया गया था संविधान सभा में राष्ट्रपति के एक बयान पर.
- राष्ट्रपति ने बयान जारी कर कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाले वंदे मातरम गीत को भी बराबर का सम्मान दिया जाएगा.