शिवाजी या इंदिरा के नाम का कभी भी राजनीतिक फायदा नहीं उठाया- शिवसेना
नई दिल्ली- पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला की मुलाकातों पर शिवसेना नेता संजय राउत ने अपना बयान तो वापस ले लिया है, लेकिन अभी भी उसकी ओर से इस मसले पर सफाई अभियान जारी है। शुक्रवार का पार्टी के मुखपत्र 'सामना' का संपादकीय भी लिखा गया है, जिसमें पार्टी की ओर से यह बताने की कोशिश की गई है उसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आदर्श रही हैं और करीम लाल जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन की शख्सियत ही ऐसी थी, जिससे बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी मिलती-जुलती रहती थी। दरअसल, राउत ने अपने बयान से सहयोगी कांग्रेस को तो नाराज किया ही है, विरोधी बीजेपी के हाथ में एक ऐसा मुद्दा थमा चुकी है कि अब वह किसी तरह से इस मसले से बचकर निकलने की ताक में लगी है। इसी कड़ी में 'सामना' में यहां तक दावा कर दिया गया है कि जिस मराठा शासक के नाम पर पार्टी का नाम है, उनका उसने कभी भी राजनीतिक फायदा ही नहीं उठाया।
शिवाजी या इंदिरा के नाम का फायदा नहीं उठाया-शिवसेना
शिवसेना ने कहा है कि पार्टी ने छत्रपति शिवाजी महाराज या पुर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए कभी नहीं किया। पार्टी ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि इसने हमेशा ही इंदिरा गांधी का सम्मान किया है, जिन्हें अखबार ने एक विशाल और शक्तिशाली शख्सियत बताया है। पार्टी का दावा है कि जबभी उनकी छवि खराब करने की कोशिश हुई शिवसेना ने उनकी ढाल बनने का काम किया। मराठी दैनिक के मुताबिक वो एक शक्तिशाली नेता थी, जिन्होंने पाकिस्तान को बांटा और बंटवारे का बदला ले लिया। मराठी दैनिक में इस बात पर हैरानी जताई गई है कि जो गांधी परिवार का नाम हमेशा-हमेशा के लिए मिटाना चाहते हैं, वही अब उनकी छवि को लेकर चिंतित हो रहे हैं। सामना का यह संपादकीय इसके संपादक संजय राउत के इंदिरा गांधी पर हाल के दिए एक बयान के संदर्भ से ही जुड़ा है, जिसे उन्हें कांग्रेस के भारी विरोध की वजह से वापस लेना पड़ा है। यही नहीं, हाल ही में शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले से उनके वंशज होने का सबूत मांगकर भी राउत ने बड़ा विवाद पैदा किया था, क्योंकि उन्होंने शिवसेना से कहा था कि पार्टी को अपना नाम अब 'ठाकरे सेना' रख लेना चाहिए। भोसले ने शिवसेना पर आरोप लगाया था कि उसने मराठा शासक के नाम का दुरुपयोग किया है। इसीपर शिवसेना को सफाई देनी पड़ गई है।
अब करीम लाला की तारीफ में शिवसेना ने पढ़े कसीदे
शिवसेना के मुखपत्र में कथित तौर पर मुंबई के पहले गैंगस्टर करीम लाला के बारे में भी कई टिप्पणियां की गई हैं। अखबार के मुताबिक वह एक समय पठान समुदाय के एक संगठन का प्रमुख था और वह खान अब्दुल गफ्फार खान से प्रेरित था, जो फ्रंटियर गाधी के नाम से भी जाने जाते हैं। सामना में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि 1960 के दशक में दुनिया भर में पठानों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए लाला ने संगठन की अगुवाई की थी। अब शिवसेना के मुताबिक फ्रंटियर गांधी लाला की प्रेरणास्रोत थे, जो धर्म के आधार पर भारत के बंटावारे के विचार के विरोधी थे। "पठान समुदाय के कई युवा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में रहे और अपनी खुद की पहचान बनाई। करीम लाल उन्हीं में से एक थे।" सामना के अनुसार, "मुंबई के मुसाफिर खाना स्थित लाला के दफ्तर में दुनिया भर के कई खास शख्सियतों के साथ उनकी तस्वीरें थी। वह दफ्तर अब नहीं रह गया है।" अखबार के दावे के मुताबिक तब लाल का सबके साथ अच्छे रिश्ते थे और तब मुंबई में अंडरवर्ल्ड पैदा नहीं हुआ था।
कांग्रेस के दबाव में बदल गए शिवसेना के सुर
संपादकीय में राउत के पहले बाले बयान को हल्का करने की कोशिश करते हुए कहा गया है कि "जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तो वे किससे मिलीं यह विवाद का विषय नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री को तो अलगाववादियों से भी बातचीत करनी पड़ती है। ऐसी बातचीत हाल के समय में भी हुई हैं।" दरअसल, राउत ने बुधवार को पुणे में एक इंटरव्यू में दावा किया था कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी जब भी मुंबई आती थीं तो वह अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलती थीं। इसपर कांग्रेस के नेताओं ने उनके खिलाफ इस कदर मोर्चा खोल दिया कि राउत को गुरुवार को अपना बयान वापस लेना पड़ गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने शिवसेना नेतृत्व को साफ लहजे में समझाने का दावा किया था कि इस तरह की कड़वी बातें करके प्रदेश में गठबंधन सरकार चलाना आसान नहीं होगा।
शिवसेना का बीजेपी पर पलटवार
राउत के बयान की वजह से कांग्रेस-शिवसेना में शुरू हुए विवाद में बीजेपी भी कूद पड़ी थी। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सवाल उठा दिया था कि 'क्या कांग्रेस को मुंबई में अंडरवर्ल्ड से फंड भी मिलते थे।' फडणवीस ने यह भी पूछा था कि क्या महाराष्ट्र में उसी समय से 'राजनीति का अपराधीकरण' शुरू हुआ था और क्या कांग्रेस ने उनकी 'मदद' की थी, जिन्होंने मुंबई को दहलाया था। 'सामना' के संपादकीय में भाजपा के इन आरोपों पर भी पलटवार किया गया है। शिवसेना ने बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है कि राजनीति में कोई नहीं कह सकता कि कौन किससे मिल सकता है, "अगर ऐसा नहीं था तो उन्हें महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार नहीं बनाना चाहिए थे, जिनपर अलगाववादियों के प्रति नरम होने का आरोप है। " गौरतलब है कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में अलग विचारधारा वाली पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जो बीच में ही गिर गई।