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अर्थव्यवस्था: भारत के लिए सबसे मुश्किल दौर, सुधार की कोई उम्मीद नहीं

31 अगस्त को भारत की जीडीपी का डेटा आने वाला है और कहा जा रहा है कि इस बार डेटा माइनस में आएगा. भारत का यह संकट बहुत ही गहरा है और अभी कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही.

By BBC News हिन्दी
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कोरोना वायरस के कारण मुश्किल दौर से गुज़र रही भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में इस साल भी सुधार होने की उम्मीद नहीं दिख रही है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक़, भारत की अब तक दर्ज सबसे गहरी आर्थिक मंदी इस पूरे साल बरक़रार रहने वाली है.

पोल के मुताबिक़, कोरोना वायरस के तेज़ी से बढ़ रहे मामलों ने खपत में बढ़ोतरी और कारोबारी गतिविधियों पर अभी भी लगाम लगाई हुई है. ऐसे में साल 2021 की शुरुआत में ही हल्का सुधार देखने को मिलेगा.

भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मई में 20 लाख करोड़ के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की थी. भारतीय रिज़र्व बैंक भी मार्च से ब्याज़ दरों में 115 बेसिस पॉइंट्स की कमी कर चुका है. इससे संकेत मिलते हैं कि महामारी के कारण कारोबारों और रोज़गार पर पड़े बुरे प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए और क़दम उठाने की ज़रूरत है.

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भारत में कोरोना वायरस बाक़ी दुनिया के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है. 33 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 60 हज़ार से ज़्यादा जानें जा चुकी हैं. कोरोना के कारण दूसरी सबसे ज़्यादा आबादी वाले इस देश में करोड़ों लोगों को घरों पर रहना पड़ा जबकि लाखों लोगों का रोज़गार छिन गया है.

आईएनजी में वरिष्ठ एशिया इकनॉमिस्ट प्रकाश सकपाल ने रॉयटर्स से कहा, "भले ही यह संकट का सबसे ख़राब दौर हो मगर इस तिमाही में संक्रमण का तेज़ी से फैलना दिखाता है कि निकट भविष्य में भी सुधार की उम्मीद रखना बेमानी है."

वह कहते हैं, "बढ़ती महंगाई और सरकारी खर्च बढ़ने के बीच सरकार की व्यापक आर्थिक नीति को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि ऐसा कुछ नज़र नहीं आता जो बाक़ी साल भी अर्थव्यवस्था को लगातार गिरने से बचा सके."

कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण पिछली तिमाही में देश के ज़्यादातर हिस्सों मे कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह थम गई थीं.

18-27 अगस्त के बीच 50 अर्थशास्त्रियों की ओर से किए गए इस पोल के मुताबिक, उस दौरान भारतीय अर्थव्यस्था लगभग 18.3 प्रतिशत सिकुड़ गई.

पिछले पोल में इसके 20 फ़ीसदी घटने का अनुमान था, ऐसे में ताज़ा पोल का आकलन थोड़ा बेहतर है. मगर 1990 के दशक के मध्य से (जब से तिमाहियों के आधिकारिक आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं) अब तक की यह सबसे ख़राब दर है.

चालू तिमाही में अर्थव्यवस्था के 8.1 प्रतिशत और अगली तिमाही में 1.0 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है. यह स्थिति 29 जुलाई को किए गए पिछले पोल से भी ख़राब है.

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उसमें चालू तिमाही में अर्थव्यवस्था में 6.0 फ़ीसदी और अगली तिमाही में 0.3 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान था. इस तरह से नए पोल ने इस साल सुधार होने की उम्मीदों को झटका दिया है.

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 2021 की पहली तिमाही में 3.0 प्रतिशत का सुधार होने की उम्मीद है. हालांकि, मार्च में ख़त्म हो रहे पूरे वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर को इससे ख़ास सहारा नहीं मिलेगा और वह 6 प्रतिशत से कम ही रहेगी.

इस तरह से इसे भारतीय अर्थव्यस्था के सबसे ख़राब प्रदर्शन के तौर पर दर्ज किया जाएगा. 1979 के दूसरे ईरान तेल संकट से भी ख़राब, जब 12 महीनों का प्रदर्शन -5.2 प्रतिशत दर्ज किया गया था. इस बार रॉयटर्स के पोल में इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था वृद्धि की दर पिछले पोल के अनुमान (-5.1%) से भी कम आंकी गई है.

पिछले पोल से तुलना करें तो नए पोल में मौजूदा और अगली तिमाही में अर्थव्यवस्था के और ज़्यादा सिकुड़ने का अनुमान लगाया है.

भले ही अच्छी मॉनसून के कारण फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी और सरकार के व्यवस्थित खर्च के कारण सुधार के कुछ संकेत देखने को मिले हैं, मगर अधिकतर कारोबार कमज़ोर प्रदर्शन कर रहे है.

इस बीच पिछले महीने अप्रत्याशित ढंग आरबीआई ने भी से बढ़ती हुई महंगाई को लेकर चिंता जताई थी.

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अर्थशास्त्रियों के बीच इस बात को लेकर सहमति है कि अगली तिमाही में रिज़र्व बैंक 25 बेसिस पॉइंट्स की और कमी लाकर अपने रीपो रेट को 3.75 प्रतिशत कर सकता है. मगर 51 में से 20 अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस साल आरबीआई की ओर से ज़्यादा दख़ल नहीं दिया जाएगा.

जब यह पूछा गया कि भारत की जीडीपी कब कोरोना से पहले वाली स्थिति में पहुंच पाएगी, तो 80 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों (36 में से 30) ने कहा कि इसमें एक साल से ज्यादा लग सकता है. इनमें से नौ का कहना था कि इसमें दो साल से ज़्यादा लग सकते हैं.

सिंगापुर में कैपिटल इकनॉमिक्स के एशिया इकनॉमिस्ट डैरन ऑ ने कहा, "आर्थिक विकास की संभावनाएं कमज़ोर हैं और अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं लॉकडाउन के बाद स्थितियों में सुधार होने की प्रक्रिया रफ़्तार पकड़ने से पहले ही थम गई है."

BBC Hindi
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English summary
The most difficult period for Indian economy, no hope of improvement
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