अलविदा नेक इरादों वाले चंडीगढ़ की जान नेक चंद
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) देश के सबसे बेहतरीन शहरों में से एक है चंडीगढ़। उसकी सबसे खास शख्सियत नेक चंद अब नहीं रहे। उनके बनाए रॉक गार्डन ने चंडीग़ढ़ ही नहीं देश-विदेश में शहर का नाम रोशन किया।
वे कल किसी दूसरी दुनिया की ओर चले गए। चंडीग़ढ़ में रॉक गार्डन के निर्माता पद्मश्री नेक चंद सैनी का वीरवार देर रात पीजीआई में निधन हो गया। नेकचंद जी ने बिना किसी की मदद से अपने आप ही अपनी कला को निखारा और आज चंडीगड़ का एक कोना इन्हीं के नाम से जाना जाता है!
खास पहचान मिली
चंढीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अरुण नैथानी कहते हैं कि रॉक गार्डन की खूबसूरत कलाकृतियों के कारण चंडीगढ़ शहर को खास पहचान मिली है। उन्हें विदेशों में भी मिनी राक गार्डन बनाने के लिए कई बार बुलाया गया।
Nek
Chand
ji
will
always
be
remembered
for
his
artistic
genius
&
fabulous
creation
that
is
cherished
by
many.
May
his
soul
rest
in
peace.
—
Narendra
Modi
(@narendramodi)
June
12,
2015
गजब की कलाकृतियां
उनकी कलाकृतियां चीनी मिट्टी की चीजों, चूड़ियों, मिट्टी के बर्तनों, टूटी सेनेटरी की चीजों आदि से बनाई गई हैं ! कहते हैं कि वे आज से कई साल पहले शाम होने पर दर्जी की दुकानों पर जाकर लीरें इकट्ठी किया करते थे और जहाँ कहीं मेला लगता तो वहां से टूटी चूडियाँ के टुकड़े बोरी में भरकर ले आते।
टूटे प्याले और प्लेटें
होटलों और ढाबों से टूटे प्याले व प्लेटों के टुकड़े जमा करते ,साथ ही बिजली की जली हुई ट्यूबें और जले हुए कोयले के टुकड़े जमा करते। 12 साल तक यह कलाकार छिपकर यह नगरी बसाता रहा , डरता रहा कि कहीं कोई सरकारी हुक्म इसको मिटटी में न मिला दे, पर जब एमएस रंधावा ने यह नगरी देखी तो उनका साथ दिया।
फ़िर नए चीफ कमिशनर टीएन चतुर्वेदी ने इन्हे पाँच हजार रुपए भी दिए और सीमेंट भी दिया और मदद के लिए कुछ सरकारी कारीगर भी दिए। काम जब अच्छे से होने लगा था तभी उनकी ट्रांसफर यहाँ से हो गई और नए कमिशनर ने आकर यह काम यह कह कर बंद करवा दिया कि फालतू का काम है। तीन साल तक यह काम बंद रहा। उसके बाद आए नए चीफ कमिशनर ने काम दोबारा शुरू करवाया और इन्हें जमीन भी दी।
इसके बाद नेकचंद ने दिन रात एक करके शहर में ऐसी कलाकृतियां तैयार कर दीं कि इस शहर में आने वाले लोग इनकी कलाकृतियों को देखे बिना वापस नहीं जाते थे। यहाँ चूडियों के टूटे टुकड़े से बनी गुडिया जैसे बोलने लगती है ,पहाडी प्रपात का माहौल अपने में सम्मोहित कर लेता है और तब लगता है कि ये पत्थर हमसे कुछ बातें करते हैं, बस जरूरत है इन्हें ध्यान से सुनने की।
जन्म दिन मनाया
16 दिसंबर 2014 को पद्मश्री नेकचंद जी ने रॉक गार्डन में अपना 90 वां जन्मदिन मनाया था। यह किसे मालूम था कि यह आयोजन उनके जन्मदिन का अंतिम था। नेकचंद ने जैसे ही 90 किलो का केक काटा तो सबसे पहले अपने पोते आहान को खिलाया था। ये बातें भले ही पुरानी रही हैं लेकिन आज भी जहन में ताजा हैं। अब इस महान क्रिएटर को हम कभी नहीं देख पाएंगे लेकिन इनकी कला को सदियों तक रॉक गार्डन के रूप देखते रहेंगे।