Automobile sector: सरकार के इस कदम से बच सकती हैं लाखों की नौकरी
बेंगलुरु। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इन दिनों मंदी से उभरने की कोशिश में लगी है। कंपनियां कछुए की चाल से चल रही बाजार को तेज रफ्तार देने में लगी हैं लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिल रही। ऐसे में ऑटोमोबाइल सेक्टर मोदी सरकार से जीएसटी को घटाए जाने की आखिरी उम्मीद लगाए बैठे हैं। उधर सरकार भी इसे लेकर असमंजस में हैं क्योंकि अगर ऑटोमोबाइल सेक्टर को मंदी से राहत देने के लिए वह यह कदम उठाती है तो उसे करोड़ो का घाटा सहना पड़ेगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता है ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 10 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है।
बता दें ऑटो इंडस्ट्री इस समय बुरे दौर से गुजर रही है। वाहनों की घटती डिमांड के कारण कार कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं। ऑटो सेक्टर में मंदी छाने और उत्पादन ठप होने वजह से लाखों लोगों की नौकरी को खतरा मंडरा रहा है।
ऑटो इंडस्ट्री को सरकार ये हैं उम्मीद
बता दें कि वाहनों की घटती डिमांड के कारण कार कंपनियां घाटे में चल रही हैं। यहां तक कंपनियों को प्रोडक्शन घटाना पड़ा और जिस कारण काफी कर्मचारियों को नौकरी गंवानी पड़ी। ऑटो इंडस्ट्री की ओर से कारों की सेल्स बढ़ाने के लिए जीएसटी गुड्स एंड सर्विसेज टेक्स में राहत देने की मांग की जा रही हैं। 20 सिंतबर को गोवा में जीएसटी काउंसिल की बैठक आयोजित होने वाली है। ऑटो इंडस्ट्री के लोगों की निगाहें बैठक पर टिकी हुई है। उन्हें उम्मीद हैं कि सरकार मंदी से उबारने के लिए उनके हित में उनके पक्ष में घोषणा करेगी।
30 हजार करोड़ रुपये का होगा नुकसान
हालांकि, केन्द्र और राज्य सरकारों के रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अगर सरकार ऐसा कोई कदम उठाती है तो उसे काफी राजस्व का नुकसान होगा। कर विभाग के आकलन के अनुसार, अगर 28 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 18 प्रतिशत करने के लिए ऑटोसेक्टर की डिमांड को मान लिया गया तो सरकार को जीएसटी रेवेन्यू में कम से कम 30 हजार करोड़ रुपये की नुकसान हो सकता है। बता दें इससे पहले कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्वीटिज की एक रिपोर्ट का आंकलन था कि अगर पूरे ऑटोमोबाइल सेक्टर में 10 प्रतिशत जीएसटी की छूट दी गई तो सरकार पर सलाना 45 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। बता दें कि टो पाहिया समेत सभी वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी की दर लागू होती है। इसे अलावा गाड़ी के मॉडल के आधार पर 1 से लेकर 22 प्रतिशत का सेस उपकर भी लगाया जाता है।
राज्य सरकार कर सकती हैं विरोध
राज्य सरकार के टैक्स अधिकारी के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी दरों में कटौती के असर पर विचार कर रही है। वहीं कई राज्य सरकार आगामी बैठक में जीएसटी कटौती के कदम का विरोध कर सकती है। 18 प्रतिशत जीएसटी कंपनसेशन एक्ट के तहत, उच्चतम स्लैब यानी 28 प्रतिशत के अलावा किसी अन्य श्रेणी में आने वाले उत्पादों पर सेस नहीं वसूला जा सकता । राज्य सरकार के नजरिए से टैक्स आय में होने वाला यह नुकसान बेहद अहम है क्योंकि उन्हें 2022 तक हर साल 14 प्रतिशत जीएसटी रेवेन्यू में इजाफे के दर से टैक्स वसूलना है।
ऐसा
हुआ
तो
10
लाख
लोगों
बच
जाएगी
नौकरी
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोएिशन ऑफ इंडिया यानी कि एसीएमए ने चेतावनी दी है कि अगर इस पर काबू न पाया गया तो 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एसीएमए ने सरकार से इसमें दखल देकर समूचे ऑटो सेक्टर के लिए 18 प्रतिशत की एक समान जीएसटी लगाने की मांग की है। एसीएमए के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी के अनुसार बीते कुछ महीनों में हर तरह के वाहनों की बिक्री में कमी देखी गई है। इसका सीधा प्रभाव ऑटो कंपोनेंट उद्योग पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय वाहन उत्पादन में हुई 15 से 20 फीसदी की कमी की वजह से इस तरह की गंभीर स्थिति पैदा हुई है। यही हालत रहे तो कंपनियां छंटनी पर मजबूर होंगी करीब 10 लाख नौकरियां जा सकती है। बता दें कि कम्पोनेंट इंडस्ट्री में करीब 70 प्रतिशत कर्मचारी संविदा पर होते हैं। इसलिए जब भी मांग में गिरावट आती है तो कर्मचारियों की संख्या घटर दी जाती है। अध्यक्ष के अनुसार सरकार को इस मामले में तत्काल दखल देने की जरुरत है।
ये हैं कारण
गाडियां और उनके पार्ट्स पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इससे गाडि़यों का उत्पादन मूल्य काफी बढ़ जाता है। पिछले छह महीने से देश में वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में कंपनियों मे उत्पादन ठप कर दिया है, और कर्मचारियों को भी छुट्टी पर भेज दिया है। दरअसल ऑटो सेक्टर में मंदी छााने का कारण हैं मांग में कमजोरी। इलेक्ट्रिक वाहन शुरु करने के लिए ठोस पॉलिसी का न होना, जिसके कारण कंपनियों ने अपने सभी निवेश पर रोक लगा दी है।
मारुति की इस कार की बिक्री रह गई आधी,
पिछले 15 सालों से अपने सेगमेंट में सबसे ज्यादा बिकने वाली मारुति सुजुकी की ऑल्टो की बिक्री में इतनी गिरावट आ चुकी है कि अगस्त 2019 में इस कार की बिक्री 54.48 फीसदी की गिरावट के साथ केवल 10,123 यूनिट्स रह गई। जबकि बीते साल अगस्त महीने में कंपनी ने ऑल्टो की 22,237 यूनाइट की बिक्री की थी।
ऑटोमोबाइल कंपनियों ने शुरू की भारी छूट की योजनाएं
मंदी की मार से जूझ रहे ऑटो उद्योग को राहत देने के लिए कंपनियां भारी छूट दे रही हैं, ताकि लोग सितंबर माह में गाड़ियों को खरीद सकें। कार, दोपहिया और ट्रक बनाने वाली कंपनियां काफी ज्यादा छूट दे रहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर ऑटो कंपनियों और इनके डीलर्स के पास पुराना स्टॉक पड़ा हुआ है, जिसको उन्हें हटाना है। स्टॉक होने के कारण कंपनियां भी उत्पादन न के बराबर कर रही हैं। जहां पहले कंपनियां पांच से लेकर के सात फीसदी तक डिस्काउंट देती थीं, वहीं अब कार-बाइक बेचने वाले डीलर 29 फीसदी तक और ट्रक मेकर 25 फीसदी तक की छूट दे रही हैं।
गाड़ियों पर चार लाख तक की छूट
मारुति, होंडा, टोयोटा, ह्यूंदै, रेनॉ और निसान जैसी कार बनाने वाली कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए 40 हजार रुपये से लेकर के चार लाख रुपये तक की छूट दे रही हैं। वहीं ट्रक निर्माता कंपनियां 3,75,000 रुपये की छूट छोटे व बड़े साइज के ट्रक पर दे रही हैं।
मारूति दे रही है इतनी छूट
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति अपनी सभी प्रमुख गाड़ियों पर 50 हजार रुपये से लेकर के 1,12,000 रुपये की छूट दे रही है। 4ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार गाड़ियों की मांग गिरती जा रही है। ऑफर्स और डिस्काउंट भी ग्राहकों को आकर्षित करने में असफल साबित हो रहे हैं। देश की तमाम बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपनी अगस्त महीने की सेल्स रिपोर्ट पेश की है।
Hyundai मोटर इंडिया
अगस्त महीने में Hyundai मोटर इंडिया घरेलू बाजार में 38,205 वाहनों की बिक्री की जबकि पिछले की अगस्त महीने में यह आंकड़ा 45,801 वाहनों की बिक्री का रहा था जिससे इस बार कंपनी को 16.58 फीसदी का नुकसान हुआ, लेकिन इस बार एक्सपोर्ट में कंपनी को 10.48 फीसदी का लाभ हुआ, पिछले साल जहां कंपनी ने 16,111 वाहनों को एक्सपोर्ट किया था वहीं इस बार अगस्त महीने में यह आंकड़ा 17,800 वाहनों का रहा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा
महिंद्रा एंड महिंद्रा की अगस्त महीने में कुल बिक्री 25 फीसदी गिरकर 36,085 वाहनों की रही। कंपनी के मुताबिक अगस्त में उसकी घरेलू बिक्री में 26 फीसदी का घाटा हुआ, कंपनी ने इस दौरान कुल 33,564 वाहनों की बिक्री की थी। जबकि बीते साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 45,373 वाहनों की बिक्री की थी। इतना ही नहीं कंपनी ने पिछले महीने 2,521 वाहनों का निर्यात किया जबकि पिछले साल की सामान अवधि में यह आंकड़ा 2,951 वाहनों का था। जिसकी वजह से कंपनी को इस बार 15 फीसदी का घाटा हुआ।
होंडा कार्स इंडिया
अगस्त महीने में होंडा कार्स इंडिया घरेलू बाजार में केवल 8,291 वाहनों की बिक्री जबकि बीते साल अगस्त महीने में कंपनी ने कुल 17,020 वाहन बेचे थे। नतीजा, इस बार कंपनी की बिक्री में इस बार 51.28 फीसदी का नुकसान हुआ। इसके अलावा कंपनी ने महज 227 वाहनों का निर्यात भी किया।
टाटा मोटर्स
बात टाटा मोटर्स की करें तो पिछले महीने कंपनी ने घरेलू बाजार में 29,140 वाहनों की बिक्री की थी जबकि बीते साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 57,210 वाहनों का रहा था। जिससे इस बार कंपनी को 49 फीसदी का नुकसान हुआ।
मारुति सुजुकी
अगस्त महीने में मारुति सुजुकी की बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अगस्त में मारुति की कुल बिक्री 32.7 फीसद घटकर 1,06,413 वाहनों रह गई। जबकि बीते साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 1,58,189 वाहनों की थी। जबकि घरेलू बाजार में कंपनी की बिक्री 34.3 फीसदी घटकर 97,061 वाहनों की रह गई।
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