वो पहली रिपोर्ट जिससे पता चला था संजय दत्त का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन
संभवत संजय दत्त उस दौर में अपने अपराध की गंभीरता को समझ नहीं पाए थे. बलजीत परमार कहते हैं, "दुनिया को लगता है कि मेरी ख़बर के चलते संजय दत्त गिरफ़्तार हुए, जबकि ऐसा नहीं है. मेरी ख़बर नहीं भी छपती तो भी संजय दत्त गिरफ़्तार होते, क्योंकि उन्हें हथियार पहुंचाने वालों ने पुलिस के सामने सब कुछ उगल दिया था."
हालांकि बलजीत परमार की स्टोरी ब्रेक होने के बाद मुंबई पुलिस के लिए इस हाई प्रोफ़ाइल केस में कार्रवाई करने के लिए दबाव ज़रूर बढ़ गया था
संजय दत्त के जीवन पर बनी फ़िल्म 'संजू' को सिने प्रेमियों ने हाथों-हाथ लिया है, महज़ तीन दिनों में फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर 100 करोड़ रूपये से बटोर लिए हैं.
फ़िल्म में संजय दत्त के जीवन के तमाम उतार चढ़ावों को उस अंदाज़ में फ़िल्माया गया है जिसके चलते फ़िल्म के मुख्य चरित्र के प्रति एक सहानुभूति का भाव उभरता है.
हालांकि इस फ़िल्म में मीडिया पर जमकर निशाना साधा गया है, फ़िल्म में ये दिखाने की कोशिश भी हुई है कि मीडिया रिपोर्टों के कारण ही संजय दत्त ऐसे मुक़दमे में फंस गए जिसके कारण उनको अपने जीवन में काफ़ी कुछ झेलना पड़ा.
फ़िल्म में संजय दत्त का क़िरदार हो या फिर उनका गुजराती दोस्त, दोनों एक अख़बार की कटिंग के साथ नज़र आए हैं, जिसका शीर्षक कुछ ऐसा है 'आरडीएक्स इन ए ट्रक पार्क्ड इन दत्त हाउस'?
लेकिन यह वो ख़बर नहीं थी जिससे दुनिया को मुंबई धमाकों में संजय दत्त के कनेक्शन का पता चला था.
जिस ख़बर से दुनिया को संजय दत्त के मुंबई धमाकों के कनेक्शन का पहली बार पता चला था वो ख़बर छपी थी 16 अप्रैल, 1993 को. ये ख़बर मुंबई के एक टैबलायड 'डेली' में छपी थी.
एके-56 थी संजू के पास
पहले पन्ने पर छपी ख़बर का शीर्षक था- 'संजय हैज़ ए एके-56 गन'. ये ख़बर लिखी थी मुंबई के क्राइम रिपोर्टर बलजीत परमार ने, उस वक्त अख़बार के संपादक हुआ करते थे रजत शर्मा.
बलजीत परमार को ये ख़बर कहाँ से मिली, इसके बारे में उन्होंने बीबीसी हिंदी को बताया, "वो 12 अप्रैल का दिन था, मुंबई में बम धमाकों के एक महीने पूरे हुए थे, तो मैं माहिम पुलिस स्टेशन गया था. बम धमाकों के मामले की जांच चल रही थी और पुलिस से कुछ सुराग मिलने की उम्मीद थी. बाहर ही एक आईपीएस अधिकारी मिल गए, मैंने पूछा कि नया क्या पता चला है, उन्होंने कहा कि आपके ही सांसद के बेटे का नाम आ रहा है."
बलजीत परमार ने अपना दिमाग दौड़ाना शुरू किया लेकिन उन्हें किसी सांसद या फिर उनके बेटे का नाम नहीं सूझा हालाँकि वे जिस इलाक़े में रह रहे थे वहां से तब सुनील दत्त सांसद हुआ करते थे.
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बलजीत कहते हैं, "दत्त साब की छवि ऐसी थी कि मैं उनके बारे में सोच भी नहीं रहा था. मैं उनको अच्छे से जानता भी था, उनकी पदयात्रा में मैं महाराष्ट्र में उनके साथ घूम चुका था, मेरे पंजाबी होने की वजह से उनसे एक तरह की आत्मीयता भी थी."
ऐसे में वो सांसद कौन है और उसका बेटा कौन हो सकता है, इसको जानने के लिए उसी रात उन्होंने माहिम पुलिस स्टेशन और मुंबई बम धमाके की जांच से जुड़े एक दूसरे पुलिस अधिकारी से बात की.
बलजीत परमार कहते हैं कि उन्होंने जानकारी पाने के लिए उस पुलिस अधिकारी के सामने एक तरह से ग़लत बयानी की थी. बलजीत परमार बताते हैं, "मैंने मामले की जांच कर रहे एक वरिष्ठ अफ़सर से कहा कि आप लोगों ने सांसद के बेटे को उठा लिया है पूछताछ कर रहे हैं, तो उस पुलिस अधिकारी ने कहा कि अभी उठाया नहीं है, वो कहीं शूटिंग के लिए बाहर हैं, आने पर देखेंगे."
बलजीत ने जैसे ही शूटिंग सुना, उन्हें समझते देर नहीं लगी कि ये मामला सुनील दत्त से जुड़ा हो सकता है क्योंकि उस वक्त उनके बेटे संजय दत्त बॉलीवुड के सितारों में एक थे.
संजय के दोस्तों ने उगले थे राज़
बलजीत को ये भी मालूम हो चुका था कि संजय दत्त 'आतिश' फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में मॉरीशस में थे.
इसके बाद बलजीत परमार ने पूरी कहानी जुटा ली. पुलिस सूत्रों से उन्हें वो सब मालूम हो गया था कि जिस पर उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था कि किस तरह से संजय दत्त के पास एके-56 जैसे हथियार रखे गए थे. ये सारी बातें समीर हिंगोरा और यूसुफ़ नलवाला ने मुंबई पुलिस को बताई थीं. ये दोनों उस वक्त संजय दत्त की फ़िल्म 'सनम' के प्रोड्यूसर थे.
इन दोनों से पूछताछ के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर अमरजीत सिंह समरा की प्रेस कांफ्रेंस में 12 अप्रैल को ही ये सवाल भी पूछा गया था कि क्या संजय दत्त की भी कोई भूमिका हो सकती है, उन्होंने तब इतना ही कहा था कि अभी जांच चल रही है.
शक़ और कयास के दौर में बलजीत परमार को सटीक जानकारी मिल रही थी.
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जॉगरनॉट पब्लिकेशन से इसी साल प्रकाशित हुई संजय दत्त की बायोग्राफ़ी 'द क्रेज़ी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ बॉलीवुड्स बैड बॉय' में भी बलजीत परमार और उनकी रिपोर्ट का जिक्र है. बायोग्राफ़र यासिर उस्मान ने लिखा है कि डेली टैबलायड के क्राइम रिपोर्टर बलजीत परमार को 14 अप्रैल को संजय दत्त ने मारीशस से फ़ोन किया था.
संजय दत्त के फ़ोन करने की वजह के बारे में बलजीत बताते हैं, "मेरी स्टोरी पूरी तैयार हो गई थी, लेकिन ट्रेनिंग ऐसी थी कि जब आप किसी पर आरोप लगाते हैं तो उसका पक्ष भी शामिल करते हैं. मैंने 13 अप्रैल को दत्त साहब के घर पर फ़ोन किया, पता चला वे घर पर नहीं हैं. मैंने उनके एक बेहद नजदीकी शख़्स से कहा कि मेरा दत्त साब से बात करना बेहद ज़रूरी है."
संजय दत्त का वो फ़ोन
"मुझे ये पता चला कि दत्त साब जर्मनी गए हुए हैं, जर्मनी में उनके एक दोस्त होते थे जय उलाल. वे फोटोग्राफ़र थे, मैं उन्हें जानता था. मैंने उनके यहां फ़ोन किया तो उन्होंने मुझे बताया कि दत्त साब लंदन के लिए निकल गए हैं."
"मुझे ये लग रहा था कि दत्त साब बात करने में हिचक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आशंका थी कि ये स्टोरी किसी और को नहीं मिल जाए. ऐसे में 14 अप्रैल को सुबह आठ बजे के क़रीब संजय दत्त का फ़ोन घर के लैंडलाइन पर आया, मोबाइल का ज़माना था नहीं."
"संजय ने मुझसे पूछा कि आप कुछ इन्क्वायरी कर रहे हो, दत्त साब तो बाहर हैं, क्या बात है? मैंने उन्हें बताया कि समीर हिंगोरा और यूसुफ़ नलवाला ने पुलिस के सामने सब कुछ बता दिया है कि किस तरह से आपके पास एके-56 और हैंड ग्रेनेड मिला था. अब पर पुलिस का शिकंजा आप पर कसने वाला है. संजय ने कहा- ऐसा नहीं हो सकता."
हालांकि कुछ घंटों के बाद लैंडलाइन के फ़ोन पर संजय दत्त फिर से बलजीत से बात कर रहे थे. इस बातचीत के बारे में बलजीत बताते हैं, "संजय ने पहले तो कहा कि आपके पास ग़लत ख़बर है, आप ब्लैकमेल कर रहे हो लेकिन मैंने कहा कि जिन लोगों ने आपको हथियार दिया है, उन लोगों ने पुलिस के सामने आपका नाम ले लिया है, मैं क्या ब्लैकमेल करूंगा आपको."
"फिर उन्होंने पूछा कि अब क्या हो सकता है, मैंने उनसे कहा कि अगर हथियार पास में हैं तो आप सरेंडर कर दो, हथियार के साथ, किसी स्टाफ से पुलिस के पास हथियार जमा करवा दो, आत्मसमर्पण करने पर आपके साथ रियायत हो सकती है लेकिन अगर पुलिस ने आपके घर से हथियार पकड़ लिया तो फिर आप टाडा में लंबा फंस जाओगे. "
बलजीत ने 15 अप्रैल को मुंबई कमिश्नर समरा को संजय दत्त से हुई बातचीत का ब्योरा दिया, तो समरा ने उनसे कहा कि संजय दत्त से उनकी भी बातचीत हुई और वो जांच में सहयोग देने की बात कह रहे हैं.
संजय दत्त हुए गिरफ़्तार
इतनी मशक्कत के बाद 15 अप्रैल को बलजीत परमार ने वो स्टोरी लिखी, जो उनके अख़बार में लीड रिपोर्ट के तौर पर छपी, 'संजय दत्त हैज़ एके-56 गन'. इसमें उन्होंने उन सारी बातों का ब्यौरा लिख दिया.
इस ख़बर से सनसनी मचनी ही थी. पूरी दुनिया को मालूम चल चुका था कि संजय दत्त के रिश्ते मुंबई में धमाका करने वालों से रहे हैं. बलजीत कहते हैं, "दत्त साब की ओर से राम जेठमलानी ने एक करोड़ का नोटिस भेज दिया था. दूसरे अख़बारों ने लिखा कि ये रिपोर्ट ग़लत है. लेकिन मुंबई पुलिस कमिश्नर ने इस ख़बर पर नो कमेंट कहा."
संजय दत्त मॉरीशस से 19 अप्रैल को लौटे. वो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे और मुंबई पुलिस ने उन्हें वहीं से हिरासत में लिया.
दरअसल, संजय दत्त ने बलजीत की सलाह पर अमल नहीं किया था, उन्होंने अपने दोस्तों के ज़रिए हथियार नष्ट करने की कोशिश की.
संजय दत्त की बायोग्राफ़ी में यासिर उस्मान ने संजय दत्त के हवाले से लिखा है, "मैंने अपने दोस्त यूसुफ़ नलवाला को 14 अप्रैल को फ़ोन किया था, उससे अपने रूम में रखे हथियार को नष्ट करने को कहा था."
यूसुफ़ नलवाला ने पुलिस को बताया था कि कैसे उसने संजय के कमरे से एके-56 लेकर उसे टुकड़ों में काटकर अपने एक स्टील कारोबारी दोस्त के यहां गलाने का प्रयास किया था.
स्टोरी नहीं होती तो भी...
संभवत संजय दत्त उस दौर में अपने अपराध की गंभीरता को समझ नहीं पाए थे. बलजीत परमार कहते हैं, "दुनिया को लगता है कि मेरी ख़बर के चलते संजय दत्त गिरफ़्तार हुए, जबकि ऐसा नहीं है. मेरी ख़बर नहीं भी छपती तो भी संजय दत्त गिरफ़्तार होते, क्योंकि उन्हें हथियार पहुंचाने वालों ने पुलिस के सामने सब कुछ उगल दिया था."
हालांकि बलजीत परमार की स्टोरी ब्रेक होने के बाद मुंबई पुलिस के लिए इस हाई प्रोफ़ाइल केस में कार्रवाई करने के लिए दबाव ज़रूर बढ़ गया था, जो संजय दत्त के रसूख़ से कहीं ज्यादा बड़ा साबित हुआ.
बलजीत परमार कहते हैं, "16 अप्रैल की उस स्टोरी के बाद दत्त साब ने कभी मुझसे बात नहीं की, संजय दत्त ने भी नहीं की."
बलजीत 2011 में पत्रकारिता से रिटायर हो चुके हैं और मुंबई में रहते हैं.