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निर्भया केस: दोषियों के परिजनों की इच्‍छा-मृत्यु की मांग क्या मानी जाएगी, जानें क्या है नियम

The family members of Nirbhaya's convicts have asked for mercy death, know what is the rule regarding euthanasiaनिर्भया के दोषियों के परिजनों ने मांगी है इच्‍छा-मत्यु, जानें क्या है इच्‍छा मृत्यु यानी यूथेनेशिया को लेकर भारत में क्या है नियम

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बेंगलुरु। दिल्ली के निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में 20 मार्च को चारों दरिंदों को फांसी पर लटकाया जाएगा। लेकिन उनके परिजनों ने अब राष्‍ट्रपति को चिट्ठी लिखकर अपने लिए इच्‍छा मृत्यु की मांग की हैं। इसके लिए दोषियों के परिजनों में से 13 लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

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Nirbhaya Case : Convicts की Families ने लिखा Letter, President से की ये मांग | वनइंडिया हिंदी
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बता दें निर्भया के दोषी फांसी की सजा से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहे हैं। कुछ ऐसी ही चाल अब उनके परिजनों ने चली है। मालूम हो कि इच्छा मृत्यु की मांग करने वालों में दोषी मुकेश के परिवार के दो लोग, दोषी पवन और विनय के परिवार के चार-चार लोगों ने और दोषी अक्षय के परिवार के तीन सदस्‍यों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता हैं कि क्या परिजनों के द्वारा की जा रही मांग क्या वाजिब हैं? आइए जानते हैं भारत में इच्‍छा मृत्यु को लेकर क्या नियम हैं क्या कहता हैं भारत का कानून?

कानून बनने तक प्रभावी रहेंगे कोर्ट के निर्देश

कानून बनने तक प्रभावी रहेंगे कोर्ट के निर्देश

शीर्ष अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में असाध्य रोग से ग्रस्त मरीजों की स्वेच्छा से मृत्यु के चुनाव की वसीयत को मान्यता दी थी और साथ ही सरकार को इस संबंध में कानून बनाने का निर्देश दिया था। साथ ही कुछ दिशानिर्देश दिए थे जो इस संबंध में कानून बनने तक प्रभावी रहेंगे। कोर्ट ने कहा कि लोगों को सम्मान से मरने का पूरा हक है। लिविंग विल' एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। पैसिव यूथेनेशिया (इच्छामृत्यु) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति के जीवनरक्षक सपोर्ट को रोक अथवा बंद कर दिया जाय।

 क्या होती हैं इच्‍छा मृत्यु

क्या होती हैं इच्‍छा मृत्यु

मेडिकल साइंस में इच्छा-मृत्यु यानी यूथेनेशिया को किसी की मदद से आत्महत्या और सहज मृत्यु या बिना कष्ट के मरना होता है। क्लिनिकल दशाओं के मुताबिक़ इसे परिभाषित किया जाता है। किसी लाइलाज और पीड़ादायक बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को निष्क्रिय रूप से इच्छामृत्यु दी जाती है। इच्‍छा मृत्यु भी दो प्रकार की होती है पैसिव और ऐक्टिव इच्छामृत्यु ऐक्टिव इच्छामृत्यु का अर्थ होता है इंजेक्शन या किसी अन्य माध्यम से पीड़ित को मृत्यु देना।

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भारत में इच्‍छा मृत्यु को लेकर क्या है नियम

भारत में इच्‍छा मृत्यु को लेकर क्या है नियम

बता दें भारत में पहले किसी भी हालत में इच्‍छा मृत्यु की अनुमति नहीं थी हमारे संविधान की कुछ धाराएं इसकी अनुमति नहीं देती थी। जिस कारण भारत में लंबे समय इस पर चर्चा होती रही। लेकिन मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 'निष्क्रिय इच्छामृत्यु' और 'लिविंग विल' को कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे दी हैं। कोर्ट ने संविधान पीठ ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था। जिसमें उसने कहा था कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि कब वह आखिरी सांस ले।

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परिजनों ने चिट्ठी में लिखी है ये बात

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बता दें इच्छा मृत्यु की मांग के इस पत्र में उन्‍होंने लिखा है 'हम आपसे (राष्ट्रपति) और पीड़िता के माता-पिता से इच्छा मृत्यु के हमारे अनुरोध को स्वीकार करने की अपील करते हैं ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोका जा सके। इसमें आगे कहा गया है कि इसके बाद अदालतों को एक की जगह पर पांच लोगों को फांसी नहीं देनी होगी। इस पत्र में कहा गया है, 'कोई पाप नहीं है जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। हमारे देश में, यहां तक ​​कि एक महापापी को भी माफ कर दिया जाता है।'

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सुप्रीम कोर्ट ने केवल पैसिव इच्छामृत्यु की अनुमति दी है

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हालांकि 'लिविंग विल' अर्थात मौत की वसीयत पर कुछ लोगों ने आशंका जताई है कि इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पैसिव इच्छामृत्यु की अनुमति दी है, ऐक्टिव की नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने किसी ऐसे विशेष रोग का उल्लेख नहीं किया है. अगर डॉक्टर्स को लगता है कि पीड़ित के स्वस्थ होने की कोई आस नहीं बची है तो उसके परिवार वालों से सलाह करके निष्क्रिय इच्छामृत्यु दी जा सकती है।

राष्‍ट्रपति क्या सुनेगे परिजनों की ये मांग

राष्‍ट्रपति क्या सुनेगे परिजनों की ये मांग

ऐसे में साफ हो चुका हैं निर्भया के चारों दोषियों के परिजनों ने राष्‍ट्रपति को जो अपने लिए जो इच्‍छा मृत्यु की मांग की है उसका भारत में उसको लेकर कोई प्रवधान ही नही हैं। ये पत्र सिर्फ चारों दरिंदों की फांसी टलवाने को लेकर चला गया एक और पैतरा हैं। कानून के अनुसार राष्‍ट्रपति इस मांग को सिरे से खारिज कर देंगे क्योंकि दोषियों के परिजन जिन्‍होंने ये मांग की है उनमें से कोई भी मरणासन जैसी स्थिति में नही है।

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English summary
The family members of Nirbhaya's convicts have asked for mercy death, know what is the rule regardingeuthanasia
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