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राहुल गांधी की कांग्रेस की कप्तानी किस हद तक सफल रही: नज़रिया

कांग्रेस यह सब कर खुद को राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश तो ज़रूर कर रही है पर वैकल्पिक राजनीति करने वाले की तरह खुद को पेश नहीं कर पा रही है.

राहुल गांधी अब खुद के नाम कई उपलब्धियां गिना सकते हैं. जिस तरह से उन्होंने तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों का चुनाव किया, उससे यह संदेश जाता है कि नेतृत्व में अगर युवा आते हैं तो पुराने लोगों के अनुभव को नज़रअंदाज नहीं किया जाएगा

By BBC News हिन्दी
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राहुल गांधी
Getty Images
राहुल गांधी

राहुल गांधी ने वैसे तो उपाध्यक्ष रहते हुए अपने कार्यकाल के आखिरी डेढ़ साल में ही पार्टी की बागडोर संभाल ली थी, मगर औपचारिक तौर पर उन्होंने साल भर पहले ही 16 दिसंबर को अपनी माँ से पार्टी के अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी ली.

उनके एक साल पूरा करने से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी तीन हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने में सफल रही.

राहुल गांधी के लिए इस जीत से बेहतर उपहार कुछ नहीं हो सकता है.

राहुल गांधी
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राहुल गांधी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने निर्णायक जीत हासिल की है. पार्टी न सिर्फ़ प्रतिद्वंद्वी पार्टी को हार का स्वाद चखाया, बल्कि वोट शेयर और ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर मजबूत वापसी की है.

यहां कांग्रेस और बीजेपी को प्राप्त वोटों के बीच बड़ा अंतर था और यह जीत चुनावी इतिहास में सबसे बड़ी जीत साबित हुई है.

बीजेपी की हार उल्लेखनीय है क्योंकि पार्टी ने ग़रीबों के लिए शासन के मॉडल का प्रदर्शन किया था और उसकी उपलब्धियां गिनाई थी.

राहुल गांधी
Mujeeb Faruqui/Hindustan Times via Getty Images
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लोकसभा चुनाव में क्या हो सकता है?

ग्रामीण और कृषि संकट के इस समय में इस जीत से आगामी आम चुनावों में क्या हासिल होने के संकेत मिलते हैं: बीजेपी विरोधी वोट पर तेलंगाना के चुनावी परिमाण यह बताते हैं कि ये वोट कांग्रेस के पक्ष में पूरी तरह नहीं हो सकते हैं.

राजस्थान और मध्य प्रदेश की बात करें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुक़ाबला कांटे का था. वोट शेयर में मध्य प्रदेश में बीजेपी कांग्रेस से आगे थी, लेकिन अंततः कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही.

इसके लिए कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों की मदद ली और ये उम्मीद की जा रही है कि वो इन्हें 2019 के लिए साथ लेकर चलेंगे.

2018 की तरफ़ लौटते हैं, कांग्रेस की इस जीत ने आम चुनावों से पहले पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा है और उन सभी शंकाओं को दूर किया है, जो राहुल गांधी के बतौर अध्यक्ष की योग्यता पर सवाल उठाते थे.

यह जीत उनकी नेतृत्व क्षमता की स्वीकार्यता को बढ़ाएगी.

इन तीन राज्यों के 65 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 59 पर काबिज है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों की तरह वोटिंग पैटर्न आगे रहा तो यह उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में 33 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. फिलहाल इन तीनों राज्यों से कांग्रेस के महज 6 सांसद हैं.

राहुल गांधी
Himanshu Vyas/Hindustan Times via Getty Image
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फरवरी में भी जीते थे कांग्रेसी

विधानसभा चुनावों में इस जीत ने दूसरे दलों के उन सवालों पर भी विराम लगा दिया है कि 2019 में बीजेपी विरोध गठबंधन की धुरी क्या होगी.

हाल ही में डीएमके के एमके स्टालिन और एनसीपी के शरद पवार ने राहुल के समर्थन में आवाज़ उठाई है. एमके स्टालिन ने राहुल गांधी को विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है.

पिछले एक साल में कांग्रेस गुजरात जैसे राज्य में अपनी सीट और वोट शेयर बढ़ाने में सफल रही है. कर्नाटक में भी वो सरकार में है. ये सबकुछ राहुल गांधी के नेतृत्व में हुआ है.

इस साल फरवरी में राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. ये चुनाव अलवर और अजमेर में हुए थे.

लेकिन दिसंबर की जीत इन सभी जीतों से कई मायनों में अलग है.

साल 2013 के दिसंबर में पार्टी जिस तरह से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में सत्ता से हाथ गंवाई थी, वो पार्टी को काफ़ी नीचे ले गई.

इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी के महज़ 44 उम्मीदवार ही लोकसभा पहुंच पाए.

01 दिसंबर 2013 को राजस्थान चुनावों के परिणाम आए थे. पार्टी 96 से खिसक कर 21 सीटों के ग्राफ़ पर चली गई थी.

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Arvind Yadav/Hindustan Times via Getty Images
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राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस प्रदर्शन कर पाएगी?

दिल्ली पर कांग्रेस ने 15 सालों तक लगातार शासन किया. यहां कांग्रेस के ख़िलाफ़ लोगों में गुस्सा था, जिसका फ़ायदा एक नई पार्टी आम आदमी पार्टी को मिला और वो सत्ता में आने में कामयाब रही.

2015 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया और कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. जनता ने कांग्रेस को दिल्ली के सभी 70 सीटों से बेदखल कर दिया.

मध्य प्रदेश में दस सालों के शासन के प्रति नाराज़गी के बाद भी साल 2013 में बीजेपी सत्ता में आने में कामयाब रही. पार्टी ने कुल 230 सीटों में से 165 पर जीत दर्ज की.

कांग्रेस के लिए वो पांच साल का वनवास ख़त्म हो चुका है. हालांकि बिना प्रमाण के यह कहना भी उचित नहीं होगा कि 2019 में राष्ट्रीय फलक पर वो ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएगी.

साल 2014 में बीजेपी ने 282 और 44 सीटों के बीच का जो अंतर बनाया था, उसे पांच सालों में पाटना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है.

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राहुल गांधी

रणनीति

मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों से पहले कांग्रेस ने किसानों की कर्ज़ माफ़ी और रोजगार सृजन का वादा किया था, जिसे पूरा करना कांग्रेस सरकारों के लिए आसान नहीं होगा.

हालांकि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज़ को माफ़ कर दिया है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने बीजेपी के वोटरों को रिझाने के लिए सभी 23 हज़ार ग्राम पंचायतों में गोशाला बनाने का वादा किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले एक साल से मंदिरों के चक्कर लगा रहे हैं. उन पर सॉफ़्ट हिंदुत्व अपनाने का भी आरोप लगता रहा है.

चुनाव जीतने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश की कुर्सी पर कमलनाथ को बिठाया, जिन पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं.

कांग्रेस यह सब कर खुद को राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश तो ज़रूर कर रही है पर वैकल्पिक राजनीति करने वाले की तरह खुद को पेश नहीं कर पा रही है.

राहुल गांधी अब खुद के नाम कई उपलब्धियां गिना सकते हैं. जिस तरह से उन्होंने तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों का चुनाव किया, उससे यह संदेश जाता है कि नेतृत्व में अगर युवा आते हैं तो पुराने लोगों के अनुभव को नज़रअंदाज नहीं किया जाएगा.

लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी और अमित शाह का मुकाबला करने के लिए उन्हें एक मजबूत गठबंधन बनाना होगा, जो राज्यों में एक बेहतर चुनौती दे सके. राहुल को उन पार्टियों को भी साथ लेकर चलना होगा, जहां दूसरे पार्टियों की पकड़ कांग्रेस से अधिक है.

BBC Hindi
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English summary
The extent to which Rahul Gandhis Congress leadership was successful Nazeeria
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