कार्यकारी परिषद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने के प्रस्ताव को ठुकराया, MHRD ने मांगी थी राय
नई दिल्ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद ने सोमवार को आधिकारिक रूप से बयान जारी कर कहा है कि वह प्रयागराज जिले के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम प्रयागराज विश्वविद्यालय रखने के खिलाफ है। पूरब के आक्सफोर्ड के नाम से मशहूर केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम बदलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और छात्रों और शिक्षकों ने विश्वविद्यालय का नाम बदलने को लेकर एतराज जताया था।
गौरतलब है केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव मांगा है। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ओर से इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था, जिसके बाद जिले के पुराने नाम वाले संस्थानों और कार्यालयों के नाम बदले जा रहे हैं।
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दरअसल, एमएचआरडी ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर संस्थान का नाम प्रयागराज केंद्रीय विश्वविद्यालय किए जाने के लिए कार्य परिषद के सदस्यों की राय सहित एक प्रस्ताव मांगा था और सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्याल कार्यकारी परिषद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम बदलने को के खिलाफ फैसला सुना दिया है।
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माना जा रहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद ने नाम बदलने को लेकर शिक्षकों और छात्रों द्वारा एमएचआरडी के प्रस्ताव के विरोध में उक्त फैसला लिया है। शिक्षक और छात्रों का कहना था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अपनी पहचान है, लिहाजा इसमें बेवजह दखल नहीं होना चाहिए। उधर, समाजवादी पार्टी के एमएलसी वासुदेव यादव ने एमएचआरडी के प्रस्ताव के विरोध में राष्ट्रपति को पत्र लिखा था।
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राष्ट्रपति को पत्र लिखने वाले एमएलसी वासुदेव यादव का कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र देश और दुनियां भर में रहते हैं. विश्वविद्यालय का नाम बदले जाने पर उसका असर उनकी डिग्री पर भी पड़ेगा. इसके लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. इसमें करोड़ों रुपए खर्च होंगे, लिहाजा यह फैसला वापस लेना चाहिए।
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उल्लेखनीय है कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर ने इविवि प्रशासन के समक्ष विश्वविद्यालय का नाम 'प्रयागराज विश्वविद्यालय' किए जाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद इविवि प्रशासन ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिए थे। इस बाबत पूर्व कमिश्नर डॉ. आशीष गोयल की ओर से 27 नवंबर 2019 को पहली बार इविवि प्रशासन को पत्र भेजा गया था।