ईवीएम विवाद में पुराने आंकड़ों का मायाजाल
ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा चुकी बसपा ने ट्विटर पर एक और गंभीर आरोप लगाया है. लेकिन सच क्या है?
ईवीएम को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में पिछले दिनों मायावती की पार्टी बसपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से उत्तर प्रदेश के हापुड़ विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया.
पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव आयोग ये बताए कि कैसे आंकड़ों में ये हेराफेरी हुई है.
बसपा के इस ट्वीट में दावा किया गया है कि हापुड़ विधानसभा क्षेत्र में 296679 मतदाता हैं. ये भी बताया गया है कि वहाँ 67.8 प्रतिशत वोटिंग हुई. यानी 201148 लोगों ने मतदान किया, जबकि 222655 वोट काउंट हुए. बसपा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से पूछा है कि बाक़ी के 21507 वोट किसको गए.
बसपा के इस ट्वीट पर कई लोगों ने जहाँ उत्तर प्रदेश के चुनाव पर सवाल उठाए हैं, तो कई लोगों ने इसे हार की खीझ बताई है.
लेकिन बीबीसी ने बसपा के इस दावे का सच जानने की कोशिश की. हमने हापुड़ के ज़िला सहायक निर्वाचन अधिकारी श्रणव कुमार त्यागी से बात की और उनसे आँकड़ों के बारे में जानकारी मांगी.
निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक़ हापुड़ विधानसभा क्षेत्र में 344.157 मतदाता हैं. उन्होंने ये भी बताया कि नोटा को छोड़कर इस विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में 221711 वैध मत डाले गए. जबकि 944 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था.
यानी बसपा ने जो दावा किया था, वो पूरी तरह ग़लत निकला. दरअसल बसपा ने मतदाताओं की जो संख्या बताई थी, वो 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान की थी, जो पार्टी ने विकीपीडिया से उठाई थी. लेकिन विकीपीडिया पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि ये आँकड़े 2012 के हैं.
पाँच सालों के दौरान ज़ाहिर है मतदाताओं की संख्या बढ़ी है. इसी 2012 के आंकड़ों के कारण बसपा ने हापुड़ के नतीजे पर भी सवाल उठा दिए और यह भी दावा कर दिया कि वहाँ भारी गड़बड़ी हुई है.
लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने इसकी पुष्टि कर दी है कि दरअसल बसपा के दावे में गड़बड़ी कहाँ है.
चुनावी नतीजों के दिन ही बसपा प्रमुख मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया. बाद में समाजवादी पार्टी ने भी दबे स्वर में मायावती की हाँ में हाँ मिलाई.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस पर सवाल उठाए. लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ने दोबारा प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इस मुद्दे को और हवा दी और विरोध प्रदर्शन की भी बात की. हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों से पहले ही इनकार किया है.