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सिख दंगों के दाग धोने के लिए पूर्व पीएम को डिटर्जेंट के रूप में इस्तेमाल कर रही है कांग्रेस!

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बेंगलुरू। पिछले एक दशक में केंद्र और राज्यों की सत्ता से नेस्तनाबूद हो चुकी कांग्रेस अब पुराने पाप धोने में लगी है। पिछले 60 वर्षों तक देश और राज्यों पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी की छवि देश में बेहद खराब है। यही कारण है कि कभी पूरे देश में शासन करने वाली कांग्रेस अब महज 5 राज्यों में सिमट चुकी है।

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यूपीए-1 और यूपीए 2 के कार्यकाल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार के दर्जनों आरोप लगे, जिसकी कांग्रेस की साख पर बट्टा हुआ है। इसके अलावा कांग्रेस शासन काल में देश में थोपे गए आपातकाल और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में हुए सिखों के नरसंहार कांग्रेस को उबरने का मौका नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस अब एक-एक करके उन धब्बों पर डिटर्जेंट लगाने की कोशिश मे जुट गईं।

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चूंकि कांग्रेस के देश के अंदर अपनी कोई साख बची नहीं है और न कोई नेतृत्व ही बचा है। इसलिए कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की साख के जरिए सत्ता के ताज तक पहुंचने की सीढ़ी बनाने की कोशिश में जुट गई है। इस काम में कांग्रेस ने मनमोहन सिंह का बखूबी इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस को आम जनता को अपनी बातों पर भरोसा दिलाने के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का सामने लेकर आती है। यह अलग बात है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो उनके ही कार्यकाल में देश में सबसे बड़ा कोयला घोटाला हुआ था।

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हाल में कांग्रेस ने 1984 सिख दंगा मामले में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को फिर आगे किया है। एक बयान में डा. मनमोहन सिंह ने कहा कि दिल्ली में जब 84 के सिख दंगे हो रहे थे, पूर्व पीएम आईके गुजराल तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पास गए थे और राव से कहा था कि हालात बेहद गंभीर है और सरकार को जल्द से जल्द सेना को बुलाने की जरूरत है, लेकिन तत्कालीन सरकार ने गुजराल की सलाह पर गौर नहीं किया, जिससे पूरे देश में 3000 से अधिक सिखों का नरसंहार हुआ था।

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मनमोहन सिंह की साख के जरिए ताज का सपना देख रही कांग्रेस भूल गई कि उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। कांग्रेस देश को यह भी भुलाने की कोशिश कर रही थी कि राजीव गांधी ने तब सिख नरसंहार का यह कहकर समर्थन किया था कि 'जब बडा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है' निः संदेह कांग्रेस पाप धोने के उपक्रम में लगी है। यही कारण है कि वह इतिहास बदलने की कोशिश में हैं। लेकिन कांग्रेस यह भी भूल रही है कि उसके पास नेतृत्व करने वाले नेता की कमी है और राहुल गांधी के नाम पर कांग्रेस केंद्र क्या राज्य में भी सत्ता के आसपास नहीं पहुंच सकती है।

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उल्लेखनीय है 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई शहरों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। देश भर 3 हजार से अधिक सिख मारे गए। अकेले दिल्ली में 2 हजार सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने की थी, लेकिन सिख अंगरक्षकों की गलती का खामियाजा पूरे सिख समुदाय को चुकाना पड़ा था। सिख विरोधी दंगों की आग को भड़काने में पूर्व पीएम राजीव गांधी के बयान ने घी डालने का काम किया था, जिन्हें चमकाने और बचाने के लिए अब गांधी परिवार डिटर्जेंट का इस्तेमाल कर रही है।

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यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पार्टी की छवि को चमकाने के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के ईमानदारी छवि का इस्तेमाल कर रही है। इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी मनमोहन सिंह की साख का इस्तेमाल केंद्र में शासित मोदी सरकार पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करती रही है। जब-जब कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करना होता है तो कांग्रेस मनमोहन सिंह को अगली पंक्ति में बैठाना नहीं भूलती है, क्योंकि गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी की छवि आम जनता की बीच ऐसी बन चुकी है कि जनता उनकी बातों पर भरोसा नहीं करती है। यही कारण है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह कांग्रेसी नैया की खिवैया बने हुए हैं।

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हालांकि कांग्रेसी नैया के खिवैया बने मनमोहन सिंह की साख को बट्टा लग रहा है, क्योंकि करीब 35 वर्ष बाद सिख दंगों का ठीकरा पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के सिर पर फोड़ने वाले मनमोहन सिंह के हालिया बयान पर पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने आपत्ति दर्ज की है। एनवी सुभाष ने कहा कि वो मनमोहन सिंह के बयान से बेहद आहत हैं।

उन्होंने कहा कि अगर वो नरसिम्हा राव को सिख दंगे के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो उन्हें इसके लिए राजीवा गांधी को भी दोषी ठहराना चाहिए, क्योंकि अगर राजीव गांधी सिख दंगे से आहत थे तो उन्हें नरसिम्हा की कैबिनेट में शामिल नहीं होना चाहिए था। उन्होंने मनमोहन सिंह से उनके बयान के लिए नरसिम्हा परिवार से बिना शर्त माफी मांगने की अपील भी की है।

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निः संदेह सिख दंगों के लिए नरसिम्हा को दोषी ठहराकर कांग्रेस राजनीति कर रही है और इसके जरिए कांग्रेस पर लगे सिख दंगों के दागों पर मनमोहन सिंह के जरिए डिटर्जेट डालकर साफ करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस का यह दांव उल्टा पड़ता हुआ दिख रहा है।

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इससे कांग्रेस की कवायद ही नहीं फेल होगी, बल्कि तुरूप के इक्का कहे जाने वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की छवि और साख दोनों धूमिल हो रही है। कांग्रेस को अच्छी तरह से मालूम हो कि जनता से संवाद करने के लिए उनके पास अभी मनमोहन सिंह ही एक कड़ी है, जिन्हें जनता सुनना पंसद करती है और उनके बातों पर भरोसा भी करती है, लेकिन मनमोहन सिंह का डिटर्जेंट की तरह इस्तेमाल कर कांग्रेस अपनी आगे की राह और मुश्किल कर लिया है।

यह भी पढ़ें- पूर्व PM मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख दंगे को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा-अगर मानी होती गुजराल की सलाह तो न होता दंगा

Comments
English summary
During the tenures of UPA-1 and UPA-2, the Congress-led government faced dozens of allegations of corruption, which has damaged the credibility of the Congress. Also, the Emergency imposed in the country during the Congress regime and the massacre of Sikhs in the country after the assassination of former Prime Minister Indira Gandhi are not giving the Congress a chance to recover. This is the reason that Congress has now started trying to apply detergents on those spots one by one.
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