क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर का पूरा सच

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली की जिन्ना की तस्वीर पर बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने नाराज़गी ज़ाहिर की है.

अलीगढ़ से सांसद सतीश गौतम की ट्वीट की हुई ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने एएमयू कुलपति तारिक मंसूर को चिट्ठी लिखकर जिन्ना की तस्वीरों के बारे में जानकारी मांगी है. चिट्ठी में पूछा गया है, ''किस वजह से देश का बंटवारा करने वाले की तस्वीर एएमयू में लगी हुई है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
BBC
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली की जिन्ना की तस्वीर पर बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने नाराज़गी ज़ाहिर की है.

अलीगढ़ से सांसद सतीश गौतम की ट्वीट की हुई ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने एएमयू कुलपति तारिक मंसूर को चिट्ठी लिखकर जिन्ना की तस्वीरों के बारे में जानकारी मांगी है. चिट्ठी में पूछा गया है, ''किस वजह से देश का बंटवारा करने वाले की तस्वीर एएमयू में लगी हुई है. तस्वीर लगाने की मजबूरी क्या है?''

बीबीसी से बात करते हुए एएमयू के पीआरओ उमर पीर ज़ादा ने कहा, ''एएमयू प्रशासन को सांसद सतीश गौतम की तरफ से ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है.''

बीबीसी ने सांसद सतीश गौतम से फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया. हालांकि सतीश गौतम के ट्विटर पर नज़र दौड़ाएं तो वो इस मुद्दे से जुड़ी ख़बरों को ट्वीट कर रहे हैं.

अब सवाल ये है कि क्या वाकई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है?

कब और कहां लगी है जिन्ना की तस्वीर?

एएमयू में इतिहास के प्रोफ़ेसर मोहम्मद सज्जाद कहते हैं, ''एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर साल 1938 से लगी हुई है, जब जिन्ना को आजीवन सदस्यता दी गई थी. ये आजीवन मानद सदस्यता एएमयू स्टूडेंट यूनियन देता है. पहली सदस्यता महात्मा गांधी को दी गई थी. बाद के सालों में डॉ भीमराव आंबेडकर, सीवी रमन, जय प्रकाश नारायण, मौलाना आज़ाद को भी आजीवन सदस्यता दी गई. इनमें से ज़्यादातर की तस्वीरें अब भी हॉल में लगी हुई हैं.''

ऐसे में सवाल ये कि 80 साल बाद एएमयू में जिन्ना की तस्वीर पर बवाल क्यों हो रहा है?

मोहम्मद सज्जाद ने कहा, ''जो लोग बंटवारे में जिन्ना की भूमिका को लेकर ये सवाल कर रहे हैं कि 1947 के बाद से इस तस्वीर को हटाया क्यों नहीं गया. एएमयू इतिहास को मिटाने में यकीन नहीं रखता है. जैसे कि आजकल आप ऐतिहासिक इमारतों के साथ होता देख रहे हैं.''

जिन्ना की तस्वीर पर विवाद को सज्जाद राजनीति से जोड़कर देखते हैं.

वो कहते हैं, ''एएमयू में आज यानी 2 मई को हामिद अंसारी को आजीवन मानद सदस्यता दी जानी है. हामिद अंसारी को इन लोगों ने पहले से ही साइड किया हुआ है. सोच ये भी है कि भारत के मुसलमानों को गिल्ट में डालो. गिल्ट कि मुस्लिम बंटवारे के लिए ज़िम्मेदार हैं और देशविरोधी हैं. ताकि इसके नाम पर ध्रुवीकरण किया जा सके. कैराना उपचुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव सामने हैं. बेरोजगारी, मंहगाई पर कुछ किया नहीं है. बस ध्रुवीकरण करना ही इनका मकसद है.''

जिन्ना
AFP
जिन्ना

जिन्ना की तस्वीर और एएमयू छात्रसंघ की भूमिका...

एएमयू में आजीवन सदस्यता छात्रसंघ की ओर से दी जाती है. हालांकि हर साल जिन लोगों को आजीवन सदस्यता दी जाए, उनकी तस्वीर लगे ये ज़रूरी नहीं है.

एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने लिखा, ''स्टूडेंट यूनियन स्वतंत्र संस्थान है. इस बॉडी के कामों में कोई दख़ल नहीं दे सकता. हम जिन्ना की विचारधारा का विरोध करते हैं लेकिन उनकी तस्वीर होना बस एक ऐतिहासिक तथ्य है. तस्वीर का होना ये साबित नहीं करता है कि छात्र जिन्ना से प्रेरणा लेते हैं.''

उस्मानी कहते हैं, ''जिन्ना को सदस्यता 1938 में मिली और तभी तस्वीर लगी. बाद के सालों में वो पाकिस्तान चले गए या उन्होंने बंटवारे के बीज बोए और अगर आप कह रहे हैं कि जिन्ना की तस्वीर उतारिए तो आप लोग भी जिन्ना हाउस का नाम बदलिए. हम भी तब तस्वीर उतार देंगे.''

इस पूरे विवाद को उस्मानी भी चुनावों से जोड़कर देखते हैं और मीडिया चैनल के प्रति नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं.

वो कहते हैं कि एक हफ्ते में कई बार मीडिया में एएमयू को टारगेट किया गया, टीवी चैनलों पर जो बहस होगी वही तो देश देखेगा.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
BBC
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

80 साल बाद जिन्ना पर बहस से क्या हासिल होगा?

एएमयू प्रोफेसर सज्जाद हुसैन और छात्रसंघ अध्यक्ष यही सवाल पूछते हैं और कहते हैं कि जिन्ना की तस्वीर आज़ादी से पहले लगाई गई थी.

सतीश गौतम ने बुधवार सुबह ट्विटर पर एक ख़बर ट्वीट की है.

इस ख़बर में सतीश गौतम के हवाले से लिखा गया है, ''ये तस्वीर भले ही आज़ादी से पहले लगाई गई हो लेकिन इसे अब तक लगाए रखने का क्या औचित्य है. जिन्ना के कारण देश का बंटवारा हो गया. इस तस्वीर को पाकिस्तान भेज देना चाहिए.''

छात्रसंघ अध्यक्ष उस्मानी कहते हैं, ''ये लोग जिन्ना की तस्वीरों बात करते हैं लेकिन गांधी की हत्या के अभियुक्त सावरकर को भूल जाते हैं. देश की संसद, जहां संविधान की रक्षा होती है वहां सावरकर की तस्वीर क्यों लगाई हुई है. फिर सावरकर की तस्वीर भी हटाइए. जब आप इतिहास को ख़त्म करना चाह रहे हैं तो सारी बातें सामने आनी चाहिए.''

जिन्ना की कोठी
BBC
जिन्ना की कोठी

भारत में कहां-कहां जिन्ना?

भारत में कई और भी जगहें जिन्ना की तस्वीरें लगी हुई हैं. मुंबई के इंडियन नेशनल कांग्रेस के दफ्तर में 1918 से जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है. मुंबई में जिन्ना हाउस भी है.

प्रोफ़ेसर मोहम्मद सज्जाद इतिहास से जिन्ना का एक किस्सा बताते हैं.

'जिन्ना ऑफ पाकिस्तान' लिखने वाले स्टेलने वोल्पर्ट लिखते हैं, ''जब पहला विश्वयुद्ध खत्म हुआ तो बॉम्बे के गवर्नर का कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें फेयरवेल दी जा रही थी. तब जिन्ना इस फेयरवेल के विरोध में जनता को सड़कों पर लाए. हिंदू, मुस्लिम सब साथ आए. तकरीर हुई कि क्यों अंग्रेज़ों का विरोध होना चाहिए. तब जिन्ना के लिए 6500 रुपये चंदा किया गया और एक हॉल बनाया गया. इस हॉल का नाम है पीपुल्स ऑफ जिन्ना हॉल. ये हॉल आज भी मौजूद है.''

सज्जाद कहते हैं, ''अगर बंटवारे के लिए सिर्फ जिन्ना को ज़िम्मेदार और भारत का विलेन माना जा रहा है तो क्या वो अकेले बंटवारे के लिए ज़िम्मेदार थे? क्या पाकिस्तान बनवाने के लिए हिंदू कम्युनिलज़्म और सावरकर का हाथ नहीं था?''

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
The complete truth of Jinnah's picture in Aligarh Muslim University
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X