हरियाणा में पहली बार बनेगी BJP की सरकार, लेकिन क्यों हारी कांग्रेस
नयी दिल्ली। दीवाली से पहले ही भाजपा में पटाखे फूट रहे है, मिठाईयां बंट रही हैं। बैंड-बाजे के धुन पर भाजपा के कार्यकर्ता ठुमके लगा रहे है। जाहिर है खुशी का माहौल अगर भाजपा के लिए है तो कहीं मातमभी छाया है। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस की।
हरियाणा में जहां पहली बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है तो वहीं महाराष्ट्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर ऊभरी है। ऐसे में महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की सरकार बननी तय है। मोदी की लहर ने कांग्रेस की हवा गुल कर दी है। भाजपा ने अकेले दम पर कांग्रेस और इनेलो को हाशिए पर ला दिया है।
मोदी
की
लहर
में
जहां
कांग्रेस
का
सूपड़ा
साफ
हुआ
है
वहीं
इनेलो
की
भी
सत्ताा
से
दूरी
बरकरार
रही
है।
ये
मोदी
इफेक्ट
का
ही
असर
था
कि
90
विधानसभा
सीटों
वाली
हरियाणा
विधानसभा
में
2005
में
2
और
2009
में
मात्र
4
सीटें
जीतने
वाली
भाजपा
ने
इसबार
आंधी
ला
दी
और
48
सीटें
जीत
ली।
क्यों
हारी
कांग्रेस:
.
हरियाणा
में
मोदी
की
लहर
का
असर
दिखा।
.
भाजपा
ने
जाट
वोट
बैंक
में
भाजपा
ने
सेंध
लगाई।
.
भाजपा
को
डेरा
सच्चा
सौदा
के
समर्थन
का
फायदा
मिला।
.
हरियाणा
के
मुख्यमंत्री
भूपेन्द्र
सिंह
हुड्डा
के
विरोध
में
कांग्रेस
के
दिग्गज
नेताओं
में
असंतोष
था।
जिसका
असर
चुनावी
नतीजों
पर
पड़ा।
.
कांग्रेस
नेता
कुमारी
सैलजा
का
विरोध
कांग्रेस
पर
भारी
पड़
गया।
.
परिवारवाद
पर
मोदी
के
लगातार
हमले
ने
युवाओं
को
अपनी
ओर
खींचा।
.
भाजपा
ने
हरियाणा
में
दलितों
और
महिलाओं
उत्पीडऩ
के
मुद्दे
को
खूब
उछाला,
जिसका
फायदा
उन्हें
हुआ।