बड़ा सवाल, 'कोरोना वैक्सीन का कौन सा विकल्प भारत के लिए है अधिक मुफीद?'
नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी संकट से निपटने के लिए एकमात्र उपाय संभावित वैक्सीन है, जिसको विकसित करने में दुनिया भर के वैज्ञानिक युद्धरत हैं, लेकिन संभावित कोरोना वैक्सीन की प्रभावकारिता और साइड इफैक्ट जैसे बिंदुओं पर पड़ताल करना जरूरी हो गया है कि कोरोना वैक्सीन का कौन सा विकल्प भारत के लिए अधिक मुफीद होगा। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोना वैक्सीन पर भारत की नजर है, जिसके बारे में दावा किया गया है कि उसकी प्रभावकारिता 90 फीसदी है, लेकिन उस पर भी सवाल उठ गए हैं।
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गौरतलब है दुनियाभर में वर्तमान में कुल चार कोरोना वैक्सीन पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसमें चार वैक्सीन क्रमशः फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना, स्पुतनिक वी और ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका प्रमुख है। वैक्सीन बनाने वाली इन चारों कंपनियों ने इनके प्रभावा के अलग-अलग दावे भी किए गए हैं। वहीं, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लेकर विरोधाभास की स्थिति है, क्योकि इसके परीक्षणों में कमी, गोपनियता और अलग-अलग परिणामों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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दरअसल, कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने भारत में इस वैक्सीन को पहुंचाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से हाथ मिलाया है। इंस्टीट्यूटड पहले ही इस वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर बहुत कुछ बोल चुका है। इंस्टीट्यूट ने यह भी कहा था कि इस साल के अंत तक भारत में 10 करोड़ लोगों को टीकाकरण कर दिया जाएगा। कंपनी के मुताबिक कोरोनावायरस पर इसका असर 70 फीसदी तक है, लेकिन कई वैज्ञानिक इसकी प्रभावकारिता, परीक्षण और परिणाम पर सवाल उठा रहे हैं।
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वैज्ञानिकों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सी की औसत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जैसा कि बताया गा है कि कुछ परीक्षणों में आधी खुराक और पूरी खुराक देने के बाद 90 फीसदी असर दिखाया है, फिर इसमें दोनों खुराक देने के बाद नतीजे 60 फीसदी बताया है। कुल मिलाकर इस वैक्सीन की प्रभावकारिता औसत यानी 70 फीसदी ही है। यह अलग-अलग खुराक के भिन्न-भिन्न परीक्षण परिणाम है। अंत में सीरम द्वारा बताई गई बातों के आधार पर इसका औसत सक्सेज उम्मीद से ऊपर उठता नहीं दिख रहा है।
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गौरतलब है ब्रिटेन और ब्राजील में 131 कोरोना के कंफर्म मरीजों पर तीन तरह का परीक्षण किया गया। इनमें 101 मरीजों को इंजेक्शन, 30 को ट्रायल वैक्सीन दिया गया। ट्रायल वैक्सीन दिए गए 30 मरीजों में से 27 मरीजों को दो पूरी खुराक, जबकि शेष तीन को आधी खुराक दी गई। इन तीनों मरीजों में ऑक्सफोर्ड ने 90 फीसदी असर होने का दावा दुनिया में पेश किया है। आधी खुराक वाले तीन मरीज 55 साल की उम्र से कम है। अब इसी आधार पर भारत में इस वैक्सीन को पहुंचाए जाने की बात चल रही है।
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