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कर्नाटक में इस बार लिंगायत बनाम लिंगायत की लड़ाई में कौन भारी: लोकसभा चुनाव 2019

वो कहते हैं कि लिंगायत समुदाय बंटा हुआ है. उन्होंने बताया, "उत्तर कर्नाटक में जहां, 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है वहां बीजेपी का असर ज़्यादा रहा है लेकिन कांग्रेस ने हमारे समुदाय से जुड़ने की पूरी कोशिश की है. हमारे वोट बंटने वाले हैं."

By ज़ुबैर अहमद
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लिंगायत
Getty Images
लिंगायत

बेंगलुरु का चर्च स्ट्रीट कैफ़े, रेस्तरां और दुकानों से भरा पड़ा है. मैंने एक कैफ़े में कुछ युवाओं से चुनाव के बारे में चर्चा शुरू की. अचानक सियासत पर बात छेड़ने से वो थोड़ा झिझके लेकिन बाद में वो आराम से अपनी राय ज़ाहिर करने लगे.

इनमें से एक संगणना अगड़ी बताने लगे कि उनका ताल्लुक बेलगाम लोक सभा चुनावी क्षेत्र से है, जहां उनकी तरह बहुत से लिंगायत लोग रहते हैं.

वो कहते हैं कि लिंगायत समुदाय बंटा हुआ है. उन्होंने बताया, "उत्तर कर्नाटक में जहां, 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है वहां बीजेपी का असर ज़्यादा रहा है लेकिन कांग्रेस ने हमारे समुदाय से जुड़ने की पूरी कोशिश की है. हमारे वोट बंटने वाले हैं."

संगणना अगड़ी एक युवा बीजेपी समर्थक हैं लेकिन वो मानते हैं लिंगायतों की युवा पीढ़ी कांग्रेस की तरफ़ झुकती नज़र आती है. इसलिए 23 अप्रैल को उत्तरी कर्नाटक में होने वाला चुनाव दिलचस्प होगा

कर्नाटक में दूसरे चरण का लोकसभा चुनाव एक तरह से लिंगायत बनाम लिंगायत है. भारतीय जनता पार्टी,कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर(जेडीएस) के गठबंधन के बीच 14 में से छह सीटों पर दोनों पक्षों के उमीदवार लिंगायत हैं.

यहां दूसरे और आख़री चरण की 14 सीटों के लिए चुनाव 23 अप्रैल को है. पहले चरण की 14 सीटों पर चुनाव 18 अप्रैल को हुआ था.

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार लिंगायत समुदाय पर बीजेपी का असर अधिक है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 35 लिंगायत विधायक और कांग्रेस के 18 चुनाव में विजयी रहे थे.

इस समुदाय को लुभाने के लिए इस चुनाव में बीजेपी ने नौ और गठबंधन ने आठ उमीदवार खड़े किए हैं.

ये भी पढ़ें: वीरशैव लिंगायत और लिंगायतों में क्या अंतर है?

लिंगायत गुरु के साथ नरेंद्र मोदी
NARENDRA MODI/TWITTER
लिंगायत गुरु के साथ नरेंद्र मोदी

लिंगायतों को हिंदू धर्म से अलग मान्यता दिलाने का मुद्दा

पिछले साल विधानसभा के चुनाव में लिंगायतों के लिए अलग धर्म की मान्यता चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा था. राज्य सरकार ने इस समुदाय को एक अलग धर्म और अल्पसंख्यक दर्जे को स्वीकार करने के लिए केन्द्र सरकार को अपनी सिफ़ारिश भेजी थी.

इसे लिंगायत समुदाय को बांटने वाला क़दम बताया गया था. बाद में कांग्रेस को चुनाव में नुक़सान हुआ.

लोकसभा चुनाव में अब ये मुद्दा नहीं है. लिंगायत समुदाय में को अलग धर्म का दर्जा दिलाने के लिए सालों मुहिम चल रही है लेकिन बीजेपी और लिंगायत समुदाय के कई लोग इसे हिंदू धर्म का अभिन्न हिस्सा मानते हैं.

ये भी पढ़ें: अलग धर्म की मांग करने वाले लिंगायत क्या हैं?

लिंगायत
GOPICHAND TANDLE
लिंगायत

कौन हैं लिंगायत?

उत्तर कर्नाटक में बसवा कल्याण एक छोटा सा पिछड़ा शहर है जो 12 वीं सदी के सुधारक संत कवि बसवन्ना या बसवेश्वरा का गृह नगर है. बसवन्ना ने (जो ख़ुद एक ब्राह्मण थे) जाति, वर्ग और लिंग के ख़िलाफ़ एक आंदोलन का नेतृत्व किया था. ये आंदोलन ब्राह्मणवाद और मूर्ति पूजा का विरोध करता था. इन मान्यताओं का पालन करने वाले लिंगायत कहे जाते हैं.

लिंगायत महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी हैं लेकिन कर्नाटक में ये राज्य की कुल आबादी का 20 फ़ीसदी हैं और यहां की राजनीति में इस समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि विधानसभा चुनाव में लिंगायत मुद्दे को उछालना समझदारी नहीं थी. डीके शिवकुमार जैसे कांग्रेसी नेताओं ने इसके लिए माफ़ी मांग भी मांगी.

इसका प्रभाव सकारात्मक साबित हुआ और पिछले साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बल्लारी लोकसभा बीजेपी से जीत ली.

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नरेंद्र मोदी, येदियुरप्पा
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नरेंद्र मोदी, येदियुरप्पा

इस बार बटेंगे लिंगायत वोट

कर्नाटक की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार इमरान कुरैशी कहते हैं बीजेपी और गठबंधन के बीच इस चरण में मुक़ाबला सख्त होगा. उनके मुताबिक़ इस चरण में बीजेपी नेता येदयुरप्पा के दमख़म की परीक्षा भी होगी.

वो कहते हैं, "उत्तर कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच हमेशा सख़्त मुक़ाबला रहा है. इस बार सभी की निगाहें येदियुरप्पा पर होंगी कि वह अपनी पार्टी के पक्ष में कितनी सीटें हासिल कर सकते हैं."

पिछली बार यहां की 14 सीटों में से नौ बीजेपी को मिली थीं. कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं

दक्षिण भारत के पांच राज्यों में कर्नाटक शायद ऐसा अकेला राज्य है जहां बीजेपी दूसरे दलों पर हावी है. पिछले आम चुनाव में इसे 17 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रे को नौ सीटें.

सियासी विश्लेषक कहते हैं लिंगायत वोट बंटेंगे, इसकी पूरी संभावना. उनकी राय संगणना अगड़ी से मिलती-जुलती है. संगणना अगड़ी ये भी स्वीकार करते हैं कि वोट बैंक की सियासत सही नहीं है लेकिन जब दोनों दलों ने ही इसे आधार बना कर ज़्यादातर लिंगायत उमीदवार ही खड़े किए हैं तो वोटबैंक का पैग़ाम भी उन्हीं की तरफ़ से आता है.

दूसरे चरण में मतदान करने के लिए 14 निर्वाचन क्षेत्र चिक्कोडी, बेलगाम, बागलकोट, बीजापुर (एससी), गुलबर्गा (एससी), रायचूर (एसटी), बीदर, कोप्पल, बेल्लारी (एसटी), हावेरी, धारवाड़, उत्तरा कन्नड़, दावणगेरे और शिमोगा हैं.

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BBC Hindi
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English summary
The battle of Lingayat versus Lingayat in Karnataka which is heavy Lok Sabha elections 2019
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