गणपति बप्पा के हर अंग में छिपा है जीवन जीने की कला का रहस्य, आइए जानते हैं ये रहस्य
बेंगलुरु। श्रीगणेश की आराधना थोड़ी देर के लिए ही यदि समर्पित भाव से मन लगाकर कर ली जाए तो वह शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों को मनमांगा वरदान देते हैं। श्रीगणेश धरती पर कई स्वरूपों में विराजमान है और कई जगहों पर गणपति की सिद्ध प्रतिमाएं है, जहां पर भक्तों की झोली खुशियों से भर जाती है और उनकी सारी मुश्किलें हल हो जाती है। क्या आपको पता है कि हमारी हर मनोकामना को पूर्ण करने वाले गणपति बप्पा की आकृति में जीवन के रहस्य छिपे हुए हैं। जिनको आत्मसात करके आप अपने जीवन को आसान बना सकते हैं।
प्रथम पूज्य गणपति के हर अंग में जीवन जीने की कला का रहस्य छिपा हुआ है। बप्पा का स्वरुप भक्तों के मन में बसा हआ है प्रत्येक भक्त अपने मनमुताबिक उनकी आकृति का आंकलन करता है। सभी भक्तों को गणपति बप्पा का व्यक्तित्व, उनकी आकृति प्रेरक सीख देती है। जो जीवन के पथ पर सफलता दिला सकती है। इनके अंग में कौशल और व्यक्तित्व निखारने का रहस्य समाहित है।आइये जानते बप्पा के अंगों में छिपे ये रहस्य....
लंबे कान
गणेशजी के कान बड़े हैं, इसलिए इन्हें गजकर्ण व सूपकर्ण भी कहा जाता है। लंबे कान वाले व्यक्ति भाग्यशाली और दीर्घायु होते हैं। गणेशजी के लंबे कानों का एक रहस्य यह भी है कि वह सबकी सुनते हैं, फिर अपनी बुद्धि और विवेक से निर्णय लेते हैं। यह खूबी हमें बड़े काम के दौरान हमेशा चौकन्न रहने की शिक्षा देती है। गणेशजी के सूप जैसे कान से यह शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप बुरी चीजों को छांटकर अलग कर देता है, उसी प्रकार जो भी बुरी बातें आपके कान तक पहुंचती हैं, उसे बाहर ही छोड़ दें। बुरी बातों को अपने अंदर न आने दें।
मस्तक
गणेशजी का मस्तक काफी बड़ा है। अंग विज्ञान के अनुसार बड़े सिर वाले व्यक्ति नेतृत्व करने में योग्य होते हैं। इनकी बुद्धि कुशाग्र होती है। गणेशजी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए। बड़ी सोच रखने वाले ही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं।
एकदंत
बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुरामजी से युद्ध हुआ था। इस युद्ध में परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया और वे एकदंत कहलाने लगे। गणेशजी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। यह गणेशजी की बुद्धिमत्ता का परिचय है। गणेशजी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार किया जाना चाहिए। कभी भी किसी भी स्थिति में हताश नहीं होना चाहिए।
छोटी आंख
गणपति की आंखें छोटी हैं। अंग विज्ञान के अनुसार छोटी आंखों वाला व्यक्ति चिंतनशील और गंभीर प्रवृत्ति के होते हैं। गणेशजी की छोटी आंखें हमें यह ज्ञान देती हैं कि हर चीज को सूक्ष्मता से परखकर ही निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खा सकता। अर्थात हर काम सूक्षबूझ के साथ ही करना चाहिए।
सूंड
गणेशजी की हर पल हिलती-डुलती सूंड हमें निरंतर सक्रिय रहने का संदेश देती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए, ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी दुख और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है।
बड़ा पेट
गणेजी को बड़े पेट के कारण लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं। किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। अंग विज्ञान के अनुसार बड़ा उदर खुशहाली का प्रतीक है। गणेशजी का बड़ा पेट हमें ज्ञान देता है कि भोजन की तरह की हमें बातों को भी पचाना सीखना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है, वह हमेशा ही खुशहाल रहता है।