रेल मंत्री जी, बदबू का ‘आनंद’ लें इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) क्या हाल के दौर में आप इलाहाबाद गए? अगर नहीं गए तो आप खुशनसीब हैं। क्योंकि यहां के रेलवे स्टेशन का बुरा हाल है। कायदे से रेल मंत्री सुरेश प्रभू को इधर आकर देखना चाहिए कि उनका महकमा किस तरह से काम कर रहा है।
पहले बात इलाहाबाद जंक्शन की। ये भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य डिवीजन का हेडक्वार्टर है। इसकी सीमा मुगलसराय से गाजियाबाद तक है जो लगभग 900 किमी है। इस स्टेशन पर लगभग 300 ट्रेनें आती और जाती हैं जो उत्तर प्रदेश के किसी अन्य स्टेशन से नहीं जाती होंगी।
सड़ी बदबू
आप सोच सकते हैं कि कितना महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, परंतु यदि आप इस रेलवे स्टेशन पर आ रहे हैं और कार से हैं तो कार के शीशे चढ़ा लीजिएगा या रिक्शे या बाइक से हैं तो नाक पर रुमाल रख लीजिएगा क्योंकि जैसे ही आप स्टेशन के कैम्पस में प्रवेश करेंगे पेशाब की सड़ी बदबू आपके मन मस्तिष्क को प्रदूषित करके यात्रा का सारा मूड खराब कर देगी।
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पसीना आ जाएगा
इलाहाबाद के वरिष्ठ चिंतक मोहम्मद जाहिद कहते हैं कि किसी तरह आप सीढ़ियाँ चढ़ कर प्लेटफार्म पर आ गये तो आपको उस स्थान पर पहुँचने में छक्के छूट जाएंगे जहाँ ट्रेन का कोच लगेगा। वजह यह है कि पूरे प्लेटफार्म पर बुक किये गये सामान का कब्जा है और बची जगह पर यात्री बैठे होंगे या सो रहे होंगे।यदि आपके पास सामान है तो उसकी सुरक्षा करते रहें क्योंकि प्लेटफार्म से लेकर रेलवे ट्रैक तक मोटे मोटे खरगोश की तरह के चूहे अपना काम कर सकते हैं।
अहम स्टेशन
दिल्ली-हावड़ा के व्यस्ततम रूट का यह मुख्य स्टेशन है तथा इसी स्टेशन से बिल्कुल सटा हुआ उत्तर मध्य रेलवे के डी आर एम तथा महाप्रबंधक का कार्यालय है।
बुलेट ट्रेन
यह स्थिति है तब जब देश बुलेट ट्रेन का सपना देख रहा है और जो ट्रेन है वह बद से बदतर होती जा रही है। लगता तो ये है कि रेलवे की सुविधाओं में लगभग 25-30% की गिरावट हुई है हाल के दौर में।
इलाहाबाद से संबंध रखने वाले दिल्ली कांग्रेस के नेता राजेश डंग भी कहते हैं कि उन्हें अपने शहर जाते हुए डर लगता है। इलाहाबाद रेलवे स्टेशन का बुरा हाल है। कोई रेल समय से नहीं आती। वहां पर कोई सफाई नहीं है।