Wrath of Politics: इसलिए शिवराज सिंह चौहान अचानक भगवान से भक्त बन गए हैं!
बेंगलुरू। राजनीति को शह और मात खेल कहा जाता है, जहां प्यादे को वजीर और वजीर को नजीर बनते देर नहीं लगता है। मध्यप्रदेश में अपने बूते पर बीजेपी को लगातार तीन सत्ता तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले शिवराज सिंह चौहान को वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था।
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मध्य प्रदेश में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह खुद भी अपनी अहमियत समझ चुके थे इसलिए उन्होंने दिल्ली की ओर देखना भी शुरू कर दिया था। इसकी बानगी वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के नायक रहे शिवराज सिंह चौहान के प्रेस कांफ्रेंस में दिखा था।
मध्य प्रदेश में लगातार तीसरी बार बीजेपी का परचम लहराने वाले शिवराज सिंह चौहान ने तब मीडिया को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री उम्मीदवारी के खिलाफ खड़े वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज को धन्यवाद किया, लेकिन बीजेपी के पीएम कैंडीडेट घोषित नरेंद्र मोदी का नाम सबसे आखिर में लिया।
इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने चिरप्रतिद्वंदी और पूर्व एमपी सीएम उमा भारती को भी याद कर लिया, लेकिन मंच पर मोदी का नाम बीजेपी संगठन और कार्यकर्ताओं के बाद लिया था। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर बेहद संजीदा थे, क्योंकि उम्मीदवारी को आडवाणी समेत अन्य नेताओं का समर्थन हासिल था।
आडवाणी उन्हें मोदी के बराबर खड़ा करने की लगातार कोशिश करते रहे हैं। पहले यह दिखाने का प्रयास कि मोदी शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह की ही तरह बीजेपी के एक मुख्यमंत्री हैं। मोदी संसदीय बोर्ड में आने लगे, तो आडवाणी ने जिद पकड़ ली कि चौहान को भी लाया जाए, ताकि मोदी की तुलना चौहान से ही होती रहे और प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए मोदी का नाम न आए।
लेकिन आरएसएस ने इन तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया। हालांकि माना जाता है कि व्यक्तिगत तौर पर चौहान की महत्वाकांक्षाएं जोर नहीं मार रही हैं और वो महज आडवाणी की बंदूक के कंधे बने हुए थे। चौहान जानते थे कि उम्र उनके साथ है, लेकिन भविष्य में मोदी के बाद अपनी दावेदारी के लिए सही समय का इंतजार करना चाहते थे।
संघ भी शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व क्षमता से वाकिफ था और संगठन में मोदी के बाद नंबर दो के रूप में उन्हें देखता था। यह बात शिवराज भी अच्छी तरह से जानते थे। यही कारण था कि शिवराज ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की लोकसभा चुनाव 2014 में हालत से सबक सीखते हुए खेमा बदल लिया।
मालूम हो, नीतीश कुमार भी बीजेपी में मोदी का विरोध करने वाले नेताओं के बहकावे में आ गए थे। उन्हें लगा कि उन्हें साथ लेकर वह मोदी को रोक सकेंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा। प्रचंड जीत के बाद बीजेपी में एक ओर जहां मोदी विरोधी हाशिए पर कर किए।
वहीं, एनडीए से अलग हुए जदूय लोकसभा चुनाव में महज 2 सीटों पर सिमट चुकी थी। दिलचस्प यह था कि उक्त चुनाव में सीटों के मामले में लोक जनशक्ति और समता पार्टी भी उससे आगे निकल चुकी थी। मोदी विरोध में 2 सीटों पर सिमटी जदयू को अपनी गलती का पश्चाचाप बाद में कर लिया। इसलिए शिवराज सिंह चौहान ने नीतीश कुमार वाली गलती नहीं दोहराई।
नरेंद्र मोदी की ताजपोशी और फिर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 2014 लोकसभा चुनाव में मिली अपार सफलता ने शिवराज चौहान की प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी लगभग खत्म कर दी। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही थी। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत इतनी बड़ी थी कि उनके विरोधी एक-एक करके शांत होने लगे। इनमें शिवराज सिंह चौहान भी एक थे।
वर्ष 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान का कैरियर ग्राफ और नीचे गिर गया, क्योंकि अब उनके हाथ से मध्य प्रदेश की कुर्सी भी छिन गई थी और 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी दोबारा केंद्र की सत्ता में और बड़े बहुमत से पहुंची तो 2013-2014 के बीच मोदी के समकक्ष खड़े किए गए शिवराज चौहान को मोदी भक्त बनने में देर नहीं लगाई। इसकी तस्दीक उनके द्वारा मोदी को भगवान का उपमा देने से की जा सकती है।
गौरतलब है वर्ष 2013 में हुए बीजेपी के गोवा अधिवेशन में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी को लेकर खुश नहीं थे। आडवाणी ने मोदी की कटटर छवि की जगह उदार छवि वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी।
दरअसल, लाल कृष्ण आडवाणी ने बहुत पहले से ही नरेंद्र मोदी के विरूद्ध शिवराज सिंह चौहान को खड़ा करने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। हालांकि अंत तक बीजेपी आलाकमान ने आडवाणी को तवज्जो नहीं दिया, जिसमें संघ की मंशा शामिल थी। यही कारण था कि तमाम विरोधों को किनारे रखकर बीजेपी हाईकमान ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया।
हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता आडवाणी ने चहेते शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराने के लिए उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की और आडवाणी की सलाह के आधार पर ही शिवराज सिंह चौहान ने अपनी उदार छवि गढ़नी शुरू की थी।
यही कारण था कि शिवराज सिंह चौहान ने ईद पर टोपी पहनना शुरू कर दिया था और मध्य प्रदेश में मामा की छवि गढ़ी थी। यही नहीं, आडवाणी ने विकास मामले में मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में करीब एक दशक से अधिक मुख्यमंत्री रह चुके दोनों मुख्यमंत्रियों यानी नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान की तुलना भी की थी। यह भी दलील दी गई कि भाजपा के लिए सहयोगियों को लुभाने में शिवराज की उदार छवि मदद करेगी।
उल्लेखनीय है वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान ने हथियार डाल दिया था। हालांकि 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी मध्य प्रदेश के साथ-साथ दो और राज्यों में भी सत्ता गंवा चुकी थी। इनमें छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार और राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार प्रमुख है। तीनों प्रदेशों में बीजेपी सरकार के मुखिया रहे नेताओं को बाद में बीजेपी संगठन में डाल दिया गया।
तीनों राज्यों में पराजय के बाद ही शिवराज सिंह चौहान, डा. रमन सिंह और वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर केंद्रीय संगठन का कामकाज में लगा दिया, जिसके बाद से शिवराज सिंह चौहान का बदला हुआ रूप नजर आ रहा है और गाहे-बगाहे उन्हें पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़ते हुए देखा जा सकता है।
शिवराज चौहान ने अभी हाल में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान से किया है। चौहान ने नागरिकता संशोधन कानून के संदर्भ में मोदी को भगवान की उपमा देते हुए कहा कि भगवान जिंदगी देता है, मां जन्म देती है, लेकिन पीएम मोदी आपने उन लोगों को एक नई जिंदगी दी है. नरेंद्र मोदी आप भगवान से कम नहीं हो।
इससे पहले भी शिवराज सिंह चौहान ऐसे कई उपमाओं से प्रधानमंत्री को नवाज चुके हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद नरेंद्र मोदी को भारत के लिए भगवान का वरदान बताते हुए चौहान ने अमित शाह और नरेंद्र मोदी को कृष्ण और अर्जुन की उपाधि दिया था।।
जिस पार्टी या नेता ने श्री @narendramodi जी को जितनी गाली दी, वह उतने ही गहरे गड्ढे में गया। आप आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार को देख लीजिए; जहाँ जिसने जितनी गाली दी, जनता ने उसे उतने ही गहरे गड्ढे में भेजने का काम किया। pic.twitter.com/wyvfgqcvX2
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 23, 2019
इसके कुछ अंतराल के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नरेंद्र मोदी को गाली देने वाली पार्टियां या नेता सभी गहरे गड्ढे में चले गए। चौहान ने यह बात तब कही थी जब यूएई की सरकार पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा रहा था।
उस समय प्रधानमंत्री मोदी को विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बताते हुए चौहान ने कहा कि आज केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उनका सम्मान कर रही है, लेकिन कांग्रेस चुटकी ले रही हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ पर भी जमकर हमला किया था।
यह भी पढ़ें- शिवराज सिंह ने मोदी की तुलना भगवान से की, कहा-शरणार्थियों के लिए ईश्वर का वरदान हैं PM
प्रधानमंत्री की दावेदारी में मोदी के समकक्ष खड़े थे शिवराज
2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी उन्हें नरेंद्र मोदी के बराबर खड़ा करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। पहले यह दिखाने का प्रयास कि मोदी शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह की ही तरह बीजेपी के एक मुख्यमंत्री हैं। मोदी संसदीय बोर्ड में आने लगे, तो आडवाणी ने जिद पकड़ ली कि चौहान को भी लाया जाए, ताकि मोदी की तुलना चौहान से ही होती रहे और प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए मोदी का नाम न आए। लेकिन आरएसएस ने इन तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया। हालांकि माना जाता है कि व्यक्तिगत तौर पर चौहान की महत्वाकांक्षाएं जोर नहीं मार रही हैं और वो महज आडवाणी की बंदूक के कंधे बने हुए थे। चौहान जानते थे कि उम्र उनके साथ है, लेकिन भविष्य में मोदी के बाद अपनी दावेदारी के लिए सही समय का इंतजार करना चाहते थे।
गोवा अधिवेशन में नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया
वर्ष 2013 में हुए बीजेपी के गोवा अधिवेशन में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी को लेकर खुश नहीं थे। आडवाणी ने मोदी की कटटर छवि की जगह उदार छवि वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी, जिसके लिए बहुत पहले से ही उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को तैयार करना शुरू कर दिया था। हालांकि भाजपा ने आडवाणी के सुरों को तवज्जो नहीं दिया। यह अलग बात है कि बीजेपी हाईकमान ने आडवाणी के विरोध को दरकिनार करते हुए नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया।
आडवाणी ने शिवराज की तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से की
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चहेते शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराने के लिए उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की और आडवाणी की सलाह के आधार पर ही शिवराज सिंह चौहान ने अपनी उदार छवि गढ़नी शुरू की थी। यही कारण था कि शिवराज सिंह चौहान ने ईद पर टोपी पहनना शुरू कर दिया था और मध्य प्रदेश में मामा की छवि गढ़ी थी। यही नहीं, आडवाणी ने विकास मामले में मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में करीब एक दशक से अधिक मुख्यमंत्री रह चुके दोनों मुख्यमंत्रियों यानी नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान की तुलना भी की थी। यह भी दलील दी गई कि भाजपा के लिए सहयोगियों को लुभाने में शिवराज की उदार छवि मदद करेगी।
2014 लोकसभा चुनाव में मोदी को रोकने का दांव पड़ा उल्टा
संघ भी शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व क्षमता से वाकिफ था और संगठन में मोदी के बाद नंबर दो के रूप में उन्हें देखता था। यह बात शिवराज भी अच्छी तरह से जानते थे। लेकिन शिवराज ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की लोकसभा चुनाव 2014 में हालत से सबक सीखते हुए खेमा बदल लिया। मालूम हो, नीतीश कुमार भी बीजेपी में मोदी का विरोध करने वाले नेताओं के बहकावे में आ गए थे। उन्हें लगा कि उन्हें साथ लेकर वह मोदी को रोक सकेंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा। प्रचंड जीत के बाद बीजेपी में एक ओर जहां मोदी विरोधी हाशिए पर कर किए।
मोदी की प्रचंड जीत ने खत्म हुई शिवराज चौहान की दावेदारी
नरेंद्र मोदी की ताजपोशी और फिर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 2014 लोकसभा चुनाव में मिली अपार सफलता ने शिवराज चौहान की प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी लगभग खत्म कर दी। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही थी। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत इतनी बड़ी थी कि उनके विरोधी एक-एक करके शांत होने लगे। इनमें शिवराज सिंह चौहान भी एक थे। वर्ष 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान का कैरियर ग्राफ और नीचे गिर गया, क्योंकि अब उनके हाथ से मध्य प्रदेश की कुर्सी भी छिन गई थी
2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार से गिरा ग्राफ
वर्ष 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान का कैरियर ग्राफ और नीचे गिर गया, क्योंकि अब उनके हाथ से मध्य प्रदेश की कुर्सी भी छिन गई थी और 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी दोबारा केंद्र की सत्ता में और बड़े बहुमत से पहुंची तो 2013-2014 के बीच मोदी के समकक्ष खड़े किए गए शिवराज चौहान को मोदी भक्त बनने में देर नहीं लगाई। इसकी तस्दीक उनके द्वारा मोदी को भगवान का उपमा देने से की जा सकती है।
2018 में हार के बाद शिवराज बीजेपी संगठन में डाल दिया गया
वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान ने हथियार डाल दिया था। हालांकि 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी मध्य प्रदेश के साथ-साथ दो और राज्यों में भी सत्ता गंवा चुकी थी। इनमें छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार और राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार प्रमुख है। तीनों प्रदेशों में बीजेपी सरकार के मुखिया रहे नेताओं को बाद में बीजेपी संगठन में डाल दिया गया। शिवराज सिंह चौहान, डा. रमन सिंह और वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर केंद्रीय संगठन का कामकाज में लगा दिया, जिसके बाद से शिवराज सिंह चौहान का बदला हुआ रूप नजर आ रहा है और गाहे-बगाहे वो मोदी की शान में कसीदे पढ़ते रहते हैं।
शिवराज सिंह ने भगवान से की प्रधानमंत्री मोदी की तुलना
शिवराज चौहान ने अभी हाल में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान से किया है। चौहान ने नागरिकता संशोधन कानून के संदर्भ में मोदी को भगवान की उपमा देते हुए कहा कि भगवान जिंदगी देता है, मां जन्म देती है, लेकिन पीएम मोदी आपने उन लोगों को एक नई जिंदगी दी है. नरेंद्र मोदी आप भगवान से कम नहीं हो। इससे पहले भी शिवराज सिंह चौहान ऐसे उपमाओं से नवाज चुके हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद नरेंद्र मोदी भारत के लिए भगवान का वरदान बताते हुए चौहान ने अमित शाह और नरेंद्र मोदी को कृष्ण और अर्जुन की उपाधि दे चुके हैं।