जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए आतंकी रच रहे ये नई साजिश
बेंगलुरु।अपने मंसूबों में असफल हो रहे आतंकी अब घाटी में दहशत फैलाने के लिए गैर प्रांतीय लोगों को लगातार निशाना बना रहे हैं। पहले कश्मीर घाटी में फल व्यापारियों की हत्या के बाद 5 मजदूरों की हत्या की। वहीं पुलवामा में एक स्कूल के बाहर आतंकियों की सीआरपीएफ पर गोलीबारी की। यहआतंकी हमले उन बुद्धिजीवियों के मुंह पर तमाचा जड़ा है जो घाटी में सुरक्षा इंतजामों पर लगातार ऐतराज जता रहे हैं।
माना जा रहा है कि यह आतंकियों की नई साजिश है। इससे पहले आतंकी सुरक्षा बलों के अलावा आम लोगों पर हमला करने से परहेज करते थे। पिछले एक पखवाड़े के दौरान इन आतंकियों ने ट्रक चालकों, सेब व्यापारी व मजदूरों को निशाना बनाया है। विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में हो रही इन आतंकी घटनाओं का मकसद लोगों के बीच खौफ पैदा करना है। वह खौफ पैदा करके यह जताना चाहते हैं कि कश्मीर में बाहरी लोगों की खैर नहीं है। हालांकि इन हरकतों का खामियाजा सबसे ज्यादा घाटी के कारोबारी लोगों को ही होता है। उन्हें दूसरे राज्यों से रोजगार की तलाश में आने वाले लोगों की अनुपस्थिति का संकट झेलना पड़ता है। जिसका असर उनके व्यापार पर पड़ता है। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने मंगलवार की शाम पांच मजदूरों की हत्या की, एक मजदूर घायल है, ये सभी पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले थे और यहां काफी समय से काम कर रहे थे।
4 अक्तूबर को दो ट्रक चालकों की हुई थी हत्या
इससे पहले 24 अक्तूबर को दक्षिणी कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले के चित्रगाम जैनापोरा इलाके में आतंकियों ने सेब लदे तीन ट्रकों को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध फायरिंग की। इसमें गैर कश्मीरी दो चालकों की मौत हो गई। जबकि तीसरा घायल हो गया था। एक की शिनाख्त राजस्थान के अलवर निवासी मोहम्मद इलियास के रूप में हुई, जबकि दूसरे की शिनाख्त पंजाब के चालक के रूप में हुई थी। जबकि तीसरा घायल चालक पंजाब के होशियारपुर का था।
14 अक्तूबर को भी बरपा था कहर
इससे पहले 14 अक्तूबर को आतंकियों ने शोपियां में सेब लाद रहे राजस्थान के ट्रक चालक शरीफ खान की हत्या कर दी थी। इसी दिन पुलवामा में एक छत्तीसगढ़ के एक ईंट-भट्टा मजदूर सागर की हत्या आतंकियों ने कर दी थी। साथ ही 16 अक्तूबर को शोपियां में ही पंजाब के दो सेब कारोबारियों पर हमला किया था। इसमें चरणजीत सिंह की मौत हो गई थी जबकि दूसरा कारोबारी संजीव घायल हुआ था।
आतंकियों ने 13 की हत्या की जिनमें 10 गैरकश्मीरी
राज्य से पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकियों ने 13 लोगों की हत्याएं की हैं। घाटी के शांतिपूर्ण माहौल से बौखलाए आतंकियों ने 28 सितंबर से लगातार घटनाएं कर लोगों में दहशत फैलाने की साजिशें शुरू की हैं। इस दौरान 13 घटनाओं को अंजाम देकर 10 गैर कश्मीरी नागरिकों समेत 13 लोगों की हत्याओं को अंजाम दिया।
सेना मजबूरी नहीं कश्मीर की जरुरत हैं
दरअसल कश्मीर के सन्दर्भ में सारे मामले और बातचीत एक तरफ है और आतंकवाद और आतंकवादियों के कारनामे दूसरी तरफ हैं। घाटी से अनुच्छेद 370 और 35A ख़त्म करने के फ़ौरन बाद सरकार ने कश्मीर में इंटरनेट और संचार सुविधाओं पर अंकुश लगाया था। देश की सरकार के इस फैसले की खूब आलोचना हुई थी। बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग था जो कश्मीरियों की हिमायत के लिए सामने आया था। घाटी के लोगों के अधिकारों के लिए सामने आए इस वर्ग का मानना था कि जम्मू और कश्मीर में सेना भेजकर और इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन बैन कर सरकार आम कश्मीरियों और उनके अधिकारों का हनन कर रही है। पुनः कश्मीर के पुलवामा में हमला हुआ है साफ़ हो जाता है कि कश्मीर में दहशतगर्दों को किसी से मतलब नहीं है और उनकी ये हरकत उन बुद्धिजीवियों के मुंह पर एक करारा थप्पड़ है जो अब तक यही सोचते थे कि कश्मीर को पटरी पर लाने के लिए सेना की नहीं बल्कि बातचीत की जरूरत है। लेकिन सत्य यही है कि जब-जब बात कश्मीर के सन्दर्भ में आएगी सेना को वहां के लिए मज़बूरी नहीं जरूरत कहा जाएगा।
घटनाओं से सबक लेना जरुरी
ध्यान रहे कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की एक पेट्रोल पार्टी पर आतंकियों ने हमला कर दिया। हमला एक एग्जाम सेंटर के पास हुआ है जहां सेना और पुलिस पर आतंकियों ने फायरिंग की। मामले में राहत की बात ये है कि हमले में कोई घायल नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि हमले की वजह से 5 स्टूडेंट्स फंस गए थे जिन्हें काफी मशक्कत के बाद निकाला गया। कश्मीर में बोर्ड एग्जाम शुरू हुए हैं जिसके बहिष्कार की घोषणा आतंकी पहले ही कर चुके थे। माना जा रहा है कि इस हमले का उद्देश्य आम कश्मीरी छात्रों को डराना और उनके भविष्य को गर्त के अंधेरों में डालना है। हमले में भले ही जान और माल की कोई बड़ी हानि नहीं हुई है लेकिन इस हमले ने कश्मीरी कट्टरपंथियों और आतंकियों की नीयत को जरूर कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। कह सकते हैं कि इस घटना से उन तमाम लोगों को सबक जरूर मिला है जिन्हें इस बात की टीस थी कि सरकार कश्मीर को लेकर सख्त रवैया रखे हुए है। जिस तरह से कश्मीर में एक के बाद वारदातें हो रही हैं उन्होंने देश और देश की सरकार को साफ़ सन्देश दे दिया है कि उन्हें किसी भी वार्ता की कोई जरूरत नहीं है। वो आज भी उसी रास्ते को पकड़े हुए हैं जिस रास्ते पर चलकर उन्होंने अब तक कश्मीर को बर्बाद किया है।
सेना हटाने पर स्थिति और हो जाएगी खराब
सोचने वाली बात है कि जब सेना की इतनी बड़ी संख्या रहते हुए कश्मीर के हालात इतने बदतर हैं। अगर वहां से सेना हटा ली जाए तो फिर नजारा क्या होगा ? चाहे हालिया दिनों में जम्मू और कश्मीर में फल व्यापारियों और ट्रक वालों की हत्या हो या फिर हाल के दिनों में हुए अलग अलग हमले और पत्थरबाजी की घटनाएं। जैसे एक के बाद एक कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अलग अलग वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। वो ये बताने के लिए काफी है कि यदि कश्मीर से सेना को मुक्त कर दिया गया या फिर घाटी में रह रहे लोगों को छूट दे दी गई तो आने वाले वक़्त में स्थिति बाद से बदतर होगी।