J&K में अब आतंकी ऐसे बना रहे हैं सेब कारोबार को निशाना, जानिए कितने का माल हुआ तबाह ?
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर में अब तक पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी सेब उत्पादकों और कारोबारियों को घाटी से सेब बाहर नहीं भेजने के लिए धमका रहे थे। लेकिन, अब उन्होंने बेहद गंदा खेल खेलना शुरू कर दिया है। खासकर दक्षिण कश्मीर में सेब उत्पादन और कारोबार को ठप करने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों ने अब बागों में ही सेब और सेब के पेड़ों को जलाना शुरू कर दिया है। सेब उत्पादकों के मुताबिक अब तक उनका लाखों रुपये के सेब आतंकवादी आग के हवाले कर चुके हैं। उनका मकसद साफ लग रहा है कि वे कश्मीरी सेब उत्पादकों और कारोबारियों की रोजी-रोटी तबाह कर देने के पीछे पड़ गए हैं। आतंकवादियों की दहशत की वजह से स्थानीय लोग उनके आतंक की शिकायत करने में डर रहे हैं। बता दें कि कुछ ही दिन पहले वहां एक सेब कारोबारी के परिवार पर हुए जानलेवा हमले के बाद सरकार ने सेब उत्पादकों से खुद ही सेब खरीदने की घोषणा की थी। लगता है कि उसी ऐलान की बौखलाहट में पाकिस्तान अब सेब को जलाने की हरकत पर उतर आया है।

लाखों रुपये के 'गोल्डन एप्पल' राख में तब्दील
इंडिया टुडे टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 12 सितंबर को आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में सेब की मशहूर कश्मीरी वरायटी 'गोल्डन एप्पल' की एक बहुत बड़ी ढेर और कुछ पेड़ों को जलाकर राख कर दिया। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद से ये इलाका सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है। सेब बागान के एक मालिक ने बताया कि आतंकवादी ये रणनीति इसलिए अपना रहे हैं, ताकि वे लोगों को कारोबियों के पास सेब बेचने से रोक सकें। इससे पहले शोपियां में ही आतंकवादियों ने कनी गाम गांव में सरकारी पंचायत भवन को भी पूरी तरह से जला दिया था।(पहली तस्वीर स्रोत-ट्विटर)

पूरी जिंदगी की मेहनत पर आग लगा दी
ताजा आतंकवादी घटनाओं के बाद से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। लोगों ने माना है कि उन्हें आतंकवादियों की ओर से अपना कारोबार बंद रखने की चेतावनी दी गई है। जिस सेब बागान के मालिक की फसल की ढेर और पेड़ों को आतंकवादियों ने जला दिया है, उसने कहा है कि उसे कम से कम 3 से 4 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। उसने कहा कि, 'एक पेड़ लगाने में पूरी जिंदगी लग जाती है। एक पेड़ को फल देने लायक बनने में 15 से 50 साल तक लग जाते हैं। मुझे 7 पेड़ों का नुकसान हुआ है।' हालांकि, आतंकियों की दहशत ऐसी है कि वे न तो पुलिस के पास जाने के लिए तैयार हैं और न ही उन्होंने अपना नाम ही बताया है। उन्हें डर है कि ऐसा होने पर आतंकी उन्हें निशाना भी बना सकते हैं। उनके लिए यह नुकसान कितना बड़ा है, यह बताते हुए उन्होंने कहा है कि एक पेड़ से कम से कम 25 कार्टन सेब निकलते हैं। एक कार्टन में 20 किलो तक सेब आता है। ऐसे में 7 पेड़ों के नुकसान की भरपाई करने में उन्हें कई साल लग जाएंगे।
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कई और जगहों से भी सामने आया मामला
यह अकेला मामला नहीं है। शोपियां के ही एक अलग गांव में भी बहुत बड़े पैमाने पर सेबों को जलाने की घटना सामने आई है। इस मामले में आतंकियों ने बेचने के लिए रखे हुए सेब से भरे 70 कार्टन में आग लगा दी। गांव वालों में डर पैदा करने के लिए आतंकी अपने पीछे पर्चे भी छोड़कर जा रहे हैं, जिसमें सख्त रूप से धमकी लिखी होती है कि उन्हें सेब नहीं बेचना है। बता दें कि आतंकियों की ओर से इस तरह के धमकी भरे पर्चे 5 अगस्त के बाद से ही सामने आ रहे हैं और सुरक्षा बलों ने इस सिलसिले में कुछ दिनों पहले लश्कर के 8 आतंकियों को गिरफ्तार भी किया था। यही नहीं शोपियां में सेब कारोबारी के परिवार पर हमला करने वाले आतंकी को मार भी गिराया गया है।

वे हमें मार डालेंगे- शोपियां के लोग
इलाके के लोगों का कहना है कि अगर आतंकियों की हरकत पर लगाम नहीं लगा तो सेब की बिक्री के भरोसे जीने वाले कम से कम 100 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। लेकिन, आलम ये है कि आतंकियों के चलते इलाके का हर इंसान परेशान है, लेकिन कोई इस मामले में अपनी पहचान भी जाहिर होने देने के लिए तैयार नहीं है। लोग तो इतने डरे हुए थे कि उन्होंने बार-बार गुजारिश की है कि उनका चेहरा टीवी पर नहीं दिखाया जाए, नहीं तो आतंकवादी उनकी तलाश कर उनका निशाना बना देंगे। सेब के कारोबार से जुड़े एक मजदूर ने कहा कि, 'साल में यही एक समय होता है जब मैं अपने परिवार के लिए कमा सकता हूं। कृप्या मुझे कैमरे पर रिकॉर्ड मत कीजिए। वे हमें मार डालेंगे।'
(पहली तस्वीर के अलावा सभी प्रतीकात्मक)