Terrorism Threat पर UNSC मीटिंग में विदेश मंत्री की दो टूक, वैश्विक आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा
Terrorism Threat पर UNSC की विशेष मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक लहजे में कहा, वैश्विक आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। Terrorism Threat UNSC S Jaishankar Counter Terrorism Committee India chair
Terrorism Threat पर UNSC विशेष बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा, वैश्विक आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को आतंकवाद के वैश्विक खतरे को रेखांकित कर कहा, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में, आतंकवाद का वैश्विक खतरा बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा मुकाबला करने के सर्वोत्तम प्रयास किए जा रहे हैं, इसके बावजूद "आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।"
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आतंक का वित्त पोषण और UNSC की कार्रवाई
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आतंकवाद विरोधी समिति की UNSC की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने कहा, "आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने के दौरान एक महत्वपूर्ण वास्तुकला विकसित की है। खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। पाकिस्तान का नाम लिए बिना विदेश मंत्री ने कहा UNSC की कार्रवाई उन देशों के खिलाफ बहुत प्रभावी रही है जिन्होंने आतंकवाद को वित्त पोषित उद्यम में बदल दिया था।
UNSC की दो दिवसीय बैठक भारत में क्यों ?
उन्होंने कहा, UNSC की कार्रवाई के बावजूद, आतंकवाद का खतरा न केवल बढ़ रहा है, बल्कि विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में, 1267 प्रतिबंध समिति की कई निगरानी रिपोर्ट्स में भी ये तथ्य उजागर हुआ है। बता दें कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी कर रहा है। दिल्ली में चल रही आतंकवाद विरोधी बैठक यूएन आतंकवाद निरोधी समिति (Counter Terrorism Committee) की बैठक भारत की अध्यक्षता में हो रही है।
आतंकवाद शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक
विदेश मंत्री जयशंकर ने यूएन सीटीसी सदस्यों से कहा कि आतंकवाद के खिलाफ UNSC की विशेष बैठक में दिल्ली में होना इस महत्व को दर्शाती है कि यूएनएससी के सदस्य देशों और हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला, आतंकवाद के इस महत्वपूर्ण और उभरते हुए पहलू पर पैनी नजर रखती है। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यह विशेष बैठक भारत में आयोजित करने से पता चलता है कि सुरक्षा परिषद में हमारे मौजूदा कार्यकाल के दौरान आतंकवाद शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक बन गया है।
सरकारों के सामने नई चुनौतियां
उभरती प्रौद्योगिकी और आतंकवाद के संदर्भ में टेक्नोलॉजी के अलग-अलग पक्षों पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने कहा कि वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, एन्क्रिप्टेड संदेश सेवा और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के कारण सरकारों और नियामक निकायों के सामने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को लेकर नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, "इन तकनीकों में से कुछ टेक्नोलॉजी और नए नियामक वातावरण को देखते हुए, सरकारों से इतर एजेंसियों की भूमिका बढ़ी है। तकनीकों का दुरुपयोग और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सरकारों और नियामक निकायों के लिए चैलेंजिंग बनता जा रहा है।
आतंकी हमलों के तरीके
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, हाल के वर्षों में आतंकवादी समूहों से जुड़े लोगों को विशेष रूप से खुले और उदार समाजों में तकनीक तक पहुंच हासिल हुई है। वैचारिक समानता होने पर ऐसे लोगों का ग्रुप बनता है। लोन वुल्फ पद्धति के हमलावरों (lone wolf attackers) की क्षमताएं बढ़ी हैं। ऐसे लोग स्वतंत्रता, सहिष्णुता और प्रगति पर हमला करने के लिए खुले समाज के तकनीक, धन और लोकाचार का उपयोग करते हैं।
आतंकी हवाई प्रणालियों का इस्तेमाल कर रहे
विदेश मंत्री जयशंकर ने कह कि समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से प्रचार किया जाता है। कट्टरता और साजिश के सिद्धांतों को फैलाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आतंकवादियों के टूलकिट में शक्तिशाली उपकरण का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "दुनिया भर की सरकारों के लिए मौजूदा चिंताओं में एक और अतिरिक्त कारण मानव रहित हवाई प्रणालियों का उपयोग आतंकवादियों द्वारा किया जाना है।"
भारत का स्वैच्छिक आर्थिक सहयोग
जयशंकर ने आर्थिक योगदान की घोषणा कर कहा, भारत आतंकवाद के खतरे को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए आधा मिलियन डॉलर (5 लाख अमेरिकी डॉलर) का स्वैच्छिक योगदान देगा। इसका मकसद सदस्य देशों को क्षमता-निर्माण सहायता प्रदान करना, UN Counter-Terrorism Committee के प्रयासों को बढ़ाना और इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड फॉर काउंटर टेररिज्म में सहयोग करना है।
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