देश के सुरक्षा के लिए खतरा हैं रोहिंग्या मुसलमान, ISIS कर सकता है इस्तेमाल: केंद्र सरकार
भारत भी मान रहा है कि रोहिंग्या मुसलमान देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।
नई दिल्ली। देश में रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा काफी गरमा गया है। बेहद गरीब, पिछड़े, अनपढ़ और वंचित अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों को कोई भी देश अपने यहां शरण देने को तैयार नहीं है। म्यांमार के भागकर भारत आए इन रोहिंग्या मुसलमानों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है। इन अल्पसंख्यकों ने जिस भी देश में शरण ली वहां उन्हें हमदर्दी के बजाए उन्हें आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा माना जाने लगा।
भारत के लिए खतरा है रोहिंग्या
भारत भी मान रहा है कि रोहिंग्या मुसलमान देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। इन मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, लेकिन बाद में उसे होल्ड कर लिया गया और उसने बदलाव की बात कही गई। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने कहा कि रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोई हलफनामा दायर नहीं किया है। अभी इसे फाइनल किया जाना बाकी है। सरकार इसमें अभी कुछ बदलाव कर रही है। केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में अवैध रूप से रह रहे 40000 रोहिंग्या मुसलमान देश में नहीं रह सकते है, क्योंकि वो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते है।
आतंकी कर सकते हैं इस्तेमाल
केंद्र
सरकार
का
कहना
है
कि
खुफिया
जानकारी
के
मुताबिक
कुछ
रोहिंग्या
आतंकी
संगठनों
के
साथ
मिले
हुए
हैं।
सरकार
का
मानना
है
कि
ये
शरणार्थी
आतंकी
समूहों
के
संपर्क
में
हो
सकते
है।
सरकार
को
डर
है
कि
आईएसआईएस
इनका
इस्तेमाल
भारत
के
खिलाफ
कर
सकता
है।
ऐसे
में
सरकार
इन्हें
वापस
म्यांमार
भेजना
चाहती
है
और
चाहती
है
कि
न्यायालय
से
इस
मामले
में
दखल
न
दें,
क्योंकि
ये
मौलिक
अधिकारियों
के
तहत
नहीं
आता।
आतंकवादियों से कनेक्शन का आरोप
इस बेहद गरीब और वंचित रोहिंग्या समुदाय पर हमेशा से आतंकवादियों से कनेक्शन का आरोप लगता रहा है। इसी की वजह से कोई भी देश इसने सहानुभूति के बजाए उनपर शक करता है और इन्हें देश से भगाना चाहता। खुद म्यांमार ने भी 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाने के बाद इनकी नागरिक खत्म कर दी और उन्हें देश छोड़ने के लिए मज बूर कर दिया था। अब भारत भी इन 40000 रोहिंग्याओं को अपने यहां से हटाना चाह रहा है, हालांकि अब सबकी नजर 18 सिंतबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।