घाटी में ड्रग्स के कारोबर से इकट्ठा होता है 120 करोड़, आतंकी घटनाओं की फंडिंग का बड़ा जरिया
नई दिल्ली। देश में नशाखोरी का अवैध कारोबार अब आतंकियों के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। देश के युवाओं की नसों में चरस का नशा पहुंचाकर आतंकियों ने 120 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए हैं। जम्मू-कश्मीर में चलने वाले इस नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। इसके लिए अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंसन एक्ट के नियमों को और भी सख्त किया जाएगा। यह फैसला गृह मंत्रालय ने तममाम सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के बाद लिया है, ताकि प्रदेश में नशे के इस अवैध कारोबार को रोका जा सके जिससे कि आतंकियों को मिलने वाली फंडिंग बंद हो।
घाटी में नशे के कारोबार को लेकर तमाम सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी चिंता जाहिर की थी। उनका कहना है कि इस नशे के कारोबार से इकट्ठा हो रहे पैसे को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रग्स घाटी में आतंकी घटनाओं की फंडिंग का एक अहम जरिया है, जिसे पाकिस्तान में बैठा दाउद इब्राहीम का गैंग चलाता है।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि अकेले चरस की स्मगलिंग से 120 करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा किया जाता है। इसका एक बड़ा हिस्सा मुंबई में भी है। इस बाबत जांच भी की गई, जिसमे कहा गया है कि यह धंधा पाकिस्तान से चलता है। अनंतनाग में एक हैंडलर इस कारोबार को संभालता है। सीमापार से ड्रग्स को भारत में पहुचाया जाता है, इसे समुद्री रास्ते या फिर सड़क के रास्ते भारत में लाया जाता है।
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