ईरान-अमेरिका के बीच तनाव 10 लाख भारतीयों के लिए संकट!
Tension between Iran and America crisis for one million Indians!ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों के बीच जंग की स्थिति बनती दिख रही है। जिस कारण मिडिल ईस्ट में रहने वाले करीब 10 लाख भारतीयों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
बेंगलुरु। अमेरिकी हमले में ईरान की कुद्स सेना के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन से हमले से हुई हत्या के बाद दुनिया पर युद्ध का खतरा मंडराने की आशंका जताई जा रही। अमेरिकी सांसद समेत दुनिया भर के विश्लेषक ये मान रहे हैं कि मेजर जनरल सुलेमानी की हत्या करके अमेरिका ने ईरान के साथ युद्ध की शुरुआत खुद कर दी है। जो सच साबित होता दिख रहा है।
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ईरान ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेते हुए बुधवार को तड़के दो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर बैलेस्टिक मिसाइल से हमला कर दिया है। ईरान ने पुष्टि की कि उसने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए ही ये हमला किया है और ये बस शुरुआत भर है। इतना ही नहीं इस घटना के कुछ घंटों बाद तेहरान से यूक्रेन जा रहा एक विमान हवा में क्रेश हो गया। जिसमें अशंका जतायी जा रही है कि यह अमेरिका का हमला था। ऐसे में दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। यह तनाव मिडिल ईस्ट में रहने वाले लाखों भारतीयों के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नही हैं।
भारत सरकार भी है चितिंत
पहले बता दें भारत के विदेश मंत्रालय मिडल ईस्ट में रहने वाले भारतीयों के चिंतिंत है। इसलिए ईरान द्वारा इराक में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर हमले के बाद वहां रहने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी की। इस एडवाइजरी में भारतीयों को इराक की यात्रा से बचने की सलाह दी गई है। विदेश मंत्रालय ने इराक की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ने भारतीयों को सलाह दी है कि अगली अधिसूचना तक इराक की सभी गैरजरूरी यात्रा से बचें। इराक में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। इसी के साथ भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, 'बगदाद में हमारे दूतावास और इरबिल में वाणिज्य दूतावास इराक में बसे भारतीयों को सभी सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए सामान्य रूप से कार्य करते रहेंगे। हालांकि इराक में अब तक कहीं भी भारतीय नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ हैं। बता दें ईरान में जहां 4273 भारतीय रहते हैं वहीं इराक में लगभग 25,000 भारतीय काम कर रहे हैं। कुर्दिस्तान के उत्तरी क्षेत्र की राजधानी एरबिल में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है, जिनमें से कई व्यापारी हैं।
तीन दशक पहले वाले बन रहे हालात
बता दें इस तनाव के बढ़ने के बाद से ईरान-ईराक के अलावा मिडिल ईस्ट में रहने वाले भारतीयों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। करीब तीस वर्ष पूर्व भी मिडिल ईस्ट में रहने वाले भारतीयों पर अचानक यूं ही संकट आन पड़ा था। जब इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था । इस लड़ाई के कारण वहां भारतीय असुरक्षित हो गए थे। तब भारत ने वहां रहने वाले भारतीयों की मदद के लिए बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। जो दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू आपरेशन था। उस समय एयर इंडिया के विमानों ने 58 दिनों तक लगातार 488 उड़ानें भरकर करीब 1 लाख 70 हजार भारतीयों को सुरक्षित किया था। वर्तमान में ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव के बाद एक बार फिर से यही हालात भारत सरकार और भारतीयों के सामने खड़े होते दिखाई दे रहे हैं।
इस घटना ने बढ़ायी भारतीयों की चिंता
बता दें कि ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर बुधवार सुबह हमले किए। इराक के बगदाद स्थित अमेरिकी सेना के ठिकानों पर दो दर्जन से ज्यादा मिसाइलें दागी गई हैं। ये हमले अल असद और इरबिल के दो सैन्य ठिकानों पर हुए हैं। ईरान के इस कदम को कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बदले और अमेरिका से जंग के ऐलान के तौर पर देखा जा रहा है। इसके बाद हालात इसलिए गंभीर दिख रहे है क्योंकि बुधवार को तड़के इस हमले के कुछ घंटे बाद ही तेहरान से यूक्रेन जा रहा एक विमान हवा में क्रेश हो गया। इस विमान में सवार 170 यात्रियों की मौत हो गयी। इस घटना के बाद विमान क्रैश होने की वजह इंजन फेल होना बतायी जा रही थी लेकिन बाद में आशंका जताई जा रही है कि यह विमान किसी तकनीकी खामी से नहीं बल्कि अमेरिकी हमले में गिराया गया है। आपको बता दें पहले भी दोनों देशों के बीच तनाव के कारण ऐसी कई घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है। बुधवार को हुए विमान के क्रेश होने की घटना में इसलिए भी अशंका जतायी जा रही है क्योंकि 1988 में अमेरिका ने इसी तरह से एक विमान को मार गिराया था जिसके बाद अमेरिका ने माफी तक नहीं मांगी थी। इस हमले को लेकर ईरान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) भी गया था और न्याय की गुहार लगायी थी। बता दें उस घटना में दस भारतीयों समेत कुल 280 यात्री मारे गए थे।
मिडिल ईस्ट पर संकट
पिछले कुछ दिनों से अमेरिका और ईरान के बीच पनप रही जंग की स्थिति का असर केवल ईरान-इराक और अमेरिका के बीच तक ही नहीं बल्कि इसका असर पूरे मिडिल ईस्ट में देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर मिडिल ईस्ट के देश भी काफी कुछ बंटे हुए हैं। मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश आते हें। जिनमें ईरान, इराक, यमन, यूएई, तुर्की, सीरिया, सऊदी अरब, कतर, फिलीस्तीन, ओमान, लेबनान, कुवैत, जोर्डन, इजरायल, मिस्र, साइप्रस, बहरीन और अकरोत्री शामिल हैं। इन देशों में रोजगार और व्यापार के सिलसिले में लगभग दस लाख भारतीय रहते हैं। जिन पर वर्तमान समय में संकट गहराता नजर आ रहा है। इस तनाव के कारण वहां बसे हुए दस लाख भारतीय मुश्किल में हैं। यही कारण है कि भारत सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्क हैं।
इस देश में सबसे अधिक संख्या में रहते हैं भारतीय
आपको बता दें भारत सरकार के 2018 आंकड़ों के अनुसार मिडिल ईस्ट के कुल 18 देशों में सबसे अधिक भारतीय संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में रहते हैं। यूएई में लगभग 3105486 भारतीय रहते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर सबसे अधिक संख्या में भारतीय सउदी अरब में रहते है। यहां करीब 2814568 भारतीय रहते हैं। तीसरे नंबर पर कुवैत है जहां 929903 भारतीय रहते हैं। पांचवें और छठे नंबर पर कतर और ओमान आता है। इसके बाद बहरीन, इजरायल, जोर्डन, यमन, इराक, लेबनान, साइप्रस, ईरान, मिस्र, तुर्की, सीरिया और फिलीस्तीन आते हैं।
यूएई ने किया ये दावा
हालांकि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रहा है कि उसके सहयोगी देश अमेरिका और पड़ोसी देश ईरान के बीच तनावों का उस पर प्रभाव पड़ा है। या वह इस विवाद में एक निशाना है। यूएई के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि क्षेत्र में तनाव का असर नागरिकों, बाशिंदों और आंगुतकों पर नहीं पड़ेगा। मंत्रालय ने जोर देते हुए कहा कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में सामान्य रूप से कामकाज हो रहा है। वित्तीय एवं पर्यटक केंद्र दुबई ने भी बुधवार को कहा कि अमीरात को निशाना बनाने वाले सुरक्षा खतरों के बारे में अफवाह फैलाए जा रहे हैं जो कि झूठ हैं और उन्हें किसी ईरानी सरकारी सूत्र ने जारी नहीं किया है। यूएई ने तनाव घटाने की अपील की है। उसने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाए जाने का समर्थन किया है।
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