इस राज्य में 15000 सूअरों को मारने के लिए निकला टेंडर, निशानेबाज भेज सकते हैं आवेदन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से जूझ रही मध्य प्रदेश सरकार के लिए अब सड़क पर घूमते आवारा सूअर नई सिर दर्दी बने हुए हैं। प्रशासन के मुताबिक ये आवारा सूअर सड़क हादसों का बड़ा कारण बन रहे हैं, जिससे निपटने के लिए अब इनकी संख्या कम करने पर विचार किया जा रहा है। दरअसल, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिला में आवारा सूअरों की संख्या में बड़ी तेजी के इजाफा हुआ है। इन सूअरों के चलते सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं जिससे प्रशासन की परेशानी बढ़ गई है।
निशानेबाज बुलाने का टेंडर निकाला
ऐसे में अब वहां सूअरों को जान से मारकर उनकी संख्या कम करने के लिए टेंडर निकाला गया है। शिवपुरी जिले के एक एक अधिकारी के अनुसार शहर की नगरपालिका सीमा में लगभग 15,000 आवारा सूअरों को मारने के लिए प्रशासन ने टेंडर निकाला है। अधिकारी ने बताया कि इस टेंडर के लिए सिर्फ निशानेबाजों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि इलाके में कई लोग ऐसे हैं जो सूअर पालते हैं लेकिन वह उन्हें खुला छोड़ देते हैं।
कई बार दी जा चुकी है चेतावनी
शिवपुरी के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) केके पटेरिया ने बताया कि सूअर पालन करने वालों को कई बार चेतावनी दी जा चुकी है लेकिन वह सूअरों को एक बाड़े में स्थानांतरित करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब सूअरों को मारने के लिए 13 अगस्त को एक टेंडर जारी किया गया है जिसमें इस समस्या से निपटने के लिए शूटरों को आमंत्रित किया गया है।
15,000 सूअरों को मारने का टेंडर
केके पटेरिया के मुताबिक वार्डवार गणना के अनुसार, शहर की नगरपालिका सीमा में लगभग 15,000 सूअर हैं और उनकी संख्या को बिना हत्या के नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। जिला कलेक्टर अनुग्रह पी के अनुसार यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है क्योंकि यह जानवर लोगों पर हमला कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं के कारण भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले कुछ महीनों से हम सूअरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं।
सूअरों को पालने वालों ने नजरअंदाज की चेतावनी
अनुग्रह पी ने कहा, 'ये आवारा सूअर लोगों पर हमला करते हैं, वहीं शिवपुरी में कई सड़क दुर्घटनाओं के लिए भी जिम्मेदार हैं। हमने सूअर पालने वाले लोगों से कहा है कि वे सूअरों को शिफ्ट करें क्योंकि उन्हें शहर में सुअर पालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने हमारी चेतावनी को अनसुना कर दिया जिसके बाद अब हमें इन सूअरों को मारना होगा।'
हत्या के बाद भी बढ़ गई सूअरों की आबादी
अनुग्रह पी ने बताया कि मप्र हाईकोर्ट ने 2014 में एक आदेश भी जारी किया था कि अगर शहर में सूअर भटकते पाए गए तो हत्या के लिए एक आदेश जारी किया जाएगा। हालांकि, एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा कि आवारा सूअर के खतरे को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को उनके प्रजनन को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। रवि गोयल ने कहा कि सूअरों की हत्या दीर्घकालिक समाधान नहीं है।
सुअर पालन में शामिल लोगों के खिलाफ हो कार्रवाई
रवि गोयल के अनुसार सूअरों की हत्या जैसे आदेश पहले भी दिए गए थे लेकिन फिर से सूअरों की आबादी बहुत बढ़ गई है। यह जानवर शहर के हर कोने में परेशानी पैदा कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी है जो सुअर पालन में शामिल हैं। बता दें कि यह दूसरी बार है जब प्रशासन ने सूअरों की सामूहिक हत्या के लिए निविदा आमंत्रित की है, जो पिछले एक दशक से स्थानीय लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं।
8 साल पहले भी मारे गए थे 15,000 सूअर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले 2014 में, पेशेवर निशानेबाजों ने शिवपुरी में लगभग 15,000 सूअरों को मार डाला था। उस दौरान मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने नगरपालिका परिषद के क्षेत्र के बाहर सूअरों को रखने या सूअरों को जान से मारने का आदेश दिया था। यह आदेश साल 2012 में सूअरों के खिलाफ डॉ. राजेंद्र गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद दिया गया था। इस याचिका में कहा गया था कि सूअर की घनी आबादी के चलते शिव राजपुरी के निवासियों के लिए विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
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