Telangana Assembly Elections 2018: नतीजों से पहले बदला सियासी राग, कांग्रेस को याद आए ओवैसी
हैदराबाद। एग्जिट पोल के नतीजों के बाद तेलंगाना की राजनीति में एकदम से उबाल आ गया है, यहां अभी तक जो नेतागण चुनाव प्रचार के दौरान एक-दूसरे पर जोर-जोर से निशाना साध रहे थे, अब वही एक-दूसरे के प्रति नरमी दिखा रहे हैं, जहां भाजपा ने टीआरएस के प्रति दोस्ताना रवैया दिखाया तो वहीं कांग्रेस के भी सुर बदल गए हैं, कांग्रेस ने रविवार को साफ तौर से कहा कि राजनीति के मंच पर ना तो कोई किसी के लिए स्थाई दोस्त होता है और ना ही दुश्मन।
ओवैसी की पार्टी से परहेज नहीं: कांग्रेस
दरअसल कांग्रेस के कद्दावर नेता जी.एन. रेड्डी, ने मीडिया में बयान दिया है कि राजनीति में कोई भी स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। कांग्रेस ने कहा है कि अगर टीआरएस विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद बीजेपी से हाथ मिलाती है तो उसे भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ जाने से परहेज नहीं है। हालांकि टीआरएस ने ऐसे किसी गठजोड़ से साफ इनकार किया है।
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टीआरएस का समर्थन कर सकती है भाजपा: तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष
दरअसल कांग्रेस का ये बयान इसलिए दिया क्योंकि आज तेलंगाना में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने आज मीडिया में बयान दिया कि अगर 11 दिसंबर को नतीजे घोषित होने के बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो वह टीआरएस का समर्थन करने के लिए तैयार है। हालांकि भाजपा ने इसके लिए एक शर्त भी रखी है कि अगर टीआरएस चाहती है कि हम उसका समर्थन करें तो उसे ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से दूरी बनानी होगी। लक्ष्मण ने कहा कि हमारी पार्टी ऐसे दल का समर्थन करना चाहती है तो जो कांग्रेस और aimim के साथ ना हो।
टीआरएस का गठबंधन के इनकार
हालांकि टीआरएस के प्रवक्ता भानु प्रसाद ने कांग्रेस या बीजेपी की गठबंधन के प्रस्तावों पर साफ किया कि उनकी पार्टी को अकेले दम पर राज्य में बहुमत आएगी और वह किसी से गठजोड़ नहीं करने वाली है।
सीधा मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस गठबंधन के बीच
बता दें कि तेलंगाना विधानसभा में सदस्यों की संख्या 119 है। 2014 के चुनावों में बीजेपी 45 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे पांच पर जीत मिली थी। एग्जिट पोल बीजेपी को इस बार 5-7 सीटों की उम्मीद जता रहे हैं। पार्टी को खुद 10-12 सीटें जीतने की उम्मीद है। वैसे हालात अगर त्रिशंकु विधानसभा के बनते हैं तो ऐसे में भाजपा किंगमेकर का रोल निभा सकती है। वैसे देश के सबसे युवा राज्य में सीधा मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस गठबंधन के बीच है। कांग्रेस गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, तेलंगाना जन समिति और सीपीआई शामिल हैं।
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