तेलंगाना चुनाव: राज्य की जनसंख्या, साक्षरता, राजनीति और चुनावी मुद्दे
हैदराबाद। तेंलगाना की 119 विधानसभा सीटों के लिए सात दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और 11 दिसंबर को नतीजों को ऐलान होगा। चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति, कांग्रेस, तेलंगाना जन समिति, तेलुगुदेशम पार्टी, भाजपा और एआईएमआईएम जैसी पार्टियां मैदान में हैं। राज्य में फिलहाल टीआरएस की सरकार है। जानिए राज्य से जुड़े अहम आंकड़े, यहां राजनीतिक पार्टियों की स्थिति और चुनावी मुद्दों के बारे में।
तेलंगाना
की
स्थिति
आन्ध्र
प्रदेश
से
अलग
होकर
बने
राज्य
तेलंगाना
में
31
जिले
हैं
और
119
विधानसभा
की
सीटें
हैं।
119
में
से
राज्य
में
19
सीटें
एससी
और
12
एसटी
उम्मीदवारों
के
लिए
रिजर्व
हैं।
राज्य
की
कुल
जनसंख्या
साढ़े
तीन
करोड़
है।
1.36
करोड़
शहरों
में
और
2.13
करोड़
लोग
गावों
में
रहते
हैं।
राज्य
में
वोटरों
की
संख्या
2,61,36,776
करोड़
है।
तेलंगाना
की
जीडीपी
8.43
लाख
करोड़
है।
राज्य | तेलंगाना |
राजधानी | हैदराबाद |
जिलों की संख्या | 31 |
विधानसभा सीटों की संख्या | 119 |
कुल जनसंख्या | 3.50 करोड़ |
शहरी जनसंख्या | 1.36 करोड़ |
ग्रामीण जनसंख्या | 2.13 करोड़ |
जीडीपी (2018-19) | 8.43 करोड़ |
साक्षरता (2011) | 66.54 फीसदी |
सेक्स अनुपात (2011) | 988 |
सत्ताधारी पार्टी | टीआरएस |
कुल मतदाता | 2,61,36,776 |
कुल मतदान केंद्र | 32,574 |
2014 के नतीजे
तेंलगाना जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से देश का बारहवां सबसे बड़ा राज्य है। अलग राज्य बनने के बाद 2014 में पहली बार यहां टीआरएस की सरकार बनी और चंद्रशेखर राव राज्य के पहले मुख्यमंत्री। 2014 में टीआरएस को 63 सीटें मिलीं थीं। कांग्रेस को 21, टीडीपी को 15, एआईएमआईएम को सात, भाजपा को पांच और अन्य को आठ सीटों पर जीत मिली थी।
पार्टी | 2014 में जीती सीटें |
टीआरएस | 63 |
टीडीपी | 21 |
कांग्रेस | 15 |
एआईएमआईएम | 07 |
भाजपा | 05 |
अन्य | 08 |
कुल | 119 |
चुनाव के मुद्दे
राज्य के चुनाव में केयरटेकर सीएम केसीआर लगातार कांग्रेस, टीडीपी, सीपीआई और टीजेएस के गठबंधन को निशाना बना रहे हैं। वो अपने भाषणों में लगातार अपनी पार्टी के अलग तेलंगाना राज्य की मांग के लिए चलाए गए आंदोलन की बात कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस और उसके गठबंधन के साथी राज्य में किसानों की खराब हालत और बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं। राहुल गांधी अपने भाषणों में लगातार राज्य में 4500 किसानों की खुदकुशी की बात करते रहे। राज्य में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। केसीआर सत्ता में वापसी पर बेरोजगारी भत्ते का वादा कर रहे हैं।