Tejas: रडार से बचने वाला पहला देसी फाइटर जेट जो पलभर में कर सकता दुश्मन का खात्मा
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बेंगलुरु। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को बेंगलुरु स्थित लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में उड़ान भरी। पूरी तरह से देश में बने फाइटर जेट तेजस में उड़ान भरने वाले राजनाथ सिंह देश के पहले रक्षा मंत्री हैं। तेजस देश का ऐसा जेट है जो साल 2013 से सुर्खियों में है, उस समय तेजस ने इनीशियन ऑपरेशनल क्लीयरेंस (आईओसी) हासिल की थी। तेजस का निर्माण भारत ने इंडियन एयरफोर्स के पास मौजूद रूस के फाइटर जेट मिग-21 को रिप्लेस करने के मकसद से किया है। तेजस की स्क्वाड्रन जिसे फ्लाइंग डैगर कहते हैं, उसे जुलाई 2016 में तैयार किया गया था और फ्लाइंग डैगर कर्नाटक के बीदर में है।
वर्ष 1969 में आया था आइडिया
वर्ष 1969 में उस समय की भारत सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को एक भारत के एक और एयरक्राफ्ट मारुत की तर्ज पर एयरक्राफ्ट डिजाइन और डेवलप करना चाहिए।इसके बाद वर्ष 1983 में इंडियन एयरफोर्स दो अहम मकसदों के लिए भारत में विकसित कॉम्बेट जेट की जरूरत के बारे में चिंता जताई। इसमें पहला मकसद मिग-21 को रिप्लेस करना था। इसके बाद वर्ष 1984 में सरकार ने एडीए एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी।
अटल बिहारी वाजपेई ने दिया था नाम
एलसीए यानी लाइट कॉम्बेट जेट प्रोग्राम के तहत देश में सिंगल सीटर हल्का फाइटर जेट डेवलप करना था। इस प्रोग्राम के तहत डेवलप होने वाले एयरक्राफ्ट का नामकरण भी काफी मुश्किलों भरा था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने ही इसे 'तेजस' नाम दिया। तेजस का मतलब होता है चमकदार।डीआरडीओ और इसके साझीदार एजेंसियां तेजस के चार वर्जन को डेवलप करने के काम में बिजी हैं। तेजस के चार वर्जन इंडियन एयरफोर्स के लिए एलसीए, एयरफोर्स के लिए ट्रेनर एलसीए,इंडियन नेवी के लिए एलसीए और नेवी के लिए ट्रेनर एलसीए। गोवा में इसके एयरक्राफ्ट्स की टेस्टिंग के लिए एक टेस्टिंग फैसिलिटी भी बनाई गई है।
रडार की पकड़ से बाहर तेजस
आज किसी भी फाइटर जेट को डेवलप करने के लिए स्टेल्थ एक अहम प्वाइंट होता है। इसका मकसद है कोई एयरक्राफ्ट को रडार क्रॉस सेक्शन यानी आरसीएस में कम से कम हो। तेजस के हर वैरियंट में यह फीचर दिया गया है। यानी तेजस दुश्मन पर अगर हमला करने को तैयार होगा तो दुश्मन देश की सेनाओं को इसकी भनक नहीं लग पाएगी।तेजस को डेल्टा विंग कनफिगरेशन के साथ डिजाइन किया गया है यानी इसके विंग्स ट्राइंगल की तरह है जिसमें कोई भी टेलप्लेंस नहीं है। इस तरह की डिजाइन इसे अस्थिर बनाती है और इस अस्थिरता में तेजस किसी भी दिशा में कभी भी मुड़ सकता है। अगर इसके सामने कोई और फाइटर जेट भी आ जाए तो तेजस उस पर भारी पड़ेगा।
तेजस के खतरनाक हथियार
तेजस के हथियारों में मध्यम और करीब से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, गाइडेड वेपंस, हवा से जमीन में मार सकने वाली मिसाइलें, जिसमें एंटी-शिप मिसाइलें, क्लस्टर बम और अनगाइडेड मिसाइलें शामिल हैं। तेजस आठ टन तक के हथियारों का बोझ ढो सकता है। तेजस में 23 एमएम की ट्विन बैरल गन है जो 220 राउंड तक मार कर सकती है। तेजस की टेस्टिंग भी अपने आप में काफी खास है। तेजस के प्रोटोटाइप ने करीब 1000 टेस्ट फ्लाइट्स को पूरा कर लिया है। जनवरी 2009 तक इसने 530 घंटे की फ्लाइट टेस्टिंग को पूरा किया तो वर्ष 2013 में इसने 450 टेस्ट फ्लाइट्स कंप्लीट की थीं। तेजसके अलग-अलग वैरिएंट्स को जैसलमेर की झुलसा देने वाली गर्मी से लेकर लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों के बीच भी टेस्ट किया जा चुका है।
अब आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग
तेजस के पास आठ वेपंस हार्ड प्वाइंट्स दिए गए हैं। तीन हर विंग के नीचे हैं, एक इसकी सेंट्रल बॉडी के नीचे, एक एयरक्राफ्ट के बाईं तरफ मौजूद है। इसकी वजह से तेजस अपने वेपन सिस्टम को एक बड़े क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है। 13 सितंबर को इंडियन नेवी ने गोवा में आईएनएस हंसा पर तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग या नियंत्रित लैंडिंग कराई गई। इस सफल लैंडिंग के बाद भारत भी अब अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों वाले क्लब का हिस्सा बन गया है। अब तेजस का अगला कदम एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग करना है।