राजस्थान: नाराज नेताओं को मनाएगी बीजेपी, जानिए विधानसभा चुनाव से पहले का प्लान
दरअसल, राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपना विरोध जता चुके विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने नए राजनीतिक दल के गठन का ऐलान किया है
नई दिल्ली। अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं इससे पहले बीजेपी ने नाराज नेताओं को मनाने का काम शुरू कर दिया है। कोशिश ये की जा रहा है कि किसी तरीके से खफा नेताओं को पार्टी में वापस लाया जा सके। हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए किरोड़ी लाल मीणा ने नाराज नेताओं से संपर्क साधना शुरू भी कर दिया है। खबर है कि राजस्थान बीजेपी के नेता बागी विधायक हनुमान बेनीवाल को अपने पाले में लाना चाहते हैं। वहीं नई पार्टी बना चुके घनश्याम तिवाड़ी को भी मनाने की कोशिश की जाएगी। बीकानेर के कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी को भी मनाया जाएगा। वहीं जोधपुर संभाग के बीजेपी नेता राजेंद्र गहलोत की नाराजगी भी दूर की जाएगी।
दरअसल, राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपना विरोध जता चुके विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने नए राजनीतिक दल के गठन का ऐलान किया है। तिवाड़ी ने जानकारी दी कि उनकी पार्टी का नाम भारत वाहिनी पार्टी होगा। तिवाड़ी ने अपने बेटे अखिलेश तिवाड़ी को इस पार्टी का अध्यक्ष बनाया है। मिली जानकारी के अनुसार तिवाड़ी ने इसलिए अपने बेटे को अध्यक्ष बनाया है क्योंकि वो फिलहाल उन्होंने अभी तक भाजपा से इस्तीफा नहीं दिया है। भारत निर्वाचन आयोग के नियमानुसार कोई शख्स जब संबंधित दल से इस्तीफा नहीं देता तब तक वो दूसरी पार्टी का सदस्य नहीं बन सकता। अगर तिवाड़ी नई पार्टी के सदस्य हो जाएंगे तो उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है। अपनी विधानसभा सदस्यता को बरकरार रखने के लिए तिवाड़ी ने नई पार्टी की आधिकारिक सदस्यता नहीं ली। हालांकि यह स्पष्ट है कि पार्टी का चुनावी अभियान से लेकर बाकी सभी रणनीतियां वो तैयार रहे हैं। तिवाड़ी, भाजपा और कांग्रेस के बागी नेताओं से संपर्क कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों राजपा के विधायक किरोडीलाल मीणा, उनकी पत्नी व विधायक गोलमा देवी और एक अन्य विधायक गीता वर्मा ने बीजेपी ज्वाइन की थी। इससे राजपा का भाजपा में विलय हो गया, लेकिन उनके एक साथी विधायक नवीन पिलानिया कांग्रेस में जाने की रूचि दिखा रहे हैं। किरोडीलाल मीणा को तुरंत टिकट देकर राज्यसभा भेजा जा चुका है। ऐसे में सीएम राजे के विरोधियों की संख्या जरूर घट रही है, लेकिन जब तक तिवाड़ी को साथ नहीं लिया जाएगा, तब तक चुनाव में पार पाना राजे के लिए टेढी खीर ही रहेगी।
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