9 साल के बच्चे का निबंध पढ़कर भावुक हुए टीचर्स, वायरल होने के बाद सामाजिक मंत्री ने किया ये ऐलान
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के बीड़ जिला में चौथी कक्षा में पढ़ने वाले एक 9 वर्षीय छात्र का निबंध इन दिनों काफी वायरल हो रहा है। स्कूल में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में बच्चे से 'मेरे पिता' विषय पर निबंध लिखने को कहा गया था जिसमें उसने अपने घर की गरीबी और आर्थिक समस्या के बारे में लिखा, छात्र का लेख पढ़कर शिक्षिका भी भावुक हो गईं। टीचर ने उस निबंध को अपने सहयोगियों और जानकारों को भेजकर बच्चे के लिए सहायता मांगी। कुछ ही देर में बच्चे का यह निबंध वायरल हो गया जो अब चर्चा में है।
मंगेश वालके ने बताई घर की समस्या
दरअसल, बीड़ के जिला परिषद स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ने वाला मंगेश वालके इन दिनों अपने निबंध को लेकर चर्चा में है। स्कूल ने एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें बच्चों से 'मेरे पिता' विषय पर निबंध लिखने को कहा गया। चौथी कक्षा के मंगेश वालके ने निबंध में अपनी गरीबी और घर की आर्थिक समस्या के बारे में लिखा जिसे पढ़कर शिक्षिका भी भावुक हो गईं।
पिता की हो चुकी है मौत और मां दिव्यांग
मंगेश ने निबंध में लिखा, मेरे पिता कहा करते थे पढ़-लिखकर साहब बनना। लेकिन एक साल पहले पिता की टीबी से मौत हो गई। पिता की मौत पर मैं और मां खूब रोए, उस दिन बहुत से लोग हमारे घर आए थे, हमारे साथ होने की सांत्वना दे रहे थे। पिता के जाने के बाद अब कोई हमारी मदद नहीं करता। मेरी मां दिव्यांग है और घर का सारा काम मुझे करना पड़ता है। मंगेश की शिक्षिका ने बताया कि जब उन्होंने छात्र का लेख पढ़ा तो उनका दिल भर आया ।
टीचर ने शेयर किया निबंध
शिक्षिका ने बताया कि मंगेश के निबंध से मैं बहुद दुखी हुई और उसकी मदद के लिए लेख अपने साथियों को भेज दिया। उन्होंने बताया कि मंगेश की पढ़ाई के लिए उसके पास पैसा नहीं है क्योंकि, जो भी पैसा मां ने इकट्ठा किया था वह मंगेश के पिता के इलाज में खर्च हो गया। इसके बाद मंगेश के लिखा निबंध इस कदर वायरल हुआ कि सीधे सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे के पास पहुंच गया।
मदद के लिए आगे आए सामाजिक न्याय मंत्री
मामला संज्ञान में आते ही मंत्री धनंजय मुंडे ने सरकार आदेश जारी करते हुए मंगेश को आर्थिक मदद देने का एलान किया है। मीडिया को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय विभाग से जो भी ममद हम बच्चे की कर सकते हैं उसका आदेश पहले ही दे दिया गया है। मंत्री ने कहा, मंगेश जब तक अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता तबतक उसकी जिम्मेदारी मैंने खुद उठाई है।
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