बिना कांग्रेस या बीजेपी के कोई तीसरा मोर्चा नामुमकिन- टीडीपी
नई दिल्ली- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी (TDP) के नेता चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने चुनाव के बाद की परिस्थितियों को लेकर दावा किया है, कोई भी तीसरा मोर्चा बने, यह बीजेपी या कांग्रेस के सहयोग के बिना असंभव है। गौरतलब है कि नायडू के बेटे विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्होंने केंद्र में अगली सरकार को लेकर जो कुछ कहा है, उसके कई सियासी मतलब निकाले जा सकते हैं। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या नायडू भी पीएम पद के दावेदार के रूप में उभर सकते हैं?
टीडीपी के बयान के सियासी मायने?
बिना कांग्रेस या भाजपा के समर्थन से तीसरे मोर्चे की सरकार बनना असंभव बताकर टीडीपी ने नई बहस छेड़ दी है। हालांकि नारा लोकेश चाहते हैं कि ये दोनों दल टीडीपी समेत बाकी क्षेत्रीय पार्टियों को सरकार बनाने में सहयोग के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा है- "मुझे लगता है कि कांग्रेस या बीजेपी के बगैर वैकल्पिक मोर्चा का अस्तित्व नहीं है। यह कल्पना से भी परे है।" इस बयान के बाद माना जा सकता है कि त्रिशंकु लोकसभा बनने की स्थिति में चंद्रबाबू खुद को भी प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में पेश कर सकते हैं। क्योंकि, 36 साल के उनके बेटे ने यहां तक कहा है कि भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए, जो राज्यों को भी सुन सके। उन्होंने संघीय ढांचे की भावना को बरकरार रखने की जरूरत पर भी बल दिया है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव के बाद वे अपने पिता के लिए नई दिल्ली में बड़ा रोल देखना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश को चंद्रबाबू नायडू की 5 साल और जरूरत है।
वैसे जब उनसे पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय दलों को सरकार के पीछे रहकर समर्थक की भूमिका अपनानी चाहिए तो उन्होंने कहा कि, "यह संख्या पर निर्भर करता है। अगर क्षेत्रीय दलों के पास अच्छी संख्या होगी, तो कांग्रेस को उन्हें समर्थन देना ही पड़ेगा।" उनका ये भी दावा है कि टीडीपी आंध्र प्रदेश के 25 में से 18 से 20 लोकसभा सीटें जीत सकती है। जबकि 175 सीटों वाले विधानसभा में पार्टी 125 सीटों तक जीतने की उम्मीद कर रही है। राज्य के बंटावरे के बाद पहली बार वहां दोनों चुनाव एकसाथ हो रहे हैं। गौरतलब है कि टीडीपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) एवं वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के साथ 'मैच फिक्सिंग' का आरोप लगाते हुए हमलावर रही है और नारा लोकेश ने एकबार फिर से उन आरोपों को दोहराया है। इसलिए उन्होंने गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी फ्रंट की टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव (KCR) के आइडिया की भी खिल्ली उड़ाई है।
नारा लोकेश की आंध्र की राजनीति में भूमिका
चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। अभी वे विधान परिषद के सदस्य हैं और राज्य के आईटी (IT) मंत्री भी। राज्य में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव हो रहे हैं और वे मंगलागिरी विधानसभा सीट से टीडीपी के उम्मीदवार हैं।यहां उनका मुकाबला वाईएसआरसीपी (YSRCP) विधायक रामकृष्ण रेड्डी से है, जहां पिछली बार टीडीपी 12 वोट से हार गई थी। यह ऐसी सीट है, जहां पर टीडीपी 1985 के बाद से एकबार भी नहीं जीती है। ऐसे में यह कयास लगना स्वाभाविक है कि अगर दोनों चुनावों में टीडीपी को आंकड़े मिले, तो नायडू लोकेश को आंध्र प्रदेश की गद्दी सौंपकर खुद बड़ा किरदार निभाने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, अभी टीडीपी इसे सिरे से खारिज कर रही है। लेकिन, सियासत की परख रखने वाले लोग समझते हैं कि सत्ता की महत्वाकांक्षा में परिस्थितियों के बदलते देर नहीं लगती।
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बीजेपी से है '36' का आंकड़ा
कई वर्षों तक मोदी सरकार में रहकर सत्ता सुख भोग चुकी टीडीपी के लिए अभी भाजपा नंबर एक दुश्मन है। यही कारण है कि एनडीए सरकार की कई नीतियों में भागीदार रही टीडीपी चुनाव के समय उसपर बहुत ही ज्यादा हमलावर हो गई है। लोकेश का भी आरोप है कि मोदी राज में राज्यों की आवाज दबाई जा रही है। उनका कहना है कि जीएसटी काउंसिल में (GST council) भाजपा शासित प्रदेश कुछ नहीं बोलते और सभी प्रस्तावों को मान लेते हैं। जबकि, संघीय व्यवस्था के लिए यह स्थिति सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी कई वादे करके आए थे, लेकिन कुछ भी पूरा नहीं किया।
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