टीसीएस की तरह क्या विप्रो भी भविष्य में कर्मचारियों को देगी वर्क फ्रॉम होम,जानें
बेंगलुरु। कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करवा रहे हैं। अब संकेत मिल रहे हैं कि कोविड-19 का असर खत्म होने के बाद भी यह सिस्टम जारी रह सकता हैं। भारत की सबसे बड़ी आईटी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जिसमें सबसे अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं उसने अब निर्धारित किया हैं कि आने वाले पांच सालों में वो अपने सभी कर्मचारियों को वर्क फ्राम होम की सुविधा अधिक देंगे। इतना ही नहीं विप्रो जैसी आईटी कंपनियां भी अब अपने कर्मचारियों को अधिक वर्क फ्रॉम होम देने के बारे में विचार कर रही हैं।
टीसीएस ने लिया ये निर्णय
कोविद -19 महामारी के दौरान टीसीएस के अनुभव के बाद की पहल का देश के $ 147 बिलियन आउटसोर्सिंग उद्योग को भी वर्क फ्रॉम होम के लिए प्रोत्साहित करेगा। टीसीएस के मुख्य परिचालन अधिकारी एन गणपति सुब्रमण्यम ने कहा कि कंपनी का मानना है कि हमें कंपनी का टॉरगेट हासिल करने के लिए आफिस में कर्मचारियों की अटेडेन्स 25% से अधिक होना आवश्यक नहीं है।" यह बताते हुए कि हर कर्मचारी को हर समय कार्यालय में उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं है, उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह पर्याप्त है कि वे 100 प्रतिशत में अपना 25% समय कार्यालय में आकर कार्य करें। बता दें आईटी कंपनियों ने पहले कर्मचारियों को सीमित दिनों के लिए घर से काम करने का विकल्प दिया जाता था। लेकिन कोरोना के संक्रमण के कारण कंपनियों को इसको लेकर अपनी नीतियों को रातोंरात बदलने के लिए मजबूर हो गई।
मार्च से चार मिलियन आईटी कर्मचारियों के 80% से अधिक कर्मचारियों ने घर से काम किया
मार्च के बाद से, भारत के लगभग चार मिलियन आईटी कर्मचारियों के 80% से अधिक कर्मचारियों ने घर से काम किया और विश्व स्तर पर कंपनी के क्लांइट को सर्विस प्रोवाइड कर रहे हैं। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के सीईओ राजेश गोपीनाथन ने बताया कि मुंबई मुख्यालय वाली कंपनी खुद को देखने के लिए चुनौती दे रही है। उन्होंने कहा, "2025 तक 25/25 मॉडल प्राप्त कर सकते हैं और यही वह तरीका है जिसमें हमअपनी भविष्य की क्षमता और भविष्य के बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे।" इससे वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता । बता दें TCS ने मार्च के अंत में 448,464 लोगों को रोजगार दिया हैं।
विप्रो भी कर रही इस पर विचार
भारत की चौथी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी, विप्रो ने इस लॉकडाउन के दौरान विश्व भर में काम करे अपने 93 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दी है जिसके चलते कंपनी को ये अनुभव हुआ कि इससे कंपनी को कोई नुकसान नहीं हुआ और इसे बढ़ाया जा सकता हैं। विप्रो के प्रमुख एचआर अधिकारी सौरभ गोविल ने कहा, अभी इस पर विचार चल रहा है कि क्या हमें पूरे वर्कफोर्स को वापसऑफिस आने की जरूरत है या उन्हें वर्क फ्रॉम ही पर ही जारी रखा जाए। " विप्रो ने फिलहाल अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है क्योंकि इसके लिए उसे अपने क्लांइट्स से भी मंजूरी लेनी होगी।
कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने से रियल स्टेट को हो सकता है ये नुकसान
बता दें दो दशक पहले, कई विदेशी आईटी कंपनियों ने अपने यहां बड़े आलीशान कैम्पस स्थापित कर सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी पर रखा था और यहां ऑफ शोर डेवलेपमेंट सेंन्टर्स यानी कि ओडीसी सेन्टर शुरु किए थे जिसकी अवधारणा थी कि जिसमें कर्मचारियों को संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के चलते कैम्पस में आकर ही काम करना होगा। बता दें कि भारतीय आईटी फर्मों ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी देने के लिए बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, नोएडा और चेन्नई जैसे शहरों में विशाल परिसर बनाए हैं, जो इन ODCs और ग्राहकों के लिए समर्पित अन्य केंद्रों में काम कर सकते हैं। अगर कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा ये सभी बड़ी कंपनियां देने लगेगी तो माना जा रहा हैं कि रियल स्टेट के दाम भी अर्स से फर्श पर पहुंच जाएंगे। जिससे रियल स्टेट का बिजनेस काफी डाउन हो सकता हैं।