
दिल ये जिद्दी है: 2015 में नौकरी से निकाला गया, कोर्ट से लड़कर अब वापस ली जॉब, 7 साल का वेतन भी देगी कंपनी
नई दिल्ली, 20 जून: कहते हैं अगर आप ठान लो तो कुछ भी कर सकते हैं, ये कहावत चेन्नई के तकनीकी विशेषज्ञ थिरुमलाई सेल्वन पर बिल्कुल फिट बैठती है। जी हां, सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद चेन्नई के तकनीकी विशेषज्ञ थिरुमलाई सेल्वन को उनकी नौकरी फिर से वापस मिल गई है। असल में थिरुमलाई सेल्वन को 2015 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज द्वारा नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन थिरुमलाई सेल्वन ने हार नहीं मानी और अपनी नौकरी को वापस पाने के लिए वो कोर्ट पहुंच गए। 7 सालों तक कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब फैसला थिरुमलाई सेल्वन के हक में आया है।

छंटनी के दौरान निकाले गए थे थिरुमलाई सेल्वन
रिपोर्ट के मुताबिक आईटी प्रमुख थिरुमलाई सेल्वन को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने 2015 में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी के दौरान निकाला था। टीसीएस ने सेल्वन को नौकरी से निकालते वक्त तर्क दिया था कि सेलवन एक प्रबंधकीय कैडर में काम कर रहे थे, इसलिए वह 'श्रमिक' की कैटेगरी में नहीं आते हैं।

अब मिलेगा 7 सालों का वेतन और फिर से नौकरी
इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज द्वारा उठाए गए इस कदम के खिलाफ थिरुमलाई सेल्वन कोर्ट पहुंच गए। 7 सालों बाद चेन्नई की एक श्रम अदालत ने आखिरकर थिरुमलाई सेल्वन के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने टीसीएस को निर्देश दिया है कि वह सेल्वन को फिर से नौकरी में बहार करें और उसके वेतन और सात साल के लाभों का पूरा भुगतान करे। टाटा कंपनी ने कोर्ट को बताया कि थिरुमलाई सेल्वन प्रबंधकीय क्षमता में आईटी प्रमुख के साथ काम कर रहे थे, वो स्टाफ की कैटेगरी में नहीं आते हैं। कोर्ट में कंपनी ने यह भी कहा कि उन्हें उनके खराब प्रदर्शन को देखते हुए नौकरी से निकाला गया था।

जानें थिरुमलाई सेल्वन की पूरी कहानी?
48 वर्षीय आईटी पेशेवर थिरुमलाई सेल्वन को नौकरी खोने के बाद काफी संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने अपना गुजारा करने के लिए कई अलग-अलग सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट्स पर फ्रीलांस सलाहकार के रूप में काम किया। इसके अलावा थिरुमलाई सेल्वन को रियल एस्टेट ब्रोकरेज जैसी अन्य विषम नौकरियां करने पर भी मजबूर हो गए थे।

10 हजार की सैलरी पर काम करने को मजबूर हुए IT पेशेवर
नौकरी से निकाले जाने के बाद थिरुमलाई सेल्वन इन बीते 7 सालों में 10 हजार रुपये तक की नौकरी करने पर मजबूर हो गए थे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट थिरुमलाई सेल्वन टाटा में नौकरी करने से पहले 4 साल तक अपने कोर सेक्टर में काम किया था। इसके बाद वह 2001 में सॉफ्टवेयर में जॉब करने का सोचा। जिसके बाद उन्होंने 1 लाख रुपये का कोर्स किया और 2006 में वह एक सहायक सिस्टम इंजीनियर के रूप में टीसीएस कंपनी में शामिल हुए।

'मैं बीते 7 सालों में 150 बार कोर्ट गया...'
अपने संघर्षों को याद करते हुए थिरुमलाई सेल्वन ने कहा, ''मैं पिछले सात वर्षों में 150 से अधिक बार कोर्ट जा चुका हूं।'' हालांकि इस कानून लड़ाई में फोरम फॉर आईटी एम्प्लॉइज (FITE) ने थिरुमलाई सेल्वन का पूरा साथ दिया है। थिरुमलाई ने बताया, "यह कानूनी लड़ाई मेरे वकील डी सुजाता और फोरम फॉर आईटी एम्प्लॉइज (एफआईटीई) के समर्थन के बिना संभव नहीं थी।"
थिरुमलाई सेल्वन को फिर से नौकरी मिलने पर फोरम फॉर आईटी एम्प्लॉइज ने कहा, ''न्याय कहीं भी हर जगह आशा की किरण लेकर आता है। ये फैसला उन सभी कंपनियों के लिए एक सबक है, जो अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालते हैं या फिर इस्तीफा देने पर मजबूर करते हैं।''

'मुझे नहीं मिल पा रही थी कहीं नौकरी...'
थिरुमलाई सेल्वन ने कहा, ''पिछले सात वर्षों से, मुझे स्वतंत्र रूप से अपनी आजीविका अर्जित करनी पड़ी है क्योंकि टीसीएस से मेरे रोजगार के रिकॉर्ड दिखाई देते थे। कुछ साल पहले, मैंने कुछ अन्य सॉफ्टवेयर कंपनियों में इंटरव्यू देने का मन बनाया था। लेकिन जब मेरा आवेदन एचआर तक पहुंचा, तो उन्होंने पिछला टाटा का रिकॉर्ड देते हुए, मुझे नौकरी नहीं दी। उन्होंने महसूस किया कि मुझे कम ग्रेड दिया गया था। इन सात सालों में मुझे नौकरी नहीं मिल पा रही थी।''