भारत में बड़े जल संकट की चेतावनी, नलों से गायब हो जाएगा पानी
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल कम बारिश की वजह से मध्य प्रदेश के बांध इंदिरा सागर के ऊपरी हिस्से में पानी अपने सबसे पिछले हिस्से में पहुंच गया है
नई दिल्ली। देशभर में गर्मी अब धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। इसी बीच जल संकट को लेकर एक चेतावनी जारी की गई है। उपग्रह प्रणाली के अध्ययन पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बहुत जल्द भारी पानी की समस्या से गुजर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार भारत, मोरक्को , इराक और स्पेन में सिकुड़ते जलाशयों के कारण इन देशों में जल संकट गहरा सकता है। दुनिया के 500,000 बांधों के लिए पूर्व चेतावनी उपग्रह प्रणाली बनाने वाले डेवलपर्स के अनुसार भारत, मोरक्को, इराक और स्पेन में जल संकट 'डे जीरो' तक पहुंच जाएगा। यानी नलों से पानी एकदम गायब हो सकता है।
जलाशयों के सिकुड़ने से पानी का संकट बढ़ सकता है
अंग्रेजी अखबार 'गार्जियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, उपग्रह से प्राप्त संकेतों के आधार पर पूर्वानुमान जाहिर करने वालों के अनुसार, जलाशयों के सिकुड़ने से आगे पानी का संकट बढ़ सकता है। वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के मुताबिक, बढ़ती मांग, कुप्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के कारण कई अन्य देश भी इसी प्रकार के संकट के जूझ रहे हैं। अमेरिका स्थित पर्यावरण संगठन, डेल्टारेस, डच सकार व अन्य साझेदारों के साथ मिलकर जल व सुरक्षा संबंधी पूर्व चेतावनी पर काम कर रहा है जिसका मकसद सामाजिक स्थिरता, आर्थिक नुकसान और सीमापार आव्रजन का आकलन करना है।
गुजरात सरकार ने सिंचाई रोकते हुए किसानों से फसल नहीं लगाने की अपील की थी
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल कम बारिश की वजह से मध्य प्रदेश के बांध इंदिरा सागर के ऊपरी हिस्से में पानी अपने सबसे पिछले हिस्से में पहुंच गया है। वहीं जब इसकी भरपाई के लिए निचले क्षेत्र में स्थित सरदार सरोवर जलाशय से पानी लिया गया तो इसको लेकर भी काफी बवाल मच गया। दरअसल इस जलाशय में लगभग 30 करोड़ लोगों के पीने का पानी इस्तेमाल किया जाता है। पिछले महीने गुजरात सरकार ने सिंचाई रोकते हुए किसानों से फसल नहीं लगाने की अपील की थी।
भारत में ज्यादातर जल नुकसान होता है
जल संकट का एकमात्र कारण यह नहीं है कि बारिश की मात्रा कम होती जा रही है। इजराइल जैसे देशों में जहां वर्षा का औसत 25 सेमी से भी कम है, वहाँ भी जीवन चल रहा है। वहां जल की एक बूंद व्यर्थ नहीं जाती। वहां जल प्रबंधन तकनीक अति विकसित होकर जल की कमी का आभास नहीं होने देती। भारत में 15 प्रतिशत जल का उपयोग होता है, शेष जल बहकर समुद्र में चला जाता है। शहरों एवं उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ नदियों के जल को प्रदूषित करके पीने योग्य नहीं रहने देते। आज विश्व में तेल के लिए युद्ध हो रहा है। भविष्य में कहीं ऐसा न हो कि विश्व में जल के लिए युद्ध हो जाए।
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