तमिलनाडु के कारोबारियों का ऐलान, 1 मार्च से राज्य में नहीं बिकेगी पेप्सी और कोक
राज्य में पेप्सिको और किनले के खिलाफ लड़ाई साल 1998 से जारी है। लेकिन जल्लिकट्टू के दौरान युवाओं की ओर से उठाई गई विदेशी सॉफ्ट ड्रिंक्स पर प्रतिबंध की मांग ने एक बार फिर इसमें नई जान फूंकी है।
चेन्नई। जल्लिकट्टू को लेकर चल रहे प्रदर्शन के बीच तमिलनाडु के कारोबारियों ने एक बड़ा फैसला लिया है। कारोबारियों ने तय किया है कि वे एक मार्च से विदेशी कंपनियों की सॉफ्ट ड्रिंक नहीं बेचेंगे। इसके बजाय वे भारतीय ब्रांड को बढ़ावा देंगे। 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। जल्लिकट्टू के समर्थन में सड़क पर उतरे लोगों ने स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने की मांग करते हुए न सिर्फ PETA (पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) के का विरोध किया बल्कि अमेरिकी ब्रांड्स पेप्सी और कोक पर भी भड़ास निकाली। PETA का मुख्यालय अमेरिका में है।
फरवरी
में
शुरू
करेंगे
अभियान
तमिलनाडु
में
ट्रेडर्स
यूनियन
के
अध्यक्ष
ए.एम.
विक्रमराजा
ने
कहा,
'सॉफ्ट
ड्रिंक्स
शरीर
को
फायदा
पहुंचाने
के
बजाय
नुकसान
ज्यादा
करती
हैं।
हाल
ही
में
एक
ब्रांड
ने
यह
स्वीकार
भी
किया
है
कि
बच्चों
के
लिए
यह
सही
नहीं
है
और
इसमें
कुछ
केमिकल
होने
की
भी
बात
सामने
आई
थी।'
उन्होंने
कहा
कि
पेप्सी
और
कोका-कोला
अपने
प्लांट
के
लिए
तिरुनेलवेली
से
पानी
लेती
हैं
इससे
किसामों
को
खेती
के
लिए
पर्याप्त
पानी
नहीं
मिल
पाता।
करीब
6000
सदस्य
संगठनों
और
15.87
लाख
सदस्यों
वाले
संगठन
पेरामैप्पू
ने
फैसला
लिया
है
कि
फरवरी
महीने
में
ग्राहकों
और
कारोबारियों
को
विदेशी
ड्रिंक्स
के
नुकसान
से
अवगत
कराया
जाएगा।
साथ
ही
होटलों
और
रेस्टोरेंट
मालिकों
से
भी
इन्हें
न
बेचने
की
अपील
की
जाएगी।
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कितनी
है
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पंकज
की
संपत्ति
जल्लिकट्टू
ने
आंदोलन
को
दी
हवा
विक्रमराजा
ने
द
हिंदू
को
बताया
कि
पेप्सिको
और
किनले
के
खिलाफ
उनकी
लड़ाई
साल
1998
से
जारी
है।
लेकिन
जल्लिकट्टू
के
लिए
युवाओं
की
ओर
से
उठाई
गई
विदेशी
सॉफ्ट
ड्रिंक्स
पर
प्रतिबंध
की
मांग
ने
एक
बार
फिर
इसमें
नई
जान
फूंकी
है।
उन्होंने
बताया
कि
अब
आंदोलन
आगे
बढ़
रहा
है।
मरीना
बीच
पर
जल्लिकट्टू
के
लिए
हुए
प्रदर्शन
में
बड़ी
संख्या
में
लोगों
ने
इस
मांग
को
उठाया
है।
कुछ
समय
पहले
ही
ऐसी
खबरें
आई
थीं
कि
कुछ
होटलों
और
रेस्टोरेंट
ने
कोक
और
पेप्सी
देना
बंद
कर
दिया
है।
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