तमिलनाडु: भारत में पहली बार जाति और धर्म रहित होने का प्रमाणपत्र जारी, एक नास्तिक परिवार की पहल
तिरुपाथूर। तमिलनाडू के तिरुपाथूर में रहने वाली एम.ए. स्नेहा को अपने नाम से किसी भी धर्म या जाति की पहचान वाले टाइटिल से छुटकारा मिल गया है। उनके बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल सर्टिफिकेट में कास्ट कॉलम को खाली छोड़ दिया गया है। बता दें कि हाल ही में तमिलनाडू की सरकार ने स्नेहा के लिए बिना जाति और धर्म वाला आधिकारिक सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। इसके साथ ही ऐसा सर्टिफिकेट पाने वाली स्नेहा देश की पहली व्यक्ति बन गई है। स्नेहा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि- 'जब सरकार समुदायिस प्रमाणपत्र दे सकती है तो मुझे लगा कि वह जाति और धर्म रहित प्रमाणपत्र क्यों नहीं दे सकती। शुरुआत में मैंने पत्र के जरिए ऐसे सर्टिफिकेट की मांग की। बाद में मैंने उसी तरह अप्लाई किया जैसे कोई भी जाति या धर्म के लिए प्रमाणपत्र की मांग करता है।'
आखिरकार स्नेहा को इस माह सरकार ने ये प्रमाणपत्र दे ही दिया। स्नेहा ने कहा कि मेरा परिवार, माता-पिता, बहन, पति और बेटी बिना किसी जाति और धर्म के आईडेनटिटी के जी रहे हैं। प्रमाण पत्र सिर्फ एक दस्तावेज है। हम सभी नास्तिक हैं।
यहां जहां भारत में लोगों के नाम और टाइटिल से उनके धर्म का पता लगता है वहीं स्नेहा और उनके पति ने अपनी तीने बेटियों के नाम अलग अलग धर्म के आधार पर रखे हैं। स्नेहा की तीनों बेटियों के नाम बौद्ध, क्रिश्चन और मुस्लिम धर्म के आधार पर रखे- अधिराई नसरीन, अधीला इरीनी, अरीफा जैसी रखा है। इसके अलावा स्नेहा की दोनों छोटी बहनों के नाम मुस्लिम और क्रिश्चन धर्म के आधार पर मुमताज सुरैया और जेनिफर हैं। स्नेहा ने बताया कि हम एक अलग वातावरण में पले बढ़े हैं। हमारे घर में कम्यूनिस्ट लोग आया करते थे। किताबें भी हम कम्यूनिस्म की पढ़ा करते थे तो मैं और मेरी बहन इसी को फॉलो करते हैं।
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