Sex For Degrees Case: कौन हैं बनवारी लाल पुरोहित जिन्होंने सहलाए महिला पत्रकार के गाल?
चेन्नई। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं, 'डिग्री के लिए सेक्स' केस में आरोपी महिला के बयान पर घिरे बनवारी लाल पुरोहित ने मंगलवार को इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेस बुलाई थी लेकिन ये प्रेस कॉन्फेस भी उनके लिए बवाल बन गई क्योंकि उन्होंने हरकत ही ऐसी कर डाली। दरअसल एक महिला पत्रकार ने पुरोहित से एक सवाल किया था लेकिन जवाब देने के बजाय राज्यपाल ने उस महिला पत्रकार लक्ष्मी सुब्रमण्यम के गाल सहला दिए, उनकी इस हरकत को देखकर महिला पत्रकार समेत वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।
महिला पत्रकार लक्ष्मी सुब्रमण्यम का सहलाया गाल
पत्रकार लक्ष्मी सुब्रमण्यम के मुताबिक, इस घटना के बाद उसने कई बार अपना मुंह धोया, लेकिन वो इस बात को भुला नहीं पा रही थी, उसने अपना दर्द ट्विटर पर भी बयां किया है। सुब्रमण्यम ने इसके साथ ही एक मैगजीन के लिए 630 शब्दों का आर्टिकल भी लिखकर अपना दर्द और गु्स्सा प्रकट किया है। राज्यपाल की इस हरकत की चौतरफा निंदा हो रही है। इससे पहले पुरोहित 'डिग्री के लिए सेक्स' केस में आरोपी महिला के आरोप को लेकर चर्चा में थे।
'डिग्री के लिए सेक्स'
गौरतलब है कि तमिलनाडु के अरुप्पूकोट्टई के देवांग आर्ट कॉलेज की एक महिला लेक्चरर पर आरोप है कि उन्होंने छात्रों को ज्यादा नंबर और पैसे के लिए कुछ अधिकारियों के साथ एडजस्ट करने की सलाह दी थी, हालांकि वह इन आरोपों से इनकार कर रही हैं, साथ ही एक ऑडियो भी सामने आया है जिसमें ये महिला लेक्चरर राज्यपाल पुरोहित से अपने संबंधों की बात कह रही है। राज्यपाल ने इसी बात पर सफाई देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी, जहां एक नया विवाद पैदा हो गया।
कौन हैं बनवारी लाल पुरोहित
16 अप्रैल 1940 में राजस्थान के झुंझुनूं में जन्मे बनवारी लाल पुरोहित महाराष्ट्र के विदर्भ जिले के जाने-माने नेता है। वे तीन बार नागपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। वे 1977 में राजनीति में आए। 1978 में उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर से पहला विधानसभा चुनाव जीता जबकि 1980 में दक्षिणी नागपुर से एक बार फिर विधानसभा पहुंचे। 1982 में राज्य में मंत्री भी बने। पुरोहित 1984 ,1989 और 1996 में में भाजपा के टिकट पर नागपुर कंपटी से लोकसभा चुनाव जीते थे।
1999 में बीजेपी से नाता तोड़ दिया था
इसके बाद उन्होंने 1999 में बीजेपी से नाता तोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन कुछ समय बाद पुरोहित ने कांग्रेस भी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी विदर्भ राज्य पार्टी की शुरूआत की और नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन वे सफल नहीं हो सके। वे फिर से 2009 में भाजपा में शामिल हो गए और नागपुर से चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार से हार गए।
बनवारी लाल का विवादों से पुराना नाता
बनवारी लाल ने 2007 में उस समय यह कहकर तहलका मचा दिया था कि 1989 में आरएसएस चीफ बालासाहेब देवरस और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक घंटे की गुप्त मुलाकात हुई थी। उन्होंने दावा किया था कि 1989 के चुनावों में आरएसएस द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने के बदले राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक गुप्त समझौता किया था।
2017 में बने तमिलनाडु के राज्यपाल
सितंबर 2017 में उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल की कुर्सी सौंपी गई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे तमिलनाडु में एक कद्दावर नेता के अंकुश की आवश्यकता थी। उन्होंने राज्यपाल विद्यासागर राव का स्थान लिया था। पुरोहित इससे पहले असम के राज्यपाल थे।
खास बात
अगस्त 2016 में के. रोसैया के सेवानिवृत होने के बाद पुरोहित तमिलनाडु के पहले पूर्णकालिक राज्यपाल हैं। रोसैया के बाद सितंबर 2016 से ही प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.एच. विद्यासागर राव के पास था।
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