Lockdown के बीच इस राज्य में गर्भनिरोधक गलियों पर अघोषित बैन, जानिए अब क्या होगा
चेन्नई। इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां तमिलनाडु में दवा की दुकानों से बिल्कुल गायब हो गई है। तमिलनाडु सरकार ने इन दवाओं पर अघोषित प्रतिबंध लगा दिया है जिससे यहां पर महिलाओं के लिए सेफ सेक्स का रास्ता पूरी तरह बंद हो चुका है। आपको बता दें कि असुरक्षित यौन संबंधों के बाद ऐसी इमरजेंसी दवाओं को अवांछित गर्भ रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि लॉकडाउन के दौरान तमिलनाडु में लाखों की संख्या बच्चे पैदा होंगे।
कई सालों से मेडिकल स्टोर्स से गायब हैं ये दवाएं
साल 2010 में भारत में इमरजेंसी गर्भनिरोधक दवाओं की एंट्री के समय से ही तमिलनाडु में इसकी स्वीकार्यता कम रही है। हालांकि बाद में ये मेडिकल स्टोर्स पर आसानी के साथ मिल जाया करती थी। लेकिन 2016 तक ये दवाओं मेडिकल स्टोर्स के एकबार फिर गायब हो गईं। गौरतलब है कि चेन्नई को भारत के मेडिकल हब के तौर पर देखा जाता है। लेकिन यहां पर गर्भनिरोधक दवाओं की गैरमौजूदगी है। अगर आपको ये दवाएं खरीदनी हैं तो दूसरे राज्य जैसे पुडुचेरी और कर्नाटक जाना पड़ेगा। ये दवाएं मांगने पर अक्सर दुकानदार जवाब देते हैं-हम ये दवाएं नहीं रखते।
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महामारी में महिलाओं तक इस तरह पहुंचेगी दवा
चेन्नई की एक्टिविस्ट अर्चना सेकर ने इन दवाओं की उपलब्धता को लेकर प्रयास शुरू किए हैं। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया वॉल पर भी जानकारी दी है कि जिसे इसकी जरूरत हो वो उनसे ये दवाएं ले सकता है। न्यूज18 से बातचीत में उन्होंने कहा है- 'मुझे ये दवाएं मेरे बेंगलुरु के एक जानने वाले ने दी थी। मुझे अंदाजा हुआ कि महामारी के दौर में लोगों तक ऐसी दवाएं न पहुंचने से कितनी बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। हालांकि तमिलनाडु में गर्भनिरोधक दवाओं पर कानूनन कोई बैन नहीं है लेकिन सामाजिक स्वीकार्यता न होने की वजह से ये स्टोर्स से गायब रहती हैं।'
दुनिया भर में कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों की किल्लत
दुनियाभर में इस समय कोरोना वायरस का कहर है। ऐसे में कोरोना के कहर रोकने के लिए दुनिया के ज्यादातर देशों को लॉकडाउन कर दिया है। लॉकडाउन के खत्म होने के बाद बड़ी मुसीबत आने वाली है। वो है आर्थिक मंदी। या यूं कहें आ चुकी है। ताजा रिपोर्ट की मानें तो जहां एक तरफ आर्थिक समस्या आने वाली है वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या वृद्धि का भी अनुमान लगाया जा रहा है। लॉकडाउन में स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने से विकसित देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधक नहीं ले पाई हैं। पूरे देश में लॉकडाउन के हालत है और ऐसे में लोग अपने परिवार के साथ है। जाहिर है पति पत्नी, कपल आदि के बीच इस दौरान फिजिकल रिलेशन बन रहे होंगे। ऐसे में कम जानकारी के आभाव में अनचाही प्रेगनेंसी की उम्मीद भड़ जाती है। लॉकडाउन के कारण स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं थप है ऐसे में कंडोम और गर्भनिरोधक दवाएं मिलना मुश्किल हो गया है। इसी कारण संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने यह अनुमान लगाया है कि आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं। जाहिर है इससे जनसंख्या में बढ़ोतरी की आशंका है।
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