पतंजलि के बाद तमिलनाडु सरकार ने किया कोरोना के 100 फीसदी 'सिद्ध' इलाज का दावा
नई दिल्ली। तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 64,000 से पार पहुंच गए हैं। लगातार बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच अब तमिलनाडु सरकार ने प्राचीन आयुर्वेद इलाज 'सिद्ध' के जरिए इस कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने का दावा किया है। सरकार का दावा है कि यहां पर हल्के लक्षणों वाले कोरोना के मरीजों के इलाज में इसकी मदद ली गई है। ऐसे मरीजों का रिकवरी रेट 100 फीसदी रहा है। बता दें कि मंगलवार को बाबा रामदेव की आयुर्वेद कंपनी ने भी कोरोना का दवा बनाने का दावा किया था। हालांकि आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को जांच पूरी होने तक इस दवा के विज्ञापन और दावे को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है।
100% रिकवरी का दावा
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, चेन्नई में 25 मरीजों को सफलतापूर्वक ठीक होने के बाद राज्य सरकार सिद्धा इलाज को कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट व्यासरपदी स्थित अंबेडकर कॉलेज में करने जा रही है। इस ट्रीटमेंट को लेकर सवाल भी उठे हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि वैज्ञानिक रूप से अप्रमाणित इस तमिलनाडु की प्राचीन चिकित्साविधि के इस्तेमाल से मरीज के स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के पंडियाराजन ने इन सवालों को खारिज करते हुए कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है।
सिद्ध चिकित्सा हमारा ट्रंप कार्ड
स्वास्थ्य मंत्री के पंडियाराजन ने कहा कि, सिद्ध इलाज से रिकवरी रेट 100 फीसदी रहा है। हम लोगों की जिंदगी खतरे में नहीं डाल रहे हैं। सिद्ध चिकित्सा हमारा ट्रंप कार्ड है। हम सिद्ध, योग और आयुर्वेद को एक साथ मिला रहे हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन इसका इतिहास काफी है। उन्होंने कहा केवल तीन फीसदी मामलों में लोगों को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है, ऐसे मामलों में ऐलोपैथी की जरूरत पड़ती है।
इस इलाज का कोई वैज्ञानिक परीक्षण नहीं: डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम सिद्ध इलाज केवल उन्हीं को दे रहे हैं जो इसके इच्छुक हैं उनमें कोरोना के हल्के लक्षण हैं।वो लोग इससे खुश हैं। हालांकि एलोपैथी डॉक्टर ने इस इलाज के प्रति चेताया है। उन्होंने कहा कि इस इलाज का कोई वैज्ञानिक परीक्षण नहीं है। दरअसल तमिलनाडु में सिद्धा डॉक्टरों की टीमों ने पाया कि हर्बल मिश्रण ‘कबासुरा कुडिनेर' का कोरोना मरीजों पर सकारात्मक असर हुआ है।
कोरोना मरीजों को कबासुरा कुडिनेर दवा दी जा रही है
कबासुरा कुडिनेर हर्बल मिश्रण है जिसमें अदरक, पिप्पली, लौंग, सिरुकनकोरी की जड़, मूली की जड़, कडुक्कई, अजवाइन और अन्य जड़ी बूटी शामिल हैं। इसको मिलाकर चूर्ण तैयार किया जाता है और बाद में इसमें पानी मिलाया जाता है। फिर काढ़ा बनाने के लिए इसे उबाला जाता है और एक चौथाई रह जाने पर इसे पिलाया जाता है। तमिलनाडु सरकार का दावा ऐसे वक्त में आया है, जब योगगुरू बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि आयुर्वेद ने मंगलवार को ही कोरोनावायरस का दवा बना लेने का दावा किया है । हालांकि आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को जांच पूरी होने तक इस दवा के विज्ञापन और दावे को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है।
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