25 साल की यूट्यूबर को शोहरत ने बना दिया नेता, अब लड़ रहीं चुनाव
चेन्नई। यूट्यूब पर ज्ञान-विज्ञान का वीडियो अपलोड करने वाली एक लड़की ने इतनी शोहरत बटोरी कि उसे एक राजनीतिक दल ने चुनाल लड़ने का ऑफर दे दिया। संयोग से उसने इसी साल 25 साल की उम्र पूरी की है। न्यूनतम उम्र की योग्यता पूरा करने के बाद अब वह चुनावी मैदान में है। यूट्यूबर होने के साथ- साथ यह लड़की शिक्षक भी है, शोधकर्ता भी है और ब्लॉगर भी है। इससे इतर वह अभिनय और मॉडलिंग का भी शौक रखती है। इस लड़की का नाम है पद्मा प्रिया। वह कमल हासन की पार्टी (मक्कल निधि माइम) के टिकट पर तमिलनाडु के मदुरवोयल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पद्मा का कहना है, मदुरवोयाल का यह चुनाव ताकतवर और कमजोर के बीच है। अनुभवी और शक्तिशाली नेताओं के सामने एक ऐसी कम उम्र लड़की खड़ी है जिसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। मैंने कभी चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन जब कमल हासन जैसे प्रतिष्ठित अभिनेता ने मुझे चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया तो मैंने स्वीकर कर लिया। मैं दो दलों (द्रमुक और अन्नाद्रमुक) की राजनीतिक व्यवस्था से निराश थी। जब कमल हासन नया विकल्प लेकर आये तो मैं भी इसमें शामिल हो गयी।
कैसे चर्चा में आयीं पद्मा प्रिया ?
केन्द्र सरकार ने एक साल पहले पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन मसौदा-2020 जारी किया था। इसका मकसद था पर्यावरण से संबंधित 2006 की अधिसूचना में संशोधन करना। पद्मा प्रिया को उनकी एक मित्र ने मोदी सरकार के पर्यावरण आंकलन मसौदा के बारे में बताया था। माइक्रोबायोलॉजी से मास्टर डिग्री लेने वाली यूट्यूबर पद्मा ने इस मसौदे को पढ़ा। फिर उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड कर तर्क के साथ बताया कि केन्द्र सरकार का मसौदा कैसे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। पद्मा का वीडियो पोस्ट होते ही यूट्यूब पर छा गया। इसे एक घंटे के अंदर ही एक लाख व्यूज मिल गये। कुछ देर के बाद उनके वीडियो का व्यूज दो लाख पार कर गया। इतना ही नहीं इंस्टाग्राम पर उनके वीडियो को 20 लाख व्यूज मिल गये। सोशल मीडिया पर पद्मा प्रिया स्टार बन गयीं। लेकिन उनको लोकप्रियता की कीमत भी चुकानी पड़ी।
अप्रिय टिप्पणी से पद्मा हो गयीं थीं परेशान
पद्मा प्रिया ने जब केन्द्र सरकार के पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन मसौदा 2020 की तार्किक आलोचना की तो वे तथाकथित भाजपा समर्थकों के निशाने पर आ गयीं। उन पर द्रमुक समर्थक होने का आरोप लगाया गया। उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी तक की गयी। पद्मा ने फिर एक वीडियो पोस्ट कर बताया कि उन्होंने इस मसौदे का केवल वैज्ञानिक आधार पर विश्लेषण किया है। यह किसी का व्यक्तिगत विरोध नहीं है। पद्मा ने माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी किया है। उन्होंने डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी की भी पढ़ाई की है। उनके कई शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। विज्ञान की जानकार होने के कारण पद्मा के वीडियो को लोगों ने गंभीरता से लिया। स्पष्टीकरण के बाद भी जब पद्मा पर अभद्र टिप्पणियों का सिलसिला नहीं रुका तो उन्होंने यूट्यूब से वीडियो हटा दिया। उस समय पद्मा बहुत परेशान हो गयीं थीं। उन्होंने कहा था, "मैं तब और ज्यादा दुखी हो गयी जब लोग मेरे माता-पिता को भी निशाना बनाने लगे। मैं मिडिल क्लास की लड़की किसी विवाद में नहीं फंसना चाहती थी। इसलिए वीडियो को हटा दिया। लेकिन एक बात तो जरूर हुई कि इसकी वजह से मसौदा-2020 पर पूरे देश में बहस होने लगी। यही तो मैं चाहती थी।"
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चुनाव प्रचार के दौरान क्या कह रहे हैं लोग ?
पद्मा प्रिया का कहना है कि चुनाव प्रचार में आम लोगों से उनका जुड़ाव बहुत आसानी से हो जाता है। वे किसी अनुभवी और वरिष्ठ नेता की तुलना में लोगों के बीच आसानी से घुलमिल जाती हैं। इस मामले में कम उम्र का होना उनके लिए मददगार साबित हो रहा है। चूंकि वे वीआइपी कल्चर से दूर एक आम लड़की की तरह दिखती हैं, इसलिए लोग उनसे अपनेपन के साथ मिलते हैं। उनका कहना है, हमारी पार्टी एमएनएम का गठन ही आम लोगों की भलाई के लिए हुआ। वह किसी भी पूर्वाग्रह से मुक्त है। अगर लोग एमएनएम के विकल्प पर गौर करेंगे तो हमें कामयाबी मिल सकती है। मेरा विधानसभा क्षेत्र (मदुरवोयाल) ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन का हिस्सा है। यहां पर्यावरण भी एक बड़ा मुद्दा है। मसौदा-2020 प्रकरण के बाद अब लोग मुझे पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में जानने लगे हैं। मेरे पास न पैसा है न राजनीतिक अनुभव। लेकिन कुछ नया करने का उत्साह जरूर है। मैं पहली बार चुनाव लड़ रही हूं। यही मेरी कमजोरी भी है और यही मेरी ताकत भी है। अब देखना है कि वोटरों का मुझे कितना समर्थन मिलता है।
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