वृंदा करात का एक दावा जिसे जानकारों ने कर दिया खारिज
नई दिल्ली। हरियाणा में वामपंथी दलों के 10 उम्मीदवार भी मैदान में नहीं है, पर इनके दावे तमाम हैं। माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात की रैली तब हंसी का पात्र बन गई जब उन्होंने रैली को संबांधित किया। उन्होंने ऐसे-ऐसे दावे कर डाले, मानों माकपा के बगैर अब हरियाणा पूरी तरह तहस-नहस हो जायेगा। वहीं विशेषज्ञों ने उनके दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
हरियाणा में अपनी सभाओं में वृंदा करात ने दावा किया कि वामपंथी पार्टियों के प्रतिनिधियों को विधानसभा में भेजे बगैर जनता के हितों की पूर्ति संभव नहीं है। वृंदा करात ने नलवा से माकपा प्रत्याशी शकुंतला जाखड़ के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कही। हरियाणा मामलों के जानकार कहते हैं कि वामपंथी दल मुश्किल से अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएँगे। इन्हें मैदान में नहीं है।
जनसभा की अध्यक्षता पूर्व कर्मचारी नेता आरसी जग्गा ने की तथा संचालन सुखबीर सिंह ने किया। इस मौके पर कामरेड वृदा करात ने कहा कि हरियाणा नंबर वन के ढिंढोरे पीटे जा रहे है जबकि हरियाणा नंबर वन है गुंडागर्दी में, महिलाओं पर अत्याचार करने वालों को संरक्षण देने में। जाति व धन पर आधारित राजनीति के चलते दल-बदल हो रहा है।
ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार गुजरात में 24, हरियाणा में 32 दिन नरेगा में काम दिया है जबकि त्रिपुरा की वाममोर्चा सरकार ने 54 दिन काम दिया है और त्रिपुरा में 418 करोड़ नरेगा पर खर्च हुए जबकि हरियाणा और गुजरात में मात्र 200 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव जगमति सांगवान ने कहा कि बिजली, पानी, सीवरेज, गली आदि नागरिक सुविधाओं की समस्याओं से लोग ग्रस्त हैं।
प्रशासनिक अधिकारी नागरिको की सेवा करने की बजाए ऐश करते हैं। सभा को नलवा हलके से माकपा उम्मीदवार शकुंतला जाखड़, माकपा जिला सचिव का. प्रदीप सिंह, दिनेश सिवाच ने भी संबोधित किया।