डोकलाम जैसी हरकतों को रोकने के लिए सेना ने उठाया बड़ा कदम, सीमा पर SSB फोर्स की तैनाती में इजाफा
नई दिल्ली। डोकलाम जैसी स्थिति फिर से पैदा न हो इसलिए इंडो-नेपाल और इंडो-भूटान से सटी सीमा पर फोर्स की तैनाती में इजाफा किया जा चुका है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की तैनाती में वृद्धि की गई है, जो चीन से लग रही सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। एसएसबी ने मंगलवार को कहा कि पिछले एक साल में देश की सबसे युवा पैरामिलिट्री फोर्स ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में 18 नए बॉर्डर ऑउट पोस्ट (बीओपी) का निर्माण किया है। भूटान से लगी सीमा पर सुरक्षा को पुख्ता करने और पडोसी मुल्क के खतरों से निपटने के लिए सिक्किम में 3 और अरुणाचल प्रदेश में 15 नए बीओपी खड़े किए गये हैं। सिक्किम में जो बीओपी खड़े किए गये हैं वे बिल्कुल भूटान की सीमा से लगते हैं। गौरतलब है कि पिछले साल भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध भूटान की सीमा पर ही पैदा हुआ था।
पिछले साल के डोकलाम गतिरोध से सबक
हालांकि, एसएसबी के डायरेक्टर जनरल सुरजीत सिंह देसवाल ने स्पष्ट किया है कि भारत-चीन सीमा के साथ उनके फोर्स के संचालन से कोई लेना देना नहीं था। उन्होंने कहा कि ये 18 नए बीओपी उन 72 में से हैं जो इस साल शुरू हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भूटान के क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा सड़क निर्माण पर भारत-चीन सीमा के सिक्किम प्रांत में 73 दिनों तक गतिरोध चला था, जिसे इंडियन आर्मी के विरोध के बाद बंद कर दिया गया था। दोनों देशों के बीच डोकलाम गतिरोध पिछले साल 28 अगस्त को खत्म हुआ।
इंडो-नेपाल-भूटान सीमा पर 708 BOP
इंडो-भूटान
के
बीच
699
किमी
और
इंडो-नेपाल
से
सटी
1,751
किमी
वाली
लंबी
सीमा
पर
फिलहाल
53
एसएसबी
बटालियन
तैनात
हैं।
वहीं,
दोनों
देशों
से
सटी
सीमा
पर
सुरक्षा
और
पेट्रोलिंग
के
लिए
कुल
708
बीओपी
खड़े
किए
गए
हैं।
एसएसबी
के
एक
वरिष्ठ
अधिकारी
ने
बताया
कि
इंडो-भूटान
सीमा
पर
176
बीओपी
फंक्शन
में
हैं,
जो
सिक्किम
से
लेकर
अरुणाचल
प्रदेश
तक
की
सीमा
पर
निगरानी
रख
रहे
हैं।
वहीं,
इंडो-नेपाल
सीमा
पर
सुरक्षा
के
लिए
कुल
533
बीओपी
फंक्शन
में
हैं,
जो
देश
के
उत्तराखंड,
उत्तर
प्रदेश,
बिहार,
पश्चिम
बंगाल
और
सिक्किम
जैसे
राज्यों
की
सीमा
पर
पेट्रोलिंग
की
जा
रही
है।
चीनी खतरों से लेकर अवैध गितिविधियों पर SSB की नजर
एसएसबी की तैनाती इंडो-नेपाल और इंडो-भूटान सीमा पर सिर्फ चीन के खतरों से निपटने के लिए ही नहीं, बल्कि सीमा पार से हो रही मानव तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भी किया जाता है। चीन के खिलाफ 1962 में युद्ध के बाद एसएसबी का गठन किया गया था।