चीन से मुकाबले के लिए Taiwan की तैयारी, नौसेनिक बेड़े में शामिल करेगा पनडुब्बी, शुरू किया निर्माण
ताईपे। ऐसा लग रहा है कि अब ताइवान ने चीन से आर-पार करने का मूड बना लिया है। लंबे समय से बातचीत से चीन के साथ चल रहे विवाद को निपटाने पर जोर देने के अब ताइवान की प्राथमिकता में अपनी सेना को मजबूत करना है। इसी के तहत अब ताइवान ने स्वदेश में पनडुब्बी बेड़े के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है। ताइवान (Taiwan) का इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में अमेरिका मदद कर रहा है। पनडुब्बी बेड़े के निर्माण की शुरुआत के मौके पर राष्ट्रपति साई इंग वेन ने एक बार फिर दोहराया कि वे अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
चीन जिसके पास परमाणु हथियार लांच करने में सक्षम युद्धपोत हैं, के मुकाबले ताइवान की नौसेना बहुत ही कमजोर है। यही वजह है कि ताइवान लंबे समय से अपने नौसैनिक बेड़े को मजबूत करने की कोशिश करता रहा है। हालिया पनडुब्बी बेड़े के निर्माण इसी दिशा में एक प्रयास है। खास बात यह है कि इस पनडुब्बी बेड़े का निर्माण ताइवान खुद ही कर रहा है जिसे अमेरिका के सहयोग से शुरू किया गया है।
ताइवान
ने
शुरू
किया
निर्माण
कार्य
मंगलवार
को
ताइवान
के
दक्षिणी
शहर
काउशुंग
में
इस
बेड़े
का
निर्माण
कार्य
शुरू
हो
गया
है।
ताइवान
की
राष्ट्रपति
साई
इंग
वेन
ने
इस
पल
को
ऐतिहासिक
और
देश
के
इतिहास
में
मील
का
पत्थर
बताया।
उन्होंने
कहा
कि
बेड़े
का
निर्माण
ये
दिखाता
है
कि
ताइवान
अपनी
संप्रभुता
की
रक्षा
करने
का
मजबूत
इरादा
रखता
है।
कार्यक्रम
में
ताइवान
में
अमेरिका
के
प्रतिनिधि
ब्रेंट
क्रिस्टेंसेन
भी
मौजूद
रहे।
पनडुब्बी के विकास के साथ ही ताइवान की नौसेना की ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा होगा। बेड़े में शामिल होने से नौसेना की युद्ध क्षमताओं में विकास के साथ दुश्मन को घेरने में खास सफलता मिलेगी।
अमेरिका की ट्रंप सरकार ने 2018 में अमेरिकी हथियार और पोत निर्माण में जुड़ी कंपनियों में ताइवान के प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी। अमेरिका के इस कदम को ताइवान के समर्थन के रूप में देखा गया था। हालांकि कौन सी अमेरिकी कंपनी इसमें शामिल है इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
2025
तक
तैयार
होंगी
पनडुब्बियां
ताइवान
की
सरकार
द्वारा
समर्थित
सीएसबीएस
कॉरपोरेशन
इस
पनडुब्बी
बेड़े
का
निर्माण
कर
रही
है।
कंपनी
ने
कहा
है
कि
2025
तक
8
पनडुब्बियां
फ्लीट
में
शामिल
हो
जाएंगी
जिससे
राष्ट्रपति
साई
के
सैन्य
आधुनिकीकरण
और
आत्मनिर्भर
योजना
को
बढ़ावा
मिलेगा।
कंपनी
चेयरमैन
चेंग
वेंग
ने
कहा
कि
उन्हें
इसके
निर्माण
में
काफी
मुश्किलों
का
सामना
करना
पड़ा।
इस
दौरान
न
उन्हें
सिर्फ
निर्माण
के
लिए
जरूरी
उपकरणों
की
खरीद
में
मुश्किल
हुई
बल्कि
बाहरी
ताकतों
ने
भी
इसमें
बाधा
पहुंचाने
की
कोशिश
की।
बाहरी
ताकतों
से
उनका
आशय
चीन
को
लेकर
था।
सितम्बर
में
चीन
ने
कई
बार
अपने
फाइटर
जेट
ताइवान
जलडमरू
मध्य
के
पार
भेजे
थे।
ताइवान की सेना में अधिकांश सैन्य सामान अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। वहीं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने सत्ता में आने के बाद से ही चीनी खतरे के खिलाफ निपटने के लिए सैन्य आधुनिकीकरण को प्रमुखता दी हैं। जून में साई ने देश में डिजाइन किए गए जेट ट्रेनर विमानों की सार्वजनिक उड़ान का निरीक्षण किया था।
इस
वजह
से
है
चीन
से
तनातनी
चीन
का
कहना
है
कि
ताइवान
उसका
हिस्सा
है
और
एक
दिन
वन
चाइना
पॉलिसी
के
तहत
उसे
मेन
चाइना
में
मिला
लिया
जाएगा।
दूसरे
देशों
की
तरह
अमेरिका
के
भी
ताइवान
से
सीधे
रिश्ते
नहीं
हैं
लेकिन
अमेरिका
ताइवान
को
सपोर्ट
करता
है।
पिछले
महीने
ही
अमेरिका
के
मंत्री
कीथ
क्रैच
ताइवान
पहुंचे
थे
जिससे
चीन
तिलमिलाया
हुआ
था।
चीन
ये
भी
कहता
रहा
है
कि
जरूरत
पड़ने
पर
ताइवान
पर
ताकत
के
बल
पर
कब्जा
किया
जा
सकता
है।
वहीं
ताइवान
के
लोग
खुद
को
एक
अलग
देश
के
रूप
में
देखना
चाहते
हैं।
चीन
में
हांग
कांग
की
तरह
ही
ताइवान
को
लेकर
भी
एक
देश
दो
व्यवस्था
वाले
मॉडल
को
लागू
किए
जाने
की
बात
की
जाती
है
लेकिन
वर्तमान
में
ताइवान
की
राष्ट्रपति
साई
इंग-वेन
ने
इस
मॉडल
को
नकार
दिया
है।
सांई
इंग-वेन
ताइवान
को
एक
संप्रभु
देश
के
तौर
पर
देखती
हैं
और
वन
चाइना
पॉलिसी
का
विरोध
करती
हैं।
2016
में
वेन
के
सत्ता
में
आने
के
बाद
चीन
और
ताइवान
के
रिश्तों
में
दूरी
बढ़
गई
है।
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