कश्मीर पर दुनियाभर में नाक कटा चुके इमरान अब घर में भी घिरे,नाराज सेना तख्तापलट के मूड में!
नई दिल्ली- आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान पर चौतरफा अंतरराष्ट्रीय दबाव है, लेकिन पाकिस्तानी सेना अपनी हरकतें छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। मौजूदा समय में भी जम्मू-कश्मीर में एलओसी के पार से पाकिस्तानी सेना लगातार घुसपैठ करवाने की कोशिशों में जुटी हुई है। पाकिस्तानी सेना की यह हरकत इमरान खान के हालिया रवैए के ठीक उलट है, जो वो दुनिया को घूम-घूम कर बता रहे हैं। वह कह रहे हैं कि उनकी सरकार आतंकवाद को मिटाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। स्थिति ऐसी बन चुकी है कि जिहादी संगठनों को समर्थन देने और उनसे दूरी बनाने की इसी नीति के चलते पाकिस्तान में सेना और सरकार में अनबन शुरू होती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि इमरान के हालिया बयानों को लेकर वहां की सेना उनसे बेहद नाराज है और पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए कुछ भी कहना मुश्किल है।
पाकिस्तानी सेना और आतंकी एक ही सिक्के के दो पहलू
करीब दो साल पहले 2017 के अक्टूबर में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने पाकिस्तानी सेना का इरादा जाहिर कर दिया था कि वह सैन्य बलों को मुख्यधारा की राजनीति में लाने की योजना पर काम कर रही है। एक यूरोपियन थिंक-टैंक ईएफएसएएस के मुताबिक पाकिस्तानी सेना का मुख्य लक्ष्य आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान में मुख्यधारा की राजनीति में लाना है। खुद गफूर इस रणनीति को 'उनके लिए (आतंकियों) सकारात्मक रोल' बता चुके हैं। पाकिस्तानी सेना आतंकियों को किस तरह संरक्षण दे सकती है, इसका ओसामा बिन लादेन सबसे बड़ा उदाहरण है, जो 10 साल तक पाकिस्तान में छिपा बैठा रहा और पाकिस्तान हमेशा इनकार करता रहा। भारत में आतंक ढाने के लिए ही बने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को खुलेआम पाकिस्तानी सेना का संरक्षण मिला हुआ है। पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंख पर चढ़े जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने कैसी सक्रियता दिखाई यह बात भी जगजाहिर है। अगर दो टूक कहें तो पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और अब यह बात पूरी दुनिया भी समझने लगी है।
इमरान खान से बेहद नाराज है पाकिस्तानी सेना
अपने देश के ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाकर हाल के वक्त में इमरान खान जिस तरह का बयान दे रहे हैं, उसे पाकिस्तानी सेना हजम कैसे कर सकती है। जबकि, सच्चाई ये है कि पिछले साल ही पाकिस्तानी सेना की हेराफेरी की वजह से ही इमरान खान चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने हैं। ऐसे में उन्होंने हाल के अपने अमेरिकी दौरे में जो यह बात कबूल ली है कि उनके देश में करीब 30 हजार से 40 हजार आतंकी सक्रिय हैं तो पाकिस्तानी सेना इस कबूलनामें को कैसे आसानी से स्वीकार करना चाहेगी। जिस पाकिस्तानी आर्मी के संरक्षण में आतंकी ट्रेंड हो रहे हैं, जिसे वे राजनीति में लाना चाहती है, वह सेना अपने पीएम के इस बयान को कैसे मंजूर कर सकती है। यही वजह है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख इमरान खान से बेहद भड़के हुए हैं।
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जिहाद और आतंकवाद जारी रखना चाहती है पाक सेना
आतंकवाद पर कबूलनामे से पाकिस्तानी सेना नाराज है, लेकिन इमरान खान हैं कि चाहे-अनचाहे अपने बयानों से उसे बेनकाब करने में ही लगे हुए हैं। इमरान खान ने अब यहां तक कह दिया है कि पाकिस्तान में 'जिहादी संगठनों या संस्कृति' के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि उनकी सरकार लघु और दीर्घ नीतियां अपनाकर 'जिहादवाद' और 'आतंकवाद' को देश से उखाड़ फेंकने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पास कोई चारा भी नहीं है। फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दे रखा है कि उसे अक्टूबर तक आतंकवादी संगठनों को दी जाने वाली आर्थिक मदद को पूरी तरह रोकनी है, नहीं तो उसे ब्लैकलिस्टेड होने के लिए तैयार रहना होगा। अब जब पाकिस्तान की जनता दो वक्त की रोटी के लिए तड़प रही है, ऐसे में इमरान खान कब तक इस सच्चाई से मुंह चुराते फिरेंगे।
बालाकोट पर कबूलनामा साबित होगी आखिरी कील!
पाकिस्तानी सेना का इमरान खान से नाराजगी का सबसे तात्कालिक और बड़ा कारण बालाकोट एयरस्ट्राइक पर दिया उनका हालिया बयान है। 14 अगस्त को पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) में उन्होंने भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और आर्टिकल 370 को हटाने पर बौखलाते हुए स्वीकार कर लिया कि बालाकोट एयरस्ट्राइक से भारत ने पाकिस्तान में भारी तबाही मचाई थी। उन्होंने बेहद खौफजदा होकर आशंका जताई कि उन्हें इस बात की सूचना है कि भारत बालाकोट से भी बड़ा ऐक्शन पीओके में लेने की तैयारी कर चुका है। मुजफ्फराबाद असेंबली में पाकिस्तान के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर इमरान ने कहा "पाकिस्तानी सेना को पूरी जानकारी है कि भारत पीओके में ऐक्शन लेने की योजना बना रहा है। उसी तरह का जैसा उसने पुलवामा के बाद बालाकोट में लिया था....हमारी जानकारी के मुताबिक उससे भी ज्यादा खौफनाक उनकी इस बार की योजना है...." गौरतलब है कि अब तक पाकिस्तानी सेना बालाकोट एयरस्ट्राइक को ही नकार रही थी और यह साबित करने की नाकाम कोशिश में जुटी थी कि भारत ने ऐसी कोई कार्रवाई की ही नहीं। यहां तक कि पाकिस्तानी सेना कुछ विदेशी पत्रकारों को भी बालाकोट में उस जगह पर ले जाकर दावा किया गया था कि कोई एयरस्ट्राइक जैसी चीज नहीं हुई है और किसी की भी मौत नहीं हुई है। लेकिन, इमरान के कबूलनामें से न सिर्फ पाकिस्तानी सेना की किरकिरी हो रही है, बल्कि उसका असली चेहरा भी बेनकाब हो रहा है। ऐसे में वह इमरान खान से किस तरह का बदला लेगी कहना मुश्किल है।
पाकिस्तान में एक और तख्तापलट की आशंका
पाकिस्तानी सेना का इतिहास रहा है कि जो भी सरकार उसकी मर्जी से नहीं चलती है तो वह उसका तख्तापलट कर देती है। अगर इमरान खान पाकिस्तान की आर्थिक तबाही और अंतरराष्ट्रीय दबाव में आतंकवादियों पर कार्रवाई की बात करेंगे तो पाकिस्तानी सेना उन्हें कब तक बर्दाश्त करेगी। खासकर तब जब इमरान को बनाने में पाकिस्तानी सेना का ऐक्टिव रोल भी रहा है और उन्हें जीत दिलवाने में आतंकवादी संगठनों से भी मदद मिलने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में अगर वो सेना की कठपुतली बने रहने से ना-नुकर करेंगे तो पाकिस्तानी सेना सत्ता अपने हाथ में लेने में कितना इंतजार करेगी कहना मुश्किल है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर से लेकर बालाकोट तक भारत के ऐक्शन ने उसे अपनी ही आवाम की नजरों में भी गिरा दिया है।