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तबलीगी जमात: फरार मौलाना साद से छिन सकती है तब्लीगी मरकज की गद्दी !

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नई दिल्ली। कोरोना को लेकर जब पूरे देश में लॉकडाउन था उस समय निजामुद्दीन स्थित तबलीगी मरकज में सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। यहां पर लोग समूह में बैठकर तकरीरें कर रहे थे। कोरोना के महासंकट के बीच हजारों देसी-विदेशी मुसलमानों का जमात जुटाकर देशभर में वायरस का खतरा बढ़ाने वाले मौलाना साद की गद्दी अब खतरे में पड़ गई है। एक तरफ जहां पुलिस साद पर कानूनी शिकंजा कसते हुए फरार मौलाना की हर तरफ तलाश कर रही हैं वहीं साद के कुछ विरोधी मौलाना मरकज की उनसे गद्दी हथियानें में जुट चुके हैं।

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बता दें तबलीगी जमात को हर माह करोड़ों की फंडिंग अनेक माध्‍यमों से मिलती हैं। यहीं कारण है कि करोड़ों की फंडिंग होने की वजह से तब्लीगी जमात के प्रमुख की गद्दी पर कब्जा करने की फिराक में कई मौलाना जुट चुके हैं।

जल्द ही तख्तापटल हो सकता है

जल्द ही तख्तापटल हो सकता है

बता दें पुलिस क्राइम ब्रांच की जांच के मुताबिक मौलानाओं की करतूत सामने आने के बाद जैसे ही कानून का शिकंजा मौलाना साद को अपने ऊपर कसता दिखा मौलाना भूमिगत हो गए। ऐसे में मौका पाकर शुक्रवार की रात मुहम्मद साद के विरोधी गुट के मौलानाओं ने मरकज में स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ ली। माना जा रहा है कि मौलाना मुहम्मद साद की गद्दी खतरे में पड़ गई है, हो सकता है जल्द ही तख्तापटल हो जाए और कोई मौलाना इनकी गद्दी हथिया लेगा।

हिंसा के बाद काबिज हुआ था गद्दी पर

हिंसा के बाद काबिज हुआ था गद्दी पर

गौरतलब है कि मौलाना साद भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के पड़पोते हैं। साद के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 और आईपीसी की दूसरी धाराओं के तहत केस दर्ज कर किया है और वे अब फरार हैं। वर्ष 2000 में मरकज के तत्कालीन प्रमुख की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद गद्दी पर काबिज होने के लिए मौलानाओं के दो गुटों के बीच जमकर हिंसा हुई थी। इसमें पत्थरबाजी और मारपीट भी हुई थी। इस सबके बाद मौलाना मुहम्मद साद मरकज की गद्दी पर काबिज होने में सफल रहा था।

साद की कुंडली खंगाल रही पुलिस

साद की कुंडली खंगाल रही पुलिस

गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद अब क्राइम ब्रांच मौलाना साद के मरकज प्रमुख बनने से लेकर अब तक की पूरी कुंडली खंगाल रही है। क्राइम ब्रांच ने तीन दिन पहले मौलाना साद के दिल्ली स्थित तीन घरों के अलावा यूपी के शामली स्थित फार्म हाउस व कांधला स्थित घर पर नोटिस भेज जल्द से जल्द जवाब देने को कहा है। नोटिस में उससे 26 सवाल पूछे गए हैं। जिसमें मरकज का पूरा पता, इसके पंजीकरण का पूरा ब्योरा, पदाधिकारियों के नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, पदाधिकारियों के अलावा सदस्यों की पूरी जानकारी, सभी बैंक खाते, तीन साल में जमा कराए गए आयकर आदि की जानकारी मांगी गई है। यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह के आयोजन के लिए पुलिस व अन्य विभाग से अनुमित मांगी गई हो तो उसकी जानकारी, आयोजन की ऑडियो या वीडियो रिकार्डिंग यदि है तो उसे भी मुहैया कराया जाए

पूछताछ में खुल सकते हैं कई राज

पूछताछ में खुल सकते हैं कई राज

कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मौलाना साद ने खुद को क्वारंटाइन कर रखा है। मुहम्मद साद की गिरफ्तारी के साथ ही मरकज में होने वाली फंडिंग के स्रोत के अलावा अन्य तमाम जानकारियों से पर्दा उठ जाएगा। वहीं, मौलाना साद के अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए मांगा समय मौलाना मुहम्मद साद के अधिवक्ता शाहिद अली ने क्राइम ब्रांच द्वारा भेजे गए नोटिस के जवाब में शनिवार को बताया कि लॉकडाउन के चलते अधिकांश कार्यालय और विभाग बंद हैं। इसलिए जवाब देने में समय लगेगा। अधिवक्ता ने यह भी कहा है कि मौलाना साद ने इस समय स्वयं को क्वारंटाइन कर रखा है। तब्लीगी मरकज और जमात से जुड़े लोगों के साथ मरकज के सभी कार्यकर्ता कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, जो पुलिस की हर तरह की मदद करने को तैयार हैं।

विवादों से पुराना नाता

विवादों से पुराना नाता

मौलाना साद का जन्म 10 मई 1965 को दिल्ली में हुआ। साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली।मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता है। जब उन्होंने खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर (संगठन का सर्वोच्च नेता) घोषित कर दिया तो जमात के वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने उनका जबर्दस्त विरोध किया। हालांकि, मौलाना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और सारे बुजुर्ग धर्म गुरुओं ने अपना रास्ता अलग कर लिया। बाद में साद का एक ऑडियो क्लिप भी शामिल हुआ जिसमें वह कहते सुने गए, 'मैं ही अमीर हूं... सबका अमीर... अगर आप नहीं मानते तो भाड़ में जाइए।'

खुद को घोषित किया जमात का एकछत्र अमीर

खुद को घोषित किया जमात का एकछत्र अमीर

दरअसल, साद द्वारा खुद को अमीर घोषित किए जाने का विरोध इसलिए हुआ क्योंकि तबलीगी जमात के पूर्व अमीर मौलाना जुबैर उल हसन ने संगठन का नेतृत्व करने के लिए के सुरू कमिटी का गठन किया था। लेकिन, जब जुबैर का इंतकाल हो गया तो मौलाना साद ने लीडरशिप में किसी को साथ नहीं लिया और अकेले अपने आप को ही तबलीगी जमात का सर्वेसर्वा घोषित कर दिया। चूंकि साद जमात के संस्थापक के पड़पोते और संगठन के दूसरे अमीर के पोते हैं तो एक वर्ग का उनके प्रति श्रद्धा बरकरार रही।

दूसरे ग्रुप के साथ हिंसा और जमात का दो फाड़

दूसरे ग्रुप के साथ हिंसा और जमात का दो फाड़

2016 के जून महीने में तो मौलाना साद और मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन की लीडरशिप वाले तबलीगी जमात के दूसरे ग्रुप के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। दोनों ग्रुप ने एक-दूसरे पर घातक हथियारों से हमले किए थे। इस झड़प में करीब 15 लोग घायल हो गए थे। तब पुलिस-प्रशासन की दखल से शांति कायम हुई थी। मौलाना साद के ग्रुप के हिंसक व्यवहार से घबराकर तबलीगी जमात के कई वरिष्ठ सदस्य निजामुद्दीन छोड़कर भोपाल चले गए। इस तरह, देश में तबलीगी जमात का दो धड़ा बन गया। एक धड़े का केंद्र निजामुद्दीन में है जबकि दूसरे का भोपाल।

<strong>Nizamuddin event : कौन है मौलाना साद, क्या होती है तबलीगी जमात?</strong>Nizamuddin event : कौन है मौलाना साद, क्या होती है तबलीगी जमात?

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English summary
Tabligi Jamaat: The absconding Maulana can snatch it away from thenTablighi Markaz's throne!
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