तापसी पन्नू बोलीं- समाज के तौर पर हम कुंठित और असंवेदनशील हो गए हैं, बताई इसकी वजह
मुंबई। पिछले कुछ महीने देश के कई लोगों के लिए अच्छे नहीं रहे। खासकर बॉलीवुड के लिए। पहले तो कोरोना महामारी ने कई लोगों की जिंदगी में हलचल मचा दी, इसके बाद हालिया घटनाक्रम के चलते फिल्म जगत में कई लोगों को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के शिकार हुए। एक्ट्रेस तापसी पन्नू को लगता है कि हाल के दिनों में हालात और भी बदतर हो गए हैं, कुछ चीजें ऐसी हुई हैं जो नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि, हम एक समाज के रूप में कुंठित, न्यायपूर्ण और असंवेदनशील हो गए हैं।
'अपना गुस्सा हम किसी और पर उतारने की कोशिश करते है'
हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में तापसी पन्नू ने कहा कि, हम और अधिक कुठिंत हो गए हैं, हम हमेशा किसी के बारे में जजमेंटल निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं। हमने लोगों और स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता और दयालुता को खो दिया है। हम अपने मन में एक गुस्सा पाले रहते हैं इसका कारण कुछ भी हो, जिसे हम किसी और पर उतारने की कोशिश करते हैं। इस बात पर ध्यान दिए बिना कि, इसके नतीजे क्या होंगे।
'हम एक समाज के रूप में कुंठित, न्यायपूर्ण और असंवेदनशील हो गए हैं'
जब तापसी से पूछा गया कि, मानव व्यवहार में इस बदलाव के लिए कौन ज़िम्मेदार हो सकता है? इस पर तापसी ने कहा कि, हो सकता है कि हम सभी पिछले कुछ महीनों से घरों पर बैठे हुए हैं, जिसकी वजह से चिड़चिड़े और कुंठित हो गए हो, इसने हमें हर चीज से नाराज कर दिया है। लेकिन कुछ तो गलत हुए है। तापसी पन्नू ने कहा कि, जब भी लोग यह सवाल करने की कोशिश करते हैं कि समाज में क्या हो रहा है या देश में क्या हो रहा है, एक निश्चित तबका उन्हें राष्ट्र-विरोधी के रूप में टैग करना शुरू कर देता है। जबकि उन लोगों का इरादा सिर्फ एक बेहतर स्थिति के लिए पूछना है।
देश में हर चुनौती का सामना किया है: तापसी
तापसी ने कहा कि, आजादी के बाद से लेकर आज तक हमारे देश में हर कुछ वर्षों के बाद एक निश्चित प्रकार की चुनौती आई है। जिसका हमारे देश ने सामना किया है। इस बात की परवाह किए बिना है कि सत्ता में कौन है। पन्नू का यह भी कहना है कि इतिहास इस बात का सबूत है कि परिवर्तन निरंतर है। हाल ही सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में काफी उथल-पुथल मची हुई है।
हत्या या आत्महत्या: अगले हफ्ते AIIMS की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में खुलेगा सुशांत की मौत का राज