स्विस इंजीनियर्स का कमाल: पूरा हुआ अनोखा रेल रूट, आल्प्स के पहाड़ों के नीचे से गुजरेगी ट्रेन
नई दिल्ली। स्विजरलैंड अपनी खूबसूरती के साथ ही अपने बेहतरीन रेल रूट के लिए भी जाना जाता है। अब स्विस इंजीनियर्स की बेहतरीन टेक्नॉलॉजी भी दुनिया के सामने आई है। स्विटजरलैंड ने ऐसा रेल रूट तैयार किया है जिसमें ट्रेल आल्पस के पहाड़ों के नीचे से होकर गुजरेगी। इस रूट का आखिरी हिस्सा केनरी बेस टनल (सीबीटी) शुक्रवार को चालू कर दिया गया। तीन हिस्सों में बना ये रेल रूट उत्तरी यूरोप और मेडिटेरेनियन को आल्प्स पर्वत के नीचे से होकर जोड़ेगा।
स्विटजरलैंड का बहुआकांक्षी रेल प्रोजेक्ट है ये सुरंग
शुक्रवार को स्विस फेडरल रेलवे के सीईओ विसेंट डूक्रो और आल्प्स ट्रांसिट रेलवे के सीईओ ने सिग्नल दिखाकर इस केनरी बेस टनल को आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया। 15.4 किमी लंबी सीबीटी टनल के पूरा होने के साथ ही स्विटजरलैंड का बहुप्रतीक्षित न्यू रेल लिंक थ्रो आल्प्स (एनआरएलए) पूरा हो गया। इस प्रोजेक्ट को तैयार होने में 22.8 अरब स्विस फ्रैंक (25.04 अरब डॉलर) की लागत आई है।
केनरी रेल सुरंग आल्प्स पर्वत के नीचे से होकर गुजरती है। ये स्विटजरलैंड के उस रेल प्रोजेक्ट का हिस्सा है जो गोटहार्ड बेस टनल और लॉचबर्ग बेस टनल के साथ मिलकर एनआरएलए को पूरा करता है। गोटहार्ड बेस टनल और लॉचबर्ग रेल सुरंग पहले ही शुरू हो चुकी है। शुक्रवार को शुरू हुई केनरी रेल सुरंग और गोटहार्ड रेल सुरंग मिलकर स्विटजरलैंट के ज्यूरिख और इटली के मिलान शहर के बीच की यात्रा 4 से तीन घंटे तक कम हो जाएगी।
इसी रेल रूट पर है दुनिया की सबसे लंबी सुरंग
गोटहार्ड रेल सुरंग 2016 में बनकर तैयार हुई थी। बता दें कि गोटहार्ड रेल सुरंग 57 किमी लंबी है। इसका नाम दुनिया की सबसे लंबी और गहरी रेल सुरंग होने का गिनीज रिकॉर्ड दर्ज है। ये आल्प्स पर्वत के नीचे से गुजरती है। इसे बनाने में 2500 मजदूरों ने अपना योगदान किया था। गोटहार्ड बेस टनल जिसे जीबीटी के नाम से भी जाना जाता है केनरी बेस टनल के रूट पर ही पड़ती है। जीबीटी और केनरी मिलकर करीब 72 किमी का सफर सुरंग के नीचे से तय होगा।
इस रेल सुंरग से पैसेंजर ट्रेन करीब 250 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकेगी। स्विस फेडरल रेलवे के सीईओ विसेंट डूक्रो ने इस मौके पर कहा कि 'हमने आल्प्स के बीच से समतल रेल लाइन को बनाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।' लये सुरंग आल्प्स क्षेत्र में पर्यावरण के लिए भी उपयोगी साबित होगी। रेल सुरंग के शुरू होने से आल्प्स से होकर गुजरने वाले वाहनों की संख्या कम होगी जिससे CO2 उत्सर्जन कम होगा।
1400 किमी का सफर बिना किसी अवरोध के होगा पूरा
उद्घाटन के मौके पर पहुंची स्विटजरलैंड की राष्ट्रपति सिमोनेटा ने पत्रकारों से कहा कि इसके शुरू होने से निश्चित ही पर्यावरण को फायदा होगा लेकिन ये केवल आल्प्स के लिए ही नहीं है। ये स्विटजरलैंट के लिए स्थायी परिवहन नीति है जो प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पहुंचाएगी।
जानकारों के मुताबिक इस रूट का उद्देश्य आल्प्स पर्वत से गुजरने वाले ट्रकों की संख्या को घटाकर सालाना 6,50,000 तक लाना है। ये प्रतिदिन 890 टन Co2 उत्सर्जन को कम करेगा। पिछली साल 900,000 ट्रक ट्रांस अल्पाइन रूट से होकर गुजरे थे। इस रूट पर पैसेंजर ट्रेन के साथ ही मालगाड़ियां भी गुजरेंगी जो रोटर्डम और जेनोआ के बीच का 1400 किमी का सफर बिना किसी बाधा के पूरा करेंगी।
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